गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर के सहजनवां क्षेत्र से एक दर्दनाक घटना सामने आई है, जहां जहरीले सांप के काटने से 55 वर्षीय महिला गूंजमा देवी की मौत हो गई। सोमवार की देर रात जब गूंजमा देवी खाना खाने के बाद अपने कमरे में सोने चली गईं, तभी भोर में करीब तीन बजे उन्हें जहरीले सांप ने काट लिया। सांप के डंसते ही महिला ने शोर मचाकर परिजनों को जानकारी दी, लेकिन परिवारजन तत्काल अस्पताल ले जाने के बजाय सांप ढूंढने में लग गए। इसके लिए वे आधी रात को एक स्थानीय सांप पकड़ने वाले को बुलाकर लाए। एक्सपर्ट ने टॉर्च की रोशनी में करीब एक घंटे तक घर का隅-隅 छान मारा और अंततः दीवार के कोने में छिपे सांप को ढूंढकर पकड़ लिया। इस दौरान सांप को एक डब्बे में बंद कर दिया गया, लेकिन महिला की तबीयत लगातार बिगड़ती चली गई। जहां परिजन और गांववाले सांप देखने और वीडियो बनाने में व्यस्त रहे, वहीं गूंजमा देवी धीरे-धीरे अचेत होकर जमीन पर गिर गईं।
इलाज में देरी और अस्पताल पहुंचने पर मौत की पुष्टि
जब गूंजमा देवी पूरी तरह से अचेत हो गईं, तब परिजनों को स्थिति की गंभीरता का एहसास हुआ। इसके बाद वे महिला को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे और साथ ही डब्बे में बंद सांप को भी ले गए। डॉक्टरों के सामने सांप को दिखाते हुए उन्होंने बताया कि इसी ने महिला को काटा है। लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने जांच के बाद गूंजमा देवी को मृत घोषित कर दिया। डॉक्टरों का साफ कहना था कि यदि महिला को तुरंत उपचार के लिए अस्पताल लाया जाता, तो उसकी जान बचाई जा सकती थी। इस घटना ने एक बार फिर यह उजागर कर दिया है कि सांप के काटने की स्थिति में तत्काल प्राथमिक उपचार और समय पर अस्पताल पहुंचाना कितना जरूरी है। लेकिन गोरखपुर की इस घटना में परिवार ने इलाज पर ध्यान देने के बजाय सांप को पकड़ने में अनमोल समय गंवा दिया, जो अंततः महिला की जान पर भारी पड़ा।
परिजनों का गम और गांव में शोक का माहौल
गूंजमा देवी के परिवार पर बीते एक वर्ष में दोहरी चोट पड़ी है। आठ महीने पहले ही उनके पति की मृत्यु हो गई थी और अब सांप के काटने से गूंजमा देवी का जीवन भी समाप्त हो गया। उनके चार बेटे और एक बेटी हैं, जिनमें बेटी की शादी हो चुकी है। घटना के बाद परिवारजन गहरे सदमे में हैं और गांवभर में शोक का माहौल है। परिजनों के अनुसार, पोस्टमार्टम के बाद गूंजमा देवी का अंतिम संस्कार मंगलवार देर शाम कर दिया गया। वहीं, जिस सांप को पकड़कर लाया गया था, उसे बाद में परिजन जंगल में छोड़ आए। ग्रामीणों का मानना है कि यदि समय पर सही कदम उठाया जाता, तो गूंजमा देवी आज जीवित होतीं। इस घटना ने न केवल पूरे क्षेत्र को झकझोर दिया है, बल्कि यह भी सबक दिया है कि आपात स्थिति में अंधविश्वास या लापरवाही के बजाय तुरंत चिकित्सा पर भरोसा करना चाहिए। गोरखपुर की यह घटना समाज के लिए चेतावनी है कि जीवन बचाने के लिए हर पल कीमती होता है और किसी भी देरी की कीमत मौत के रूप में चुकानी पड़ सकती है।