गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर में रामलीला का विशेष स्थान है। हर वर्ष नवरात्रि और विजयदशमी के पावन अवसर पर यहां का रामलीला मैदान, मानसरोवर (गोरखनाथ) भगवान श्रीराम की लीलाओं का सजीव मंच बन जाता है। 2025 में आर्यनगर स्थित श्री रामलीला समिति (रजि.) अपने 108वें वर्ष का आयोजन कर रही है। यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि गोरखपुर की समृद्ध लोक संस्कृति और परंपराओं का जीवंत दर्पण भी है।
नवरात्रि और दशहरा : आस्था और विजय का पर्व
नवरात्रि जहां शक्ति की उपासना का पर्व है, वहीं दशहरा असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है। इन नौ दिनों में माता दुर्गा की पूजा-अर्चना के साथ-साथ भगवान श्रीराम की लीला का मंचन समाज को मर्यादा, धर्म, त्याग और आदर्शों का संदेश देता है।
गोरखपुर की रामलीला, जिसे श्रद्धालु प्रतिदिन देखने आते हैं, हर वर्ष अपनी भव्यता और विविधता के कारण विशेष पहचान रखती है।
23 सितम्बर 2025 (मंगलवार) की रामलीला
इस दिन रामलीला मंच पर भगवान श्रीराम के जन्म से लेकर पुष्प वाटिका प्रसंग तक की लीलाओं का मंचन हुआ।
- श्रीराम जन्म – अयोध्या में प्रभु श्रीराम के प्राकट्य का भावपूर्ण दृश्य प्रस्तुत किया गया, जिसे देखकर दर्शक भाव-विभोर हो उठे।
- विश्वामित्र आगमन एवं अहिल्या उद्धार – महर्षि विश्वामित्र के साथ प्रभु का आगमन और उनके द्वारा अहिल्या का उद्धार, लीला के दिव्य और करुणामयी पक्ष को उजागर करता है।
- पुष्प वाटिका प्रसंग – जहां जनकन्या सीता और श्रीराम का प्रथम मिलन हुआ, उसे बड़े ही मनोहारी और आकर्षक ढंग से प्रस्तुत किया गया।
इन लीलाओं के दौरान कलाकारों की भावपूर्ण अदायगी और संवादों ने दर्शकों को ऐसा अनुभव कराया मानो वे वास्तव में त्रेतायुग की घटनाओं को सजीव देख रहे हों। श्रद्धालु देर रात तक मंचन का आनंद लेते रहे और पूरे मैदान में “जय श्रीराम” के जयघोष गूंजते रहे।
मुख्य अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति
इस दिन के कार्यक्रम में विशेष रूप से महापौर गोरखपुर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव बतौर अतिथि पधारे। उनके साथ ही मंच पर कमलेश कुमार अग्रवाल, अनुप किशोर अग्रवाल, सौरभ सिंह, डॉ. सुश्रेया तिवारी, डॉ. सिद्धनाथ तिवारी, विपुल त्रिपाठी, शिवम पांडे और माधव अग्रवाल जैसे शहर के प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों ने उपस्थिति दर्ज कराई।


2025 का विस्तृत कार्यक्रम और लीलाओं का विवरण
स्थान : रामलीला मैदान, मानसरोवर (गोरखनाथ), गोरखपुर
22 सितम्बर 2025 (सोमवार) – शाम 7 बजे
- उद्घाटन समारोह
- गणेश पूजन, नारद मोह, पृथ्वी पुकार
23 सितम्बर 2025 (मंगलवार) – शाम 7 बजे
- श्रीराम जन्म
- विश्वामित्र आगमन, अहिल्या उद्धार, पुष्प वाटिका
24 सितम्बर 2025 (बुधवार) – शाम 7 व 8 बजे
- धनुष यज्ञ, परशुराम संवाद
- श्रीराम बारात प्रस्थान व विवाह
25 सितम्बर 2025 (गुरुवार) – शाम 6 बजे
- मंथरा कैकेयी संवाद
- दशरथ कैकेयी संवाद
- श्रीराम वनगमन (संकट)
26 सितम्बर 2025 (शुक्रवार) – शाम 7 बजे
- वन यात्रा
- श्रीराम-लक्ष्मण-सीता का प्रयाण
- गुह संवाद, भरद्वाज आश्रम आगमन
27 सितम्बर 2025 (शनिवार) – शाम 7 बजे
- केवट संवाद
- श्रवण कुमार, दशरथ मृत्यु
28 सितम्बर 2025 (रविवार) – शाम 7 बजे
- श्रीराम जी का चित्रकूट आगमन
- भरत मिलाप, चित्रकूट से अयोध्या वापसी
29 सितम्बर 2025 (सोमवार) – शाम 7 बजे
- पंचवटी प्रवेश, शूर्पणखा
30 सितम्बर 2025 (मंगलवार) – शाम 7 बजे
- सीता हरण, जटायु वध, शबरी आश्रम
01 अक्टूबर 2025 (बुधवार) – शाम 7 बजे
- हनुमान जी की भेंट, सुग्रीव मैत्री
- बालि वध, सीता की खोज, लंका दहन
02 अक्टूबर 2025 (गुरुवार) – शाम 4 बजे
- महान संत योगी आदित्यनाथ जी का आशीर्वचन
- कुम्भकर्ण वध, मेघनाथ वध
03 अक्टूबर 2025 (शुक्रवार) – शाम 8 बजे
- लक्ष्मण शक्ति, सुसेन वैद्य प्रसंग, कालनेमि प्रसंग
04 अक्टूबर 2025 (शनिवार) – रात 12 बजे
- अहिरावण वध, रावण वध एवं भव्य आतिशबाजी
- भरत मिलाप (शोभायात्रा द्वारा श्रीराम-जानकी को मंदिर से अयोध्या बाजार, बेनीगंज, रायगंज होते हुए पुनः मंच पर लाया जाएगा)
05 अक्टूबर 2025 (रविवार) – शाम 7 बजे
- श्रीराम राज्याभिषेक
- भरत मिलाप मंच पर सम्पन्न
विशेष आकर्षण
- परंपरागत झांकियां और संवाद, जिनमें भगवान श्रीराम के जीवन के प्रत्येक प्रसंग को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया जाएगा।
- आतिशबाजी और शोभायात्रा, जो गोरखपुर की रामलीला की विशिष्टता है।
- संत महात्माओं का आशीर्वचन, विशेषकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का आगमन।
- हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति, जो इसे नवरात्रि और दशहरा के बीच का सबसे बड़ा सांस्कृतिक आयोजन बनाती है।
गोरखपुर की यह रामलीला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि लोकसंस्कृति, आस्था और सामाजिक समरसता का अद्भुत संगम है। 108वें वर्ष का यह आयोजन और भी विशेष है क्योंकि यह एक ऐतिहासिक परंपरा का निरंतर प्रवाह है।
जब नवरात्रि की भक्ति, दशहरा का उत्सव और रामलीला का मंचन एक साथ होता है, तो यह जन-जन के लिए अध्यात्म और सांस्कृतिक गौरव का अमूल्य अवसर बन जाता है।