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Gorakhpur News : गोरखपुर में करंट लगने से चाचा-भतीजे की मौत, ग्रामीणों का आक्रोश, बिजली विभाग पर लापरवाही का आरोप

Gorakhpur news in hindi : डुमरी गांव में बिजली का तार टाइट करते समय बड़ा हादसा, परिजनों व ग्रामीणों ने सड़क पर रखे शव, अधिकारियों से कड़ी कार्रवाई की मांग

Crowd protesting after electrocution death in Gorakhpur | Gorakhpur News

गोरखपुरउत्तर प्रदेश – गोरखपुर जिले के सहजनवा थाना क्षेत्र के अंतर्गत डुमरी गांव में शुक्रवार को एक हृदयविदारक हादसा सामने आया, जिसने पूरे गांव को शोक और आक्रोश में डूबा दिया। जानकारी के अनुसार 30 वर्षीय चंद्रेश कुमार और उनके 60 वर्षीय चाचा राम बेलास बिजली का तार टाइट करने के प्रयास में करंट की चपेट में आ गए। घटना इतनी गंभीर थी कि दोनों को तुरंत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ठर्रापार ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें बचाने में असमर्थता जताई और मृत घोषित कर दिया। बताया जा रहा है कि चंद्रेश ने अपने घर के लिए कनेक्शन लिया था, लेकिन पड़ोसियों के साथ विवाद के चलते बिजली विभाग ने उनकी शिकायत को अनदेखा कर दिया। मजबूर होकर उन्होंने करीब 400 मीटर दूर ट्रांसफार्मर से अस्थाई तार खींचकर घर में बिजली पहुंचाई थी। यह असुरक्षित व्यवस्था ही शुक्रवार सुबह उनके लिए जानलेवा साबित हुई। जब पोखरे पर मछली पालन करने वाले ग्रामीणों ने ढीले पड़े तार को कसने का अनुरोध किया, तभी लोहे का पोल छूते ही चंद्रेश करंट की चपेट में आ गए और उन्हें बचाने पहुंचे राम बेलास भी बुरी तरह झुलस गए।

ग्रामीणों का आक्रोश और बिजली विभाग पर सवाल

दुर्घटना के बाद गांव में तनाव और आक्रोश का माहौल बन गया। गुस्साए ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि बिजली विभाग की घोर लापरवाही इस हादसे की मुख्य वजह है। उनका कहना है कि बार-बार शिकायत करने के बावजूद विभागीय अधिकारियों ने कोई कदम नहीं उठाया, जिसके चलते पीड़ित परिवार को अस्थाई तार जोड़कर बिजली इस्तेमाल करनी पड़ी। घटना के बाद आक्रोशित ग्रामीणों ने सहजनवा–घघसरा मार्ग को जाम कर दिया और शवों को सड़क पर रखकर अधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। भीड़ की मांग थी कि जिम्मेदार एसडीओ और जेई पर तत्काल कड़ी कार्रवाई हो। स्थिति को संभालने के लिए चौकी प्रभारी दुर्गेश सिंह और नगर पंचायत अध्यक्ष प्रभाकर दुबे मौके पर पहुंचे और लोगों को समझाने का प्रयास किया। हालांकि लंबे समय तक चला यह प्रदर्शन इस बात की गवाही देता रहा कि ग्रामीणों का विभागीय व्यवस्था से भरोसा उठ चुका है और वे अब ठोस कदम चाहते हैं।

पीड़ित परिवार की स्थिति और गांव में मातम

हादसे में जान गंवाने वाले राम बेलास की कोई संतान नहीं थी और वे लंबे समय से अपने भतीजे चंद्रेश के साथ ही रहते थे। अब उनकी मौत ने परिवार को गहरा सदमा दिया है। वहीं, चंद्रेश की असमय मृत्यु ने उनके परिवार को पूरी तरह बेसहारा कर दिया है। उनकी पत्नी कुसुम देवी के साथ आठ वर्षीय पुत्र दिनेश और पाँच वर्षीय पुत्री अनन्या अब गहरे संकट में हैं। पूरे गांव में मातम का माहौल है और लोग परिवार को सांत्वना देने के साथ-साथ विभागीय जिम्मेदारी तय करने की मांग कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते बिजली विभाग ने शिकायतों पर ध्यान दिया होता तो यह हादसा टल सकता था। अब गांव के लोग मृतकों के परिवार को उचित मुआवजा देने और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग पर अड़े हुए हैं। इस दर्दनाक हादसे ने जहां एक ओर परिवार की खुशियां छीन लीं, वहीं दूसरी ओर प्रशासनिक लापरवाही की गंभीरता को भी उजागर कर दिया है, जो भविष्य में कई सवाल खड़े करता है कि आखिर आम नागरिकों की सुरक्षा के प्रति जिम्मेदारी कब तय होगी।

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