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गोरखपुर में सीरतुन्नबी सेमिनार संपन्न: विजेताओं को उमराह पैकेज और पुरस्कार

Gorakhpur news in hindi : धर्मगुरुओं और शिक्षाविदों ने इस्लाम के शांति, बराबरी और तालीम के संदेश पर की चर्चा

Seeratun Nabi Seminar in Gorakhpur with Umrah Package Prize Distribution _ Gorakhpur News

गोरखपुरउत्तर प्रदेश – गोरखपुर के गाजी रौजा स्थित एक मैरेज हाउस में रविवार को सीरतुन्नबी सेमिनार और प्रतियोगिता का शानदार आयोजन हुआ, जिसमें शहर और आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में धर्मगुरु, शिक्षाविद, समाजसेवी और छात्र-छात्राएं शामिल हुए। यह कार्यक्रम मकतब इस्लामियात, अल कलम एसोसिएशन, जामिया अल इस्लाह एकेडमी और ट्रैवेल प्वाइंट के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया। मुख्य आकर्षण प्रतियोगिता के विजेताओं को दिए गए पुरस्कार रहे, जिनमें ट्रॉफी, शील्ड, मेडल और उमराह डिस्काउंट वाउचर शामिल थे। फ्री ग्रुप की विजेता डॉ. शाजी मलिक को विशेष रूप से फ्री उमराह पैकेज प्रदान किया गया, जिससे समारोह में उत्साह और बढ़ गया। कार्यक्रम के दौरान मंच पर कई गणमान्य अतिथि उपस्थित थे जिन्होंने अपने विचार साझा किए और प्रतिभागियों को प्रोत्साहित किया।

इस्लाम का पैगाम और तालीम पर जोर

मुख्य अतिथि और जामिया हमदर्द यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली के प्रोफेसर डॉ. सैयद फजलुल्लाह चिश्ती ने अपने संबोधन में कहा कि ईद मिलादुन्नबी केवल पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पैदाइश का दिन नहीं है, बल्कि यह दिन पूरी इंसानियत को अमन, भाईचारे और बराबरी का संदेश देता है। उन्होंने शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि मां बच्चे का पहला स्कूल होती है और इसलिए हर मां का शिक्षित होना जरूरी है ताकि वह आने वाली पीढ़ियों को सही दिशा दे सके। डॉ. चिश्ती ने कहा कि मुस्लिम बच्चियों की खुशहाल जिंदगी के लिए अच्छी तालीम और दीनदारी दोनों आवश्यक हैं। उन्होंने युवाओं को समाज में सकारात्मक योगदान देने और इस्लाम के असली पैगाम को समझने का आह्वान किया।

महिलाओं को मिले अधिकार और समाज में उनकी भूमिका

संचालन कर रहे कारी मुहम्मद अनस रजवी ने कहा कि इस्लाम धर्म ने 1500 साल पहले ही महिलाओं को वह सम्मान और अधिकार दिए थे जो कई आधुनिक कानून भी पूरी तरह नहीं दे पाए हैं। उन्होंने मां के पैरों तले जन्नत करार देने की हदीस का उल्लेख करते हुए कहा कि इस्लाम में महिलाओं को ऊंचा दर्जा दिया गया है। शरीयत के मुताबिक जीवन जीकर मुस्लिम महिलाएं समाज में आगे बढ़ रही हैं और शिक्षा के माध्यम से अपनी पहचान बना रही हैं। समारोह में मुफ्ती अख्तर हुसैन, शादाब अहमद, हाफिज रहमत अली निजामी, नेहाल अहमद, आसिफ महमूद, मौलाना महमूद रजा, मुख्तार अहमद, मौलाना जहांगीर अहमद, मुफ्ती मुहम्मद अजहर शम्सी, हाजी फैज अहमद, शहबाज सिद्दीकी और बेलाल अहमद समेत बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को सफल बनाया। प्रतिभागियों और अतिथियों ने आयोजन को सराहते हुए इसे समाज में आपसी भाईचारे और शांति के संदेश को मजबूत करने वाला बताया।

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