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गोरखपुर में प्राइवेट बस अड्डों की नई नीति लागू, 2 एकड़ जमीन और 10 साल की अनुमति अनिवार्य

सड़क किनारे बसों की अव्यवस्था खत्म करने की कवायद, यात्रियों को मिलेंगी आधुनिक सुविधाएं और निवेश को बढ़ावा

Gorakhpur News: New private bus stand policy requires 2 acres land, 10-year permit

गोरखपुर में लगातार बढ़ते ट्रैफिक जाम और सड़क किनारे खड़ी प्राइवेट बसों की अव्यवस्था से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने नई नीति लागू की है। डीएम की अध्यक्षता में हुई बैठक में “उत्तर प्रदेश स्टेज कैरिज बस अड्डा, कॉन्ट्रैक्ट कैरिज और ऑल इंडिया टूरिस्ट बस पार्क स्थापना एवं विनियमन नीति 2025” को लेकर चर्चा हुई और इसके क्रियान्वयन का रोडमैप तय किया गया। इस नीति का उद्देश्य शहर के प्रमुख प्रवेश मार्गों पर आधुनिक और व्यवस्थित बस अड्डों का निर्माण करना है, जिससे यातायात सुचारू हो सके और यात्रियों को बेहतर सुविधाएं मिलें। वर्तमान में नंदानगर, खजांची और नौ सड़ जैसे स्थानों से प्राइवेट बसें संचालित होती हैं, जहां यात्रियों के लिए मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। नई व्यवस्था लागू होने के बाद यह समस्या काफी हद तक खत्म होने की उम्मीद है।

प्राइवेट बस अड्डों के लिए सख्त मानक और 10 साल की अनुमति

नई नीति के तहत किसी भी निजी बस अड्डे की स्थापना के लिए न्यूनतम दो एकड़ जमीन होना अनिवार्य है। इस परिसर में बस पार्किंग, टिकट काउंटर, यात्रियों के लिए इंतजार की सुविधा, शौचालय, पेयजल, बैठने की व्यवस्था और सुरक्षा इंतजाम करना होगा। आवेदन करने वाले की नेटवर्थ कम से कम 50 लाख रुपये और पिछले वित्तीय वर्ष का टर्नओवर दो करोड़ रुपये से अधिक होना चाहिए। अपर नगर आयुक्त निरंकार सिंह ने बताया कि एक ही मार्ग पर एक से अधिक बस अड्डे की अनुमति नहीं दी जाएगी। स्वीकृत आवेदन पर पहली बार 10 साल के लिए संचालन की मंजूरी दी जाएगी और निर्धारित शर्तों का पालन करते हुए इसे अगले 10 साल के लिए बढ़ाया जा सकेगा। इच्छुक लोगों से आवेदन आमंत्रित किए गए हैं और जो भी तय मानक पूरे करेंगे उन्हें बस अड्डा संचालित करने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।

निवेश और रोजगार को मिलेगा बढ़ावा

अधिकारियों का मानना है कि इस नई नीति से न केवल यातायात की स्थिति में सुधार होगा बल्कि प्राइवेट सेक्टर में निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा। शहर के प्रवेश मार्गों पर आधुनिक बस अड्डे बनने से सड़क किनारे खड़ी बसों से होने वाले जाम की समस्या समाप्त होगी और यात्रियों को सुरक्षित व आरामदायक सुविधाएं मिलेंगी। इसके अलावा, इन परियोजनाओं में स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। फिलहाल गोरखपुर के जिन प्राइवेट बस अड्डों से बसें संचालित हो रही हैं, वहां यात्रियों को बैठने की जगह, पेयजल और शौचालय जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं। नंदानगर और खजांची जैसे स्थानों पर बसें सड़क पर खड़ी रहती हैं जबकि नौ सड़ में पेट्रोल पंप पर ही यात्रियों को बैठाया जाता है। नई नीति से इन अव्यवस्थाओं पर रोक लगेगी और गोरखपुर एक बेहतर परिवहन ढांचे की ओर बढ़ेगा।

गोरखपुर में लागू हुई यह नई नीति केवल यातायात प्रबंधन तक सीमित नहीं है बल्कि यह शहर की छवि और भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाई गई है। आधुनिक बस अड्डों की स्थापना से जहां यात्रियों को सुविधाएं मिलेंगी वहीं शहर में सुव्यवस्थित परिवहन व्यवस्था की दिशा में यह एक बड़ा कदम साबित हो सकता है। आने वाले दिनों में इसके क्रियान्वयन की गति और पारदर्शिता यह तय करेगी कि यह योजना कितनी सफल रहती है।

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