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गोरखपुर विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में राज्यपाल बोलीं – “हर छात्र के भीतर छिपा है मोदी”

आनंदीबेन पटेल ने युवाओं से कहा – मेहनत से पहचान बनाइए, संस्कार और मूल्यों को जीवन का आधार बनाइए, 76 मेधावियों को मिले पदक

Gorakhpur News: Governor Anandiben Patel inspires students at convocation, 76 medals awarded

गोरखपुर विश्वविद्यालय का 44वां दीक्षांत समारोह सोमवार को गंभीर नाथ प्रेक्षागृह में आयोजित हुआ, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल मौजूद रहीं। उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि “हर छात्र के भीतर हजारों मोदी छिपे हुए हैं, बस आवश्यकता है अपनी क्षमता को पहचानने और जिम्मेदारी उठाने की।” उन्होंने युवाओं को मेहनत और मूल्यों को जीवन का आधार बनाने की सलाह दी। उनके अनुसार केवल धन को महत्व देना पर्याप्त नहीं है, बल्कि संस्कार और जिम्मेदारी को भी जीवन में प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्होंने स्वर्ण पदक पाने वाले विद्यार्थियों को बधाई दी और कहा कि जिन विद्यार्थियों को मेडल नहीं मिला है, उन्हें हतोत्साहित होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि अवसर और सफलता मेहनत से हासिल की जा सकती है। इस दौरान उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय और उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं। वहीं पद्मश्री प्रो. आशुतोष शर्मा, आईआईटी कानपुर ने विशेष व्याख्यान दिया और उन्हें मानद डीएससी की उपाधि प्रदान की गई।

76 मेधावियों को पदक, छात्राओं का दबदबा

समारोह में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कुल 76 विद्यार्थियों को मेडल प्रदान किए। इनमें 56 छात्राएं और 20 छात्र शामिल रहे। यह आंकड़ा दर्शाता है कि शैक्षणिक उपलब्धियों में बेटियां लगातार अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। सबसे अधिक ध्यान खींचने वाली छात्रा प्रियंका रहीं, जिन्हें एक साथ सात स्वर्ण पदक मिले। प्रियंका ने एमए की पढ़ाई की है और उनके पिता, जो किसान हैं, ने कहा कि बेटी ने उनका सपना पूरा कर दिया। उन्होंने भावुक होकर बताया कि चाहे कितनी भी आर्थिक कठिनाई क्यों न आए, वे बेटी की पढ़ाई कभी रुकने नहीं देंगे। इसी तरह इप्सिता ओझा को एमएससी प्राणी विज्ञान में पहले स्थान पर आने के लिए पांच मेडल मिले। इप्सिता ने कहा कि वह आगे नेट-जेआरएफ की तैयारी करेंगी और इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और शिक्षकों को देती हैं। वहीं, शिवम सिंह को एमएससी गणित में पदक मिला और उन्होंने असिस्टेंट प्रोफेसर बनने का सपना साझा किया। मनोविज्ञान विभाग से सौम्या शाही को सम्मानित किया गया और उन्होंने आगे शोध कार्य जारी रखने की इच्छा जताई।

समारोह का महत्व और भविष्य की दिशा

दीक्षांत समारोह न केवल विद्यार्थियों की उपलब्धियों का सम्मान करने का अवसर था बल्कि यह संदेश देने का भी मंच बना कि मेहनत और मूल्यों पर आधारित जीवन ही वास्तविक सफलता की ओर ले जाता है। राज्यपाल ने अपने संबोधन में युवाओं को राष्ट्र निर्माण की जिम्मेदारी संभालने का आह्वान किया और कहा कि आज का युवा कल का कर्णधार है। समारोह में दी गई प्रेरणा और छात्रों के अनुभवों ने साबित किया कि गोरखपुर विश्वविद्यालय की नई पीढ़ी शिक्षा और शोध के क्षेत्र में बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी इस आयोजन के माध्यम से यह संकेत दिया कि वह विद्यार्थियों को केवल डिग्री नहीं बल्कि समाज के लिए जिम्मेदार नागरिक बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

गोरखपुर विश्वविद्यालय का यह दीक्षांत समारोह न केवल 76 मेधावियों की मेहनत और प्रतिभा का सम्मान था बल्कि यह उन तमाम विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बना जिन्हें अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए लगातार प्रयासरत रहना है। राज्यपाल का संदेश युवाओं के लिए यह याद दिलाने वाला है कि असली सफलता मेहनत, संस्कार और जिम्मेदारी से ही आती है और इन्हीं मूल्यों से राष्ट्र का भविष्य तय होगा।

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