गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर में स्मार्ट मीटर घोटाले को लेकर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने जोरदार विरोध दर्ज कराया है। समिति ने आरोप लगाया कि घोटाले में शामिल असली दोषियों को बचाने के लिए अभियंताओं को बलि का बकरा बनाया जा रहा है। संघर्ष समिति ने कहा कि जीनस कंपनी ने विभाग की रिजेक्टेड लिस्ट में छेड़छाड़ की और अभियंताओं की आईडी से उसे अप्रूव कर दिया। यह घटना 17 सितंबर की आधी रात को हुई और इसके बाद अभियंताओं को निलंबित कर दिया गया, जो पूरी तरह अन्यायपूर्ण है। समिति ने निलंबित अभियंताओं की तत्काल बहाली और मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। समिति का कहना है कि अगर जांच निष्पक्ष रूप से कराई गई, तो स्मार्ट मीटर घोटाले का पूरा सच सामने आ जाएगा और दोषियों पर कार्रवाई करना आसान होगा।
प्रबंधन पर मिलीभगत और निष्क्रियता के आरोप
समिति ने मुख्य अभियंता गोरखपुर इ. आशुतोष श्रीवास्तव पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने जीनस कंपनी के साथ साठगांठ कर अभियंताओं पर कार्रवाई कराई। समिति का आरोप है कि मुख्य अभियंता और उच्च प्रबंधन ने अब तक इस मामले में कोई जांच समिति गठित नहीं की, जिससे साफ है कि वे जीनस कंपनी को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। कर्मचारियों ने कहा कि जब इस मामले में बातचीत के लिए मुख्य अभियंता से मुलाकात की गई, तो उन्होंने कर्मचारियों को धमकी दी कि अन्यायपूर्ण कार्रवाई जारी रहेगी। संघर्ष समिति ने इस रवैये को पूरी तरह अलोकतांत्रिक बताया है और कहा कि इस तरह की धमकियां कर्मचारियों का मनोबल गिराने का काम कर रही हैं।
निजीकरण विरोध और आंदोलन की तैयारी
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने घोषणा की है कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में चल रहा आंदोलन 300 दिन पूरे कर चुका है। इसी क्रम में समिति ने 23 सितंबर को लखनऊ समेत पूरे प्रदेश में व्यापक विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है। इस आंदोलन में बिजली विभाग के कर्मचारी, संविदा कर्मी, जूनियर इंजीनियर और अभियंता हिस्सा लेंगे। समिति का कहना है कि संशोधित RFP डॉक्यूमेंट निजी घरानों के हित में तैयार किया गया है और इससे पहले से तय कंपनियों को लाभ पहुंचाने की साजिश रची गई है। समिति ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की है कि किसी भी कीमत पर निजीकरण को मंजूरी न दी जाए और स्मार्ट मीटर घोटाले में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि मांगें पूरी नहीं की गईं, तो आंदोलन को और व्यापक किया जाएगा और राज्यव्यापी हड़ताल पर भी विचार किया जाएगा।