गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर के गोरखनाथ थाना क्षेत्र स्थित शारदापुरी कॉलोनी इन दिनों भय और असुरक्षा के माहौल से गुजर रही है। यहां के निवासियों ने गंभीर आरोप लगाया है कि कुछ भूमाफिया किस्म के लोग लगातार कॉलोनी के पार्क पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं। यह पार्क न केवल बच्चों के खेलने का स्थान है, बल्कि बुजुर्गों और महिलाओं के लिए भी एकमात्र खुली जगह है जहाँ लोग रोजाना टहलते, पूजा करते और सामुदायिक गतिविधियों में शामिल होते थे। लगभग 60 परिवारों वाली इस कॉलोनी में करीब 200 से 250 लोग रहते हैं, जिनका जीवन अब डर के साये में बीत रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कब्जे की कोशिशों के चलते अब बच्चे पार्क में खेलने नहीं जाते और महिलाएं भी पूजा के लिए बाहर निकलने से कतराने लगी हैं। पार्क के आसपास बढ़ती गतिविधियों से लोगों में दहशत है।
पार्क से जुड़ी लोगों की भावनाएं
कॉलोनी के निवासी अरविंद मणि ने बताया कि पार्क की सीमा के अंदर एक पुराना पीपल का पेड़ है, जो वर्षों से श्रद्धा का केंद्र रहा है। कॉलोनी की महिलाएं प्रतिदिन वहाँ पूजा-अर्चना करने जाया करती थीं, लेकिन अब डर के माहौल में वह भी रुक गई है। उन्होंने बताया कि कॉलोनी की नक्शानुमा योजना में पार्क का स्पष्ट उल्लेख है, इसलिए निवासियों की मांग है कि इस भूमि को हर हाल में पार्क के रूप में ही संरक्षित किया जाए।
प्रेम शंकर श्रीवास्तव, जो 1994 से कॉलोनी में रह रहे हैं, ने कहा कि उन्होंने उस समय यहाँ जमीन इसलिए खरीदी थी क्योंकि उन्हें सड़क और पार्क जैसी सुविधाएं दिखी थीं। लेकिन कुछ वर्षों से कुछ प्रभावशाली लोगों द्वारा इस सार्वजनिक जगह पर कब्जा करने के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं। बताया गया कि ये लोग आए दिन कॉलोनी में पहुंचकर धमकियां देते हैं और विरोध करने वालों को डराने की कोशिश करते हैं।
प्रशासनिक कार्रवाई की मांग
दुर्गेश्वर सिंह, जो कॉलोनी के पुराने निवासी हैं, ने प्रशासन से अपील की है कि इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पार्क को कब्जे से मुक्त कराया जाए और इसका सौंदर्यीकरण करवाया जाए ताकि कॉलोनीवासी चैन की सांस ले सकें। उन्होंने कहा कि यह पार्क न केवल बच्चों के खेल का स्थान है बल्कि कॉलोनी की हरियाली और स्वच्छ वातावरण का भी प्रतीक है। प्रेम शंकर श्रीवास्तव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अनुरोध किया है कि वे इस मुद्दे पर संज्ञान लें और स्थानीय प्रशासन को सख्त निर्देश दें कि पार्क की जमीन पर कोई भी गैरकानूनी निर्माण न हो सके। स्थानीय लोगों ने यह भी बताया कि पहले पार्क में लगी बेंच पर “शारदापुरी कॉलोनी पार्क” लिखा हुआ था, लेकिन कुछ असामाजिक तत्वों ने उस नाम को मिटाने की कोशिश की, जिससे उनके इरादों पर और भी सवाल उठने लगे हैं।
कॉलोनीवासियों का कहना है कि अगर इस पार्क को कब्जे से नहीं बचाया गया तो यह जगह ही नहीं, बल्कि समुदाय की पहचान और सामाजिक जुड़ाव का केंद्र भी समाप्त हो जाएगा। उन्होंने मांग की है कि प्रशासन न केवल इस भूमि को सुरक्षित रखे बल्कि इसे विकसित कर बच्चों और बुजुर्गों के लिए सुरक्षित, सुंदर और उपयोगी पार्क के रूप में पुनर्स्थापित करे।