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गोरखपुर के तिवारीपुर थाना प्रभारी समेत तीन पुलिसकर्मी निलंबित

मारपीट और छेड़खानी के गंभीर मामले में लापरवाही, हत्या के प्रयास की धारा नहीं जोड़ने पर एसएसपी ने की सख्त कार्रवाई

Gorakhpur SSP suspends Tiwaripur SHO and two policemen for negligence

लापरवाही पर गाज, एसएसपी ने लिया सख्त फैसला

गोरखपुर जिले में पुलिस विभाग की बड़ी कार्रवाई ने क्षेत्र में चर्चा का माहौल बना दिया है। रविवार देर रात वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राज करन नय्यर ने तिवारीपुर थाना प्रभारी गौरव वर्मा, सूर्य विहार चौकी इंचार्ज अखिलेश तिवारी और एसएसआई संतोष सिंह को निलंबित कर विभागीय जांच के आदेश जारी कर दिए। मामला तिवारीपुर थाना क्षेत्र का है, जहां एक नाबालिग लड़की के साथ मारपीट और छेड़खानी का गंभीर प्रकरण दर्ज किया गया था। आरोप था कि पुलिस ने इस केस को सही तरीके से दर्ज करने की बजाय हल्की धाराओं में केस बनाकर आरोपियों को फायदा पहुंचाया। पुलिसकर्मियों ने गंभीर अपराध के बावजूद हत्या का प्रयास यानी धारा 307 लगाने से परहेज किया और इसके स्थान पर गैर इरादतन चोट और शांतिभंग की धाराओं में कार्रवाई कर दी। इस लापरवाही का पता चलते ही एसएसपी ने तुरंत कार्रवाई की और तीनों अधिकारियों को निलंबित कर जांच टीम गठित की।

घटना का पूरा विवरण और पुलिस की शुरुआती कार्रवाई

यह मामला तिवारीपुर थाना क्षेत्र के सूर्य विहार इलाके का है। यहां रहने वाली एक किशोरी की मां ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि पड़ोस में रहने वाले परिवार ने उसकी बेटी पर हमला किया। आरोपियों ने पीट-पीटकर किशोरी को बेहोश कर दिया और जब उसकी बहन बीच-बचाव करने आई तो उसे भी गंभीर चोटें पहुंचाई गईं। पीड़ित परिवार ने यह भी आरोप लगाया कि मारपीट के दौरान छेड़खानी की घटना भी हुई। इसके बावजूद पुलिस ने प्रारंभिक स्तर पर मामले को गंभीरता से नहीं लिया। 24 अगस्त को दर्ज इस प्रकरण में थाना प्रभारी और अन्य पुलिसकर्मियों ने आरोपियों के खिलाफ हत्या का प्रयास जैसी सख्त धारा लगाने के बजाय केवल गैर इरादतन चोट और शांतिभंग की धाराओं में चालान कर दिया। इससे आरोपियों को तुरंत राहत मिल गई और वे जेल जाने से बच गए। इस लापरवाही ने स्थानीय लोगों में गहरी नाराजगी पैदा कर दी और मामला शहर में चर्चा का विषय बन गया।

आरोपियों की गिरफ्तारी और विभागीय जांच की शुरुआत

एसएसपी राज करन नय्यर ने जब पूरे मामले की समीक्षा की तो पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हो गए। जांच में साफ हुआ कि आरोपियों पर धारा 307 लगाई जानी चाहिए थी। इसके बाद चार आरोपियों – मोहम्मद अतीफ उर्फ शिब्बू, उसके भाई मोहम्मद वसीम, मां शबनम और वसीम की पत्नी हसीना को हत्या के प्रयास की धारा जोड़कर गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। साथ ही इस पूरे घटनाक्रम में लापरवाही बरतने वाले थाना प्रभारी गौरव वर्मा, चौकी इंचार्ज अखिलेश तिवारी और एसएसआई संतोष सिंह को तत्काल निलंबित कर विभागीय जांच बिठा दी गई है। अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि किसी भी स्तर पर पीड़ित को न्याय से वंचित नहीं किया जाएगा और दोषी पुलिसकर्मियों को कड़ी सजा मिलेगी। इस मामले ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि पुलिस की छोटी-सी चूक भी गंभीर अपराधियों को बचाने का जरिया बन सकती है और इसी कारण उच्च अधिकारियों ने कड़ा संदेश देते हुए यह कार्रवाई की है।

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