गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर की प्रमुख नदियाँ राप्ती और रोहिनी खतरे के निशान से नीचे आ गई हैं। राप्ती नदी का जलस्तर अब 74.630 मीटर पर है, जो खतरे के निशान से 0.35 मीटर कम है, जबकि रोहिनी नदी का जलस्तर 82.030 मीटर पर पहुंचा, जो 0.41 मीटर नीचे है। इस गिरावट के बावजूद नदी किनारे बसे कई निचले इलाकों में पानी जमा हुआ है। प्रभावित क्षेत्र में बाढ़ का पानी अभी भी लोगों के घरों और खेतों तक पहुंचा हुआ है, जिससे दैनिक जीवन प्रभावित हो रहा है।
बाढ़ प्रभावित 15 गांव और राहत कार्य
राप्ती नदी के किनारे भटपुरवा, केवटान, कोइलीखास, पिडहनी, मरकड़ी, खोहियापट्टी, हिंगुहार, लखनौरी, लखनौरा, मोहन पौहरिया, मछरगांवा, सूबेदारनगर माझा, बिहुआ (अगलगौवा), मंझरियां और बड़गों गांव अब भी बाढ़ के पानी से जूझ रहे हैं। ग्रामीणों को घरों और खेतों से निकलने में कठिनाई हो रही है। कई लोग फंसे हुए इलाके से बाहर निकलने के लिए प्रयासरत हैं। राष्ट्रीय आपदा राहत बल (NDRF) और राज्य आपदा राहत बल (SDRF) की टीमें चौबीसों घंटे अलर्ट मोड में हैं। प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाने और राहत कार्य तेजी से करने के लिए सभी दल पूरी तरह तैयार हैं।
प्रशासन की सतर्कता और भविष्य की तैयारियां
स्थानीय जिला और नगर प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित इलाकों में सतर्कता बढ़ा दी है। अधिकारियों की टीमें लगातार प्रभावित इलाकों का दौरा कर स्थिति का आकलन कर रही हैं। ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर जाने और घरों में सतर्क रहने की चेतावनी दी गई है। बाढ़ के कारण घरों और खेतों में पानी भरने से रोजमर्रा के कामकाज में बाधा उत्पन्न हुई है और कई जगहों पर भोजन और पेयजल की समस्या भी उत्पन्न हो रही है। प्रशासन ने नदी किनारे सतत निगरानी और अलर्ट व्यवस्था को मजबूत किया है ताकि किसी भी अप्रत्याशित स्थिति में तुरंत राहत प्रदान की जा सके।