गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने अंतरराष्ट्रीय शिक्षा सहयोग की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बढ़ाते हुए वियतनाम की दो प्रसिद्ध यूनिवर्सिटियों- ‘हो ची मिन्ह सिटी यूनिवर्सिटी ऑफ इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंस’ और ‘हो ची मिन्ह सिटी यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी’ के साथ आपसी समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर किए हैं।
यह एमओयू लखनऊ स्थित राजभवन के गांधी हॉल में संपन्न हुआ, जहां उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल की उपस्थिति में यह करार हुआ। कार्यक्रम में प्रदेश के नौ विश्वविद्यालयों के कुलपति, आईआईटी कानपुर के प्रतिनिधि तथा वियतनाम से आए उच्च स्तरीय शैक्षणिक प्रतिनिधिमंडल भी उपस्थित रहे।
इस समझौते का उद्देश्य भारत और वियतनाम के बीच शिक्षा, अनुसंधान और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को नई ऊंचाई देना है। एमओयू के माध्यम से दोनों देशों के शिक्षण संस्थान एक साझा मंच पर काम करेंगे, जिससे छात्रों को वैश्विक स्तर पर बेहतर अवसर और exposure प्राप्त होगा।
शिक्षा और शोध में सहयोग के नए अवसर
इस एमओयू के तहत गोरखपुर विश्वविद्यालय और वियतनाम की यूनिवर्सिटियाँ संयुक्त रूप से शिक्षा और शोध के क्षेत्र में काम करेंगी। दोनों देशों के बीच छात्र और शिक्षक आदान-प्रदान कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिससे शैक्षणिक अनुभवों और सांस्कृतिक दृष्टिकोणों का आदान-प्रदान संभव हो सकेगा।
इसके अतिरिक्त, संयुक्त शोध परियोजनाओं, इंटर्नशिप और नवाचार कार्यक्रमों के जरिए कौशल विकास पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। समझौते में यह भी शामिल है कि दोनों देशों के विश्वविद्यालय संयुक्त, द्वैतिक और ट्विनिंग डिग्री प्रोग्राम्स शुरू करेंगे, जिससे विद्यार्थियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त डिग्रियाँ प्राप्त होंगी।
इससे गोरखपुर विश्वविद्यालय न केवल भारत में बल्कि वैश्विक शैक्षणिक मानचित्र पर अपनी पहचान मजबूत करेगा। एमओयू के माध्यम से अनुसंधान गतिविधियों में भी तेजी आएगी, जहां दोनों देशों के विशेषज्ञ मिलकर विज्ञान, प्रौद्योगिकी, वाणिज्य, प्रबंधन, समाजशास्त्र और अन्य विषयों में शोध करेंगे। इस तरह के सहयोग से छात्रों को न केवल शिक्षा में विविधता मिलेगी, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे।
कुलपति ने वियतनाम प्रतिनिधियों को दिया बुद्धभूमि आने का निमंत्रण
गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने इस एमओयू को विश्वविद्यालय के इतिहास में एक मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा कि यह समझौता गोरखपुर विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाएगा और छात्रों के लिए ज्ञान, कौशल और नवाचार के नए द्वार खोलेगा। उन्होंने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी प्रेरणा और सहयोग से विश्वविद्यालय लगातार शिक्षा क्षेत्र में नई ऊंचाइयां छू रहा है।
कुलपति ने वियतनाम से आए अतिथियों को बुद्धभूमि कुशीनगर आने का निमंत्रण भी दिया, ताकि वे भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को नजदीक से समझ सकें। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय की ओर से प्रोफेसर दिनेश यादव, प्रोफेसर अनुशुति दुबे, डॉ. रामवंत गुप्ता और कुलसचिव धीरेंद्र श्रीवास्तव भी उपस्थित रहे।
इस अवसर पर दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने साझा रूप से यह विश्वास व्यक्त किया कि यह साझेदारी दीर्घकालिक होगी और शिक्षा, नवाचार तथा सांस्कृतिक सहयोग के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम करेगी। गोरखपुर विश्वविद्यालय का यह प्रयास न केवल प्रदेश के उच्च शिक्षा क्षेत्र में प्रगतिशील सोच का प्रतीक है, बल्कि यह एशियाई देशों के बीच अकादमिक साझेदारी को भी सशक्त करेगा।