गोरखपुर में 13 नवम्बर को स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अंतर्गत मंडल स्तरीय समीक्षा बैठक का आयोजन होने जा रहा है। यह बैठक गोरखपुर नगर निगम कार्यालय में आयोजित की जाएगी, जिसकी अध्यक्षता उपनिदेशक पंचायत हिमांशु शेखर ठाकुर करेंगे। बैठक का प्रमुख उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन और सफाई व्यवस्था को और अधिक प्रभावी बनाना है। इसके तहत गोरखपुर मंडल के सभी जिला पंचायत राज अधिकारी (DPRO) को उपस्थित रहने के निर्देश जारी किए गए हैं। इस बैठक में अब तक विभिन्न जिलों में अपनाए गए सफाई मॉडलों का तुलनात्मक विश्लेषण किया जाएगा। फिलहाल प्रत्येक जिले ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत अपनी-अपनी परिस्थितियों के अनुसार अलग-अलग मॉडल विकसित किए हैं, लेकिन अब योजना यह है कि सबसे सफल और कारगर मॉडल को पूरे मंडल में लागू किया जाए ताकि स्वच्छता के प्रयासों में एकरूपता लाई जा सके। अधिकारियों का कहना है कि इससे न केवल सफाई व्यवस्था में सुधार होगा, बल्कि कचरे के वैज्ञानिक निस्तारण और पुनःप्रयोग की दिशा में भी ठोस कदम उठाए जा सकेंगे। यह समीक्षा बैठक इस दिशा में एक निर्णायक पहल साबित हो सकती है, क्योंकि अब तक जिला स्तर पर हो रही बैठकों में कई बार योजनाओं के क्रियान्वयन में असमानता देखी गई है। ऐसे में मंडल स्तर पर सभी जिलों की कार्ययोजनाओं की एकसमान समीक्षा से न केवल सफल योजनाओं की पहचान होगी बल्कि उन कमजोर बिंदुओं को भी दूर किया जा सकेगा जिनसे सफाई व्यवस्था प्रभावित होती रही है।
सभी जिलों के DPRO देंगे प्रेजेंटेशन, साझा करेंगे सफलता और चुनौतियों का अनुभव
बैठक में गोरखपुर मंडल के अंतर्गत आने वाले सभी जिलों के DPRO अपने-अपने क्षेत्रों में चल रही स्वच्छता योजनाओं का पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन प्रस्तुत करेंगे। वे बताएंगे कि उनके जिले में कूड़ा कलेक्शन की प्रक्रिया किस तरह संचालित हो रही है, किन क्षेत्रों में क्या चुनौतियां आईं और किन उपायों के माध्यम से उनका समाधान किया गया। विशेष ध्यान इस बात पर दिया जाएगा कि ग्रामीण इलाकों में गीले और सूखे कचरे का पृथक्करण कितनी प्रभावशीलता से किया जा रहा है और निस्तारण के लिए कौन-सी तकनीकें अपनाई जा रही हैं। उपनिदेशक पंचायत ने निर्देश दिया है कि प्रत्येक जिले को अपने नवाचारों और प्रयोगों की जानकारी विस्तार से साझा करनी होगी, ताकि जो मॉडल सबसे ज्यादा परिणामकारी सिद्ध हो, उसे पूरे मंडल में लागू किया जा सके। बैठक में यह भी विचार किया जाएगा कि डोर-टू-डोर कलेक्शन व्यवस्था को और अधिक वैज्ञानिक व पारदर्शी कैसे बनाया जाए। साथ ही, कचरा एकत्र करने वाले वाहनों की रूटिंग प्रणाली, ग्राम पंचायतों की निगरानी भूमिका और स्थानीय समुदाय की सहभागिता जैसे बिंदुओं पर भी चर्चा प्रस्तावित है। अधिकारी मानते हैं कि यदि गांवों में लोगों को इस प्रक्रिया से जोड़ने के लिए प्रशिक्षण और जागरूकता बढ़ाई जाए, तो सफाई व्यवस्था को स्थायी और आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। यह पहल भविष्य में स्वच्छता को केवल सरकारी कार्यक्रम नहीं बल्कि सामुदायिक आंदोलन का स्वरूप दे सकती है।
सफाई में तकनीकी सुधार और सामुदायिक भागीदारी पर जोर, पूरे मंडल में लागू होगी नई नीति
बैठक में तकनीकी नवाचारों और आधुनिक उपकरणों के उपयोग पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा। उपनिदेशक पंचायत ने संकेत दिया है कि आने वाले महीनों में सफाई व्यवस्था में आईटी-आधारित मॉनिटरिंग सिस्टम, जीपीएस-सक्षम वाहनों की रूट मैपिंग और रीयल-टाइम रिपोर्टिंग जैसे प्रावधान लागू करने की दिशा में काम होगा। इससे न केवल कचरा संग्रहण प्रक्रिया की पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि सफाई कार्यों की निगरानी भी सरल और सटीक हो सकेगी। अधिकारियों के अनुसार, बैठक का एक और अहम एजेंडा ग्राम स्तर पर स्वच्छता समितियों की सक्रियता को बढ़ाना है। इन समितियों को ग्राम पंचायतों के साथ मिलकर स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने और निगरानी की जिम्मेदारी दी जाएगी। साथ ही, जनजागरूकता अभियान चलाकर ग्रामीणों को यह समझाया जाएगा कि सफाई केवल प्रशासनिक दायित्व नहीं बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी भी है। ग्रामीण स्तर पर युवाओं और महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने की योजना भी बनाई जा रही है। बैठक में तय किए गए निर्णयों को जल्द ही एक क्रियान्वयन योजना के रूप में तैयार किया जाएगा, ताकि दिसंबर के पहले सप्ताह तक पूरे मंडल में एक समान सफाई मॉडल लागू किया जा सके। प्रशासन का मानना है कि इस पहल से गोरखपुर मंडल ग्रामीण स्वच्छता प्रबंधन के क्षेत्र में एक आदर्श उदाहरण बन सकता है, जहां पारंपरिक व्यवस्था के साथ आधुनिक तकनीक और सामुदायिक सहयोग का संयोजन होगा। यह समीक्षा बैठक केवल एक प्रशासनिक औपचारिकता नहीं बल्कि ग्रामीण स्वच्छता को नए स्तर पर ले जाने की दिशा में ठोस और दीर्घकालिक कदम साबित हो सकती है।




