गोरखपुर के गोलघर पार्क रोड स्थित समाजवादी पार्टी के दिवंगत नेता और पूर्व विधायक स्वर्गीय केदारनाथ सिंह के बंगले को लेकर सोमवार को बड़ा विवाद खड़ा हो गया। राजस्व विभाग की टीम भारी पुलिस बल के साथ बंगला खाली कराने पहुंची तो परिजनों और समर्थकों ने इसका कड़ा विरोध किया। विरोध करते हुए कार्यकर्ता सड़क पर बैठ गए और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। करीब एक एकड़ क्षेत्रफल में फैली इस जमीन को लेकर परिवार का कहना है कि यह नजूल की जमीन है, जिसे आज़ादी के बाद 99 साल की लीज पर स्व. केदारनाथ सिंह को आवंटित किया गया था। परिवार अब तक उसी पुराने खपड़ैल मकान में रह रहा है, जो उसी भूखंड पर बना हुआ है। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि प्रशासन, विवादित पक्ष को संरक्षण देकर परिवार को जबरन बेदखल करने की कोशिश कर रहा है। इस दौरान सैंथवार मल्ल सभा और अन्य सपा कार्यकर्ताओं ने सड़क जाम कर माहौल को और गरमा दिया।
परिजनों और नेताओं का आरोप, पक्षपात कर रहा प्रशासन
परिवार के सदस्यों और सभा नेताओं ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना था कि कुछ स्थानीय प्रभावशाली लोग फर्जी दस्तावेज़ों के सहारे बंगले पर कब्जा जमाना चाहते हैं और प्रशासन इसमें उनका साथ दे रहा है। प्रदर्शन का नेतृत्व सभा के नेता डॉ. कृष्ण भान सिंह ने किया। उन्होंने कहा कि बंगला और जमीन स्व. केदारनाथ सिंह व उनके परिवार का वैध अधिकार है, लेकिन प्रशासन प्रतिमा हटाने और परिजनों को जबरन हटाने की कार्रवाई कर रहा है। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने अपना पक्षपातपूर्ण रवैया जारी रखा तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। वहीं, लोगों का कहना था कि प्रशासन की यह कार्रवाई परिवार की गरिमा और स्मृति को ठेस पहुंचाने वाली है। प्रदर्शनकारी बार-बार यह दोहराते रहे कि यह मामला सिर्फ जमीन का नहीं, बल्कि स्व. केदारनाथ सिंह की राजनीतिक विरासत और सम्मान से जुड़ा है।
पुलिस और प्रशासन अलर्ट, वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे
बंगले को खाली कराने की कार्रवाई जैसे ही शुरू हुई, इलाके का माहौल तनावपूर्ण हो गया। परिजनों और कार्यकर्ताओं द्वारा सड़क जाम कर दिए जाने से पुलिस-प्रशासन को हालात संभालने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। मौके पर SP सिटी अभिनव त्यागी, ADM सिटी अंजनी कुमार सिंह, सिटी मजिस्ट्रेट उत्कर्ष श्रीवास्तव, SDM सदर दीपक गुप्ता, CO कैंट योगेंद्र सिंह और तहसीलदार ज्ञान प्रताप सिंह पहुंचे। अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत कर स्थिति को शांत करने की कोशिश की। बंगले के आसपास अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई है और प्रशासन हालात पर लगातार नजर बनाए हुए है। उल्लेखनीय है कि पूर्व DM के. विजयेंद्र पांडियन के कार्यकाल में भी नजूल की जमीन पर बने कई बंगलों को खाली कराया गया था और उस दौरान भी प्रशासन को भारी विरोध का सामना करना पड़ा था। फिलहाल विवाद की जांच और दोनों पक्षों से वार्ता की प्रक्रिया जारी है, ताकि किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति से बचा जा सके।
गोरखपुर का यह विवाद प्रशासनिक कार्रवाई और राजनीतिक हस्तक्षेप का एक ज्वलंत उदाहरण बन गया है। जहां एक ओर परिवार और समर्थक इसे सम्मान और विरासत का मुद्दा मान रहे हैं, वहीं प्रशासन इसे नजूल जमीन से जुड़ा मामला बताकर नियमों के तहत कार्रवाई का दावा कर रहा है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि यह विवाद बातचीत और कानूनी प्रक्रिया से सुलझता है या आंदोलन और तेज होकर बड़े राजनीतिक टकराव का रूप लेता है।