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Gorakhpur News: गोरखपुर में बनी आयुर्वेदिक औषधि ‘मधुमेहारी’, डायबिटीज मरीजों के लिए नई उम्मीद

Gorakhpur Breaking news – 10 जड़ी-बूटियों से तैयार यह दवा शुगर कंट्रोल के साथ हृदय, किडनी और आंखों की समस्याओं को भी रोकने में मदद करेगी

Ayurvedic herbal medicine Madhumehari preparation in Gorakhpur pharmacy

गोरखपुरउत्तर प्रदेश – गोरखपुर के महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय की फार्मेसी में मधुमेह के मरीजों के लिए विशेष हर्बल औषधि ‘मधुमेहारी’ तैयार की गई है। कुलपति डॉ. के. रामचंद्र रेड्डी के शोध पर आधारित इस दवा में दस पारंपरिक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का संयोजन किया गया है, जिसका उद्देश्य ब्लड शुगर को प्राकृतिक तरीके से नियंत्रित करना है। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि यह कदम तेजी से बढ़ती डायबिटीज की समस्या का आयुर्वेदिक समाधान देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। गोरखपुर-बस्ती मंडल के अलावा बिहार और पड़ोसी देश नेपाल से आने वाले मरीजों को भी इस औषधि से लाभ मिलने की उम्मीद है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस दवा का नियमित सेवन न केवल रक्त शर्करा के स्तर को संतुलित करेगा बल्कि मधुमेह से जुड़ी हृदय रोग, किडनी डैमेज और आंखों की बीमारियों जैसी गंभीर जटिलताओं को भी रोकने में सहायक होगा।

दस जड़ी-बूटियों का वैज्ञानिक मिश्रण

‘मधुमेहारी’ औषधि में गुड़मार, जामुन की गुठली, नीम बीज, हरितकी बीज, सौंफ, हल्दी, आम्र की गुठली, बबूल फली, विजयसार और करेला को बराबर मात्रा में पीसकर मिलाया जाता है। ये सभी जड़ी-बूटियां आयुर्वेद में शुगर नियंत्रण और शरीर के मेटाबॉलिज्म को संतुलित करने के लिए जानी जाती हैं। फिलहाल विश्वविद्यालय की फार्मेसी में तीन क्विंटल से ज्यादा करेला काटकर सुखाया जा चुका है, जो इस दवा का प्रमुख घटक है। आयुर्वेद विशेषज्ञों का कहना है कि यह औषधि पूरी तरह सुरक्षित, किफायती और बिना किसी साइड इफेक्ट के होगी। चिकित्सकों के अनुसार इसके नियमित उपयोग से बार-बार प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, थकान और ब्लड शुगर के उतार-चढ़ाव जैसी समस्याओं में स्पष्ट सुधार देखने को मिलेगा।

शोध टीम और भविष्य की योजना

इस औषधि के निर्माण में विश्वविद्यालय के फार्मासिस्ट राजेंद्र कुमार और मनीष कुमार का अहम योगदान रहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि यह दवा फिलहाल ओपीडी में आने वाले मरीजों को दी जाएगी ताकि इसके परिणामों का परीक्षण किया जा सके। सफल परीक्षण के बाद इसे बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए तैयार किया जाएगा और बाजार में भी उपलब्ध कराया जाएगा। कुलपति डॉ. रेड्डी ने कहा कि आधुनिक जीवनशैली में मधुमेह के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है और ऐसे में आयुर्वेदिक समाधान को बढ़ावा देना बेहद जरूरी है। उन्होंने विश्वास जताया कि ‘मधुमेहारी’ देश में मधुमेह उपचार के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान साबित होगी और मरीजों को एलोपैथिक दवाओं पर निर्भरता कम करने का एक प्राकृतिक विकल्प देगी।

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