दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी ने कैंपस में छात्रों की सुरक्षा और अनुशासन को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए रैगिंग पर रोक लगाने की दिशा में ठोस कदम उठाया है। कुलपति प्रो. पूनम टंडन के निर्देश पर तीन अलग-अलग स्तर की समितियां गठित की गई हैं। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि कैंपस में रैगिंग जैसी किसी भी गतिविधि को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। इस फैसले का मकसद नए छात्रों को सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल उपलब्ध कराना है, ताकि वे बिना किसी भय के अपनी शिक्षा पर ध्यान केंद्रित कर सकें।
एंटी-रैगिंग कमेटी, स्क्वाड और मॉनिटरिंग सेल की भूमिका
यूनिवर्सिटी की एंटी-रैगिंग कमेटी की चेयरपर्सन खुद कुलपति होंगी। इसमें प्रशासन और पुलिस विभाग के अधिकारियों के साथ ही एनजीओ प्रतिनिधि, फैकल्टी डीन और छात्रों के प्रतिनिधि शामिल किए गए हैं। यह समिति व्यापक स्तर पर नीतियों और फैसलों को लागू करने का कार्य करेगी। इसके अलावा एंटी-रैगिंग स्क्वाड का गठन किया गया है, जिसमें फैकल्टी डीन, यूनिवर्सिटी इंजीनियर और हॉस्टल वार्डन शामिल होंगे। यह स्क्वाड कैंपस और हॉस्टल्स में लगातार निगरानी रखेगा और किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत कार्रवाई करेगा। वहीं, रैगिंग मॉनिटरिंग सेल की अध्यक्षता भी कुलपति करेंगी। इस सेल में वरिष्ठ डीन, रजिस्ट्रार और कंट्रोलर प्रो. विनय कुमार सिंह सदस्य होंगे। मॉनिटरिंग सेल का काम एंटी-रैगिंग उपायों के कार्यान्वयन की समीक्षा करना और कॉलेजों के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करना होगा।
जीरो टॉलरेंस नीति और छात्रों के लिए संदेश
कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने स्पष्ट किया है कि रैगिंग को लेकर यूनिवर्सिटी में जीरो टॉलरेंस पॉलिसी अपनाई गई है। किसी भी तरह की शिकायत मिलते ही तुरंत जांच होगी और दोषी पाए जाने वाले छात्रों पर सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने सभी छात्रों, अभिभावकों और फैकल्टी से अपील की है कि वे इस नीति के पालन में सहयोग करें और यदि कहीं भी रैगिंग की गतिविधि दिखे तो तुरंत सूचना दें। यह कदम न केवल संस्थान की शैक्षणिक गरिमा को बढ़ाएगा बल्कि छात्रों को सुरक्षित माहौल में पढ़ाई करने का अवसर भी देगा।
गोरखपुर यूनिवर्सिटी का यह निर्णय छात्रों की सुरक्षा और सम्मानजनक वातावरण सुनिश्चित करने की दिशा में अहम कदम है। एंटी-रैगिंग कमेटी, स्क्वाड और मॉनिटरिंग सेल की सक्रियता से न केवल नए छात्रों को राहत मिलेगी, बल्कि कैंपस में अनुशासन और विश्वास का माहौल भी मजबूत होगा। इससे यह संदेश जाता है कि यूनिवर्सिटी किसी भी हालत में रैगिंग जैसी नकारात्मक प्रवृत्ति को पनपने नहीं देगी।