गोरखपुर के सहजनवा क्षेत्र के ग्राम सुथनी में गुरुवार को नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने देश की पहली वेस्ट इंटीग्रेटेड सिटी का निरीक्षण किया। इस मौके पर नगर निगम के अधिशासी अभियंता अशोक भाटी, अवर अभियंता सुलेख यादव, गीडा के अवर अभियंता शैलेश सिंह, एनटीपीसी और पीईएस इंजीनियरों की टीम भी मौजूद रही। निरीक्षण के दौरान नगर आयुक्त ने परियोजना से जुड़े कार्यों की गहन समीक्षा करते हुए कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्यों की गुणवत्ता से किसी भी कीमत पर समझौता न किया जाए और सभी प्रोजेक्ट तय समय सीमा में पूरे किए जाएं। सुथनी प्लांट के चारों ओर वृक्षारोपण कराने, अधूरी इमारतों में शीघ्र विद्युत कनेक्शन देने और जिन स्थानों पर प्रोजेक्ट बोर्ड नहीं लगे हैं, वहां तत्काल बोर्ड स्थापित करने के आदेश दिए। साथ ही उन्होंने खाली प्लॉटों में जल निकासी और सड़क कनेक्टिविटी की व्यवस्था करने, नई खरीदी गई ज़मीनों की रजिस्ट्री कराने और डोमेस्टिक हज़ार्डस प्लांट का कार्य जल्द पूरा करने पर जोर दिया। निरीक्षण के दौरान नगर आयुक्त ने कचरे से कोयला बनाने की प्रक्रिया को मौके पर देखा और एनटीपीसी अधिकारियों को सफल ट्रायल जल्द कराने का निर्देश दिया।
परियोजना की विशेषताएं और संभावनाएं
सुथनी गाँव में 40 एकड़ भूमि पर बन रही यह वेस्ट इंटीग्रेटेड सिटी देश में अपनी तरह की पहली परियोजना है, जो आधुनिक कचरा प्रबंधन और ऊर्जा उत्पादन का मॉडल प्रस्तुत करेगी। यहाँ शहर से प्रतिदिन निकलने वाले सूखे, गीले और खतरनाक कचरे का वैज्ञानिक ढंग से निपटारा होगा। गीले कचरे से बायो-CNG, सूखे कचरे से चारकोल और खतरनाक कचरे का सुरक्षित प्रबंधन किया जाएगा। इस परियोजना से गोरखपुर नगर निगम को करोड़ों रुपये की बचत होगी, साथ ही लगभग 300 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। नगर आयुक्त ने निरीक्षण के दौरान ग्रीन एरिया डेवलपमेंट को प्राथमिकता देने और गीडा द्वारा प्रस्तावित 1.82 एकड़ जमीन को गार्बेज ट्रांसफर सेंटर के लिए शीघ्र उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया। इसके अलावा उन्होंने प्लांट के पीछे से आने वाली गीडा रोड को नगर निगम की रोड से जोड़ने पर भी जोर दिया ताकि भविष्य में संचालन में किसी प्रकार की दिक्कत न आए। नगर निगम की एडमिन बिल्डिंग को तय समयसीमा में पूरा करने के निर्देश देते हुए उन्होंने कहा कि इस वेस्ट इंटीग्रेटेड सिटी का संचालन समय पर शुरू होना चाहिए, जिससे शहर को साफ-सुथरा और प्रदूषण मुक्त बनाने का लक्ष्य हासिल किया जा सके।
काम करने का तरीका और होने वाले लाभ
यह वेस्ट इंटीग्रेटेड सिटी गोरखपुर शहर से रोज़ाना निकलने वाले कचरे को व्यवस्थित ढंग से संभालने का केंद्र बनेगी। यहां आने वाले कचरे को पहले श्रेणियों में विभाजित किया जाएगा—गीला, सूखा और खतरनाक। इसके बाद अत्याधुनिक मशीनों के जरिए कचरे को प्रोसेस किया जाएगा, जिससे बायो-CNG, चारकोल और अन्य उपयोगी उत्पाद तैयार होंगे। एनटीपीसी इस परियोजना में निवेश कर रहा है और इसके जरिए तैयार उत्पादों का इस्तेमाल ऊर्जा और ईंधन के रूप में होगा। इससे नगर निगम को ईंधन खर्च में भारी बचत होगी, पर्यावरण प्रदूषण घटेगा और शहर कचरा मुक्त बनेगा। साथ ही इस परियोजना से रोजगार के नए अवसर खुलेंगे और गोरखपुर पूरे देश के लिए कचरा प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण का आदर्श मॉडल बनकर उभरेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह परियोजना समय पर और गुणवत्तापूर्ण ढंग से पूरी हुई, तो यह पूरे पूर्वांचल ही नहीं बल्कि पूरे भारत में शहरी विकास और पर्यावरण सुरक्षा की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम साबित होगी।