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रेलवे स्टेशन की लिफ्ट में फंस जाएं तो घबराएं नहीं: जानें इमरजेंसी में अपनाने वाले जरूरी कदम और सुरक्षा के उपाय

स्टेशन पर छह में से केवल तीन लिफ्टें काम कर रहीं; हाल की घटना ने सुरक्षा व्यवस्था पर उठाए सवाल, जानिए ऐसी स्थिति में क्या करें और क्या नहीं

Passengers rescued from stuck lift at Gorakhpur Railway Station | Gorakhpur News

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर रेलवे स्टेशन से हर दिन हजारों यात्री यात्रा करते हैं, जिनमें बड़ी संख्या बुजुर्गों, महिलाओं, बच्चों और शारीरिक रूप से कमजोर यात्रियों की होती है। उनकी सुविधा के लिए स्टेशन परिसर में छह लिफ्ट और दो एस्केलेटर लगाए गए हैं, ताकि प्लेटफॉर्म बदलने में उन्हें दिक्कत न हो। लेकिन वर्तमान स्थिति देखकर साफ है कि रखरखाव की कमी यात्रियों के लिए परेशानी का कारण बन रही है। फिलहाल स्टेशन पर सिर्फ तीन लिफ्टें और एक एस्केलेटर ही काम कर रहे हैं, जबकि बाकी लंबे समय से खराब पड़े हैं। हाल ही में सामने आए एक मामले ने रेलवे की लिफ्ट सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्लेटफॉर्म नंबर 5-6 पर लगी लिफ्ट नंबर-6 अचानक बंद हो गई, जिसमें लगभग दस यात्री फंस गए थे। इनमें तीन छोटे बच्चे भी शामिल थे। बटन दबाने के बाद दरवाजा बंद हो गया, लेकिन लिफ्ट ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। कुछ मिनटों में ही यात्रियों के बीच घबराहट फैल गई। बच्चे रोने लगे और अंदर का माहौल तनावपूर्ण हो गया। सूचना मिलते ही जीआरपी के दो जवान और तकनीकी टीम मौके पर पहुंचे। करीब 30 मिनट की मशक्कत के बाद दरवाजा खोला गया और सभी यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। किसी के घायल न होने से राहत की सांस ली गई, मगर इस घटना ने रखरखाव और निगरानी प्रणाली की कमजोरियों को उजागर कर दिया।

अगर लिफ्ट में फंस जाएं तो घबराएं नहीं, इन आपात कदमों से सुरक्षित निकलें

ऐसी किसी घटना के दौरान सबसे जरूरी है कि यात्री शांत रहें और घबराने से बचें। रेलवे विशेषज्ञों का कहना है कि हर लिफ्ट में एक आपातकालीन बटन होता है जिसे दबाने पर तुरंत कंट्रोल रूम या स्टेशन स्टाफ को सूचना मिल जाती है। इसके अलावा अधिकांश लिफ्टों में इंटरकॉम या स्पीकर की सुविधा दी गई होती है, जिससे यात्रियों का संपर्क सीधा लिफ्ट ऑपरेटर या स्टेशन मास्टर कार्यालय से हो सकता है। अगर यह विकल्प काम न करे तो मोबाइल फोन से सहायता के लिए कॉल किया जा सकता है। यात्रियों के लिए रेलवे हेल्पलाइन नंबर 139, जीआरपी कंट्रोल रूम (0551-2200431) और स्टेशन मास्टर कार्यालय का नंबर लिफ्ट के अंदर सूचना बोर्ड पर लिखा होता है, जिनसे तुरंत संपर्क करना चाहिए। यदि मोबाइल नेटवर्क या कॉल की सुविधा न हो तो बाहर ध्यान आकर्षित करने के लिए दरवाजा पीटकर या आवाज देकर मदद मांगी जा सकती है। विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि कभी भी दरवाजा जबरन खोलने या लिफ्ट की छत से बाहर निकलने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इससे दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है। बिजली जाने की स्थिति में लिफ्ट कभी-कभी झटका खा सकती है, इसलिए शांत रहकर सहायता आने का इंतजार करना ही सबसे सुरक्षित विकल्प होता है। इन सावधानियों को अपनाने से न केवल घबराहट कम होती है, बल्कि हादसे का जोखिम भी घट जाता है।

नियमित रखरखाव और निगरानी से टल सकते हैं हादसे, रेलवे प्रशासन पर उठे सवाल

गोरखपुर रेलवे स्टेशन उत्तर भारत के सबसे व्यस्त स्टेशनों में से एक है, जहां रोजाना हजारों यात्री सफर करते हैं। ऐसे में लिफ्ट और एस्केलेटर की सुरक्षा सुनिश्चित करना रेलवे प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी है। विशेषज्ञों का मानना है कि स्टेशन जैसी भीड़भाड़ वाली जगह पर इन सुविधाओं की नियमित तकनीकी जांच, सर्विसिंग और आपात प्रशिक्षण बेहद जरूरी है। अगर रखरखाव समय पर न हो तो ऐसी घटनाएं बड़ी दुर्घटनाओं में भी बदल सकती हैं। यात्रियों ने मांग की है कि स्टेशन पर हर लिफ्ट के पास इमरजेंसी गाइडलाइन स्पष्ट रूप से लिखी हो और वहां हेल्पलाइन नंबर हमेशा अपडेट रहें। स्थानीय यात्रियों का कहना है कि अक्सर लिफ्टें खराब रहती हैं और शिकायतों के बाद भी सुधार में समय लगता है। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, तकनीकी टीमों को निर्देश दिया गया है कि सभी लिफ्टों की व्यापक जांच की जाए और जिनमें खराबी है, उन्हें जल्द दुरुस्त किया जाए। वहीं सुरक्षा विशेषज्ञों ने यह भी सुझाव दिया कि स्टेशन स्टाफ को समय-समय पर मॉक ड्रिल के माध्यम से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए ताकि ऐसी किसी स्थिति में तुरंत और प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया दी जा सके। यात्रियों को भी यह समझना चाहिए कि तकनीकी खराबी के दौरान शांत रहना, नियमों का पालन करना और इमरजेंसी सिस्टम का सही इस्तेमाल करना ही सुरक्षित रहने का सबसे सही तरीका है।

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