गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर की गीता वाटिका में गुरुवार को हनुमान प्रसाद पोद्दार की 133वीं जयंती बड़े उत्साह और भक्ति भाव के साथ मनाई गई। दिनभर विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। सुबह शहनाई वादन और मंगला आरती के साथ महोत्सव की शुरुआत हुई। प्रभातफेरी निकाली गई, भजन-संकीर्तन और गिरिराज पूजन का आयोजन किया गया। इसके बाद भोग अर्पित किया गया और श्रद्धालुओं ने विशाल भंडारे में प्रसाद ग्रहण किया। शाम को समाधि पूजन, दीपमालिका और संकीर्तन के साथ महोत्सव का समापन हुआ। सैकड़ों श्रद्धालु इस अवसर पर उपस्थित रहे और भाईजी के त्याग, तपस्या और सेवा भाव को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी।
संतों और विद्वानों ने व्यक्तित्व पर डाला प्रकाश
जयंती महोत्सव की मुख्य श्रद्धार्चन सभा में कई संतों, विद्वानों और विशिष्ट अतिथियों ने हनुमान प्रसाद पोद्दार के व्यक्तित्व और योगदान पर प्रकाश डाला। सभा की अध्यक्षता स्वामी चिदानन्द ने की और कहा कि भाईजी ने तप और साधना के माध्यम से गीता वाटिका को एक तीर्थ के रूप में प्रतिष्ठित किया और धर्म-संस्कृति का संदेश विश्वभर में पहुँचाया। महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमशंकरदास ने उन्हें विराट व्यक्तित्व का धनी बताते हुए कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू भी उनके दर्शन के लिए गीता वाटिका आए थे। कथावाचक स्वामी नरहरिदास ने कहा कि जैसे भगवान ने धर्म की रक्षा के लिए अवतार लिया, वैसे ही भाईजी का अवतरण मानवता और संस्कृति के कल्याण के लिए हुआ। रामजन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने उन्हें संस्कृति और सभ्यता के रक्षक बताया।
इतिहास, संस्कृति और स्वास्थ्य पर विशेष जानकारी
इतिहास संकलन समिति के राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ. बालमुकुंद पाण्डेय ने कहा कि गोरखपुर की धरती ने भाईजी जैसे महापुरुष को अपनाकर गौरव पाया। उन्होंने गीता, रामायण और सत्साहित्य से जन-जन में क्रांति का अलख जगाया। भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के निदेशक डॉ. ओम उपाध्याय ने भाईजी को बहुआयामी व्यक्तित्व का धनी बताया, जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन, समाज सेवा और संस्कृति संरक्षण में अहम योगदान दिया। इस अवसर पर कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. जी.के. रथ ने कैंसर से बचाव और सावधानियों की जानकारी भी दी। आयोजन का संचालन डॉ. ओम उपाध्याय ने किया, स्वागत रसेन्दु फोगला ने और धन्यवाद ज्ञापन उमेश कुमार सिंहानिया ने किया। कार्यक्रम में परमेश्वरजी अजीतसरिया, हरिकृष्ण दुजारी, राजेश कन्थारिया, नितेश पोद्दार, दीपक गुप्ता और कनकबिहारी अग्रवाल सहित कई गणमान्य लोग शामिल रहे। इस आयोजन ने भाईजी के त्याग, तपस्या और मानवता के संदेश को जन-जन तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।