गोरखपुर के शाहपुर थाना क्षेत्र के बिछिया इलाके में प्राइवेट बैंक खोलकर लोगों से करोड़ों रुपये ठगने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। पीड़ितों का आरोप है कि वर्ष 2016 से संचालित इस बैंक में एजेंट नियुक्त किए गए, जो लोगों से खाता खोलने और रोजाना पैसे जमा कराने का काम करते थे। खाताधारकों को बाकायदा रसीदें दी जाती थीं, जिससे वे इसे पूरी तरह वैध मान बैठे। एजेंटों का वेतन भी इसी बैंक के माध्यम से दिया जाता था। पीड़ित एजेंटों का कहना है कि ग्राहकों को लुभाने के लिए कई आकर्षक योजनाएं चलाई गईं। एफडी पर पांच साल में दोगुना और छह साल में तीन गुना रिटर्न का वादा किया गया। इस लालच में आकर बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी गाढ़ी कमाई यहां जमा कर दी। पीड़ितों के मुताबिक, पति-पत्नी समेत तीन लोग इस बैंक को चलाते थे और अकसर मोटी रकम अपने कब्जे में कर ले जाते थे।
करोड़ों की ठगी और अचानक बंद हुआ बैंक
एजेंटों ने बताया कि बैंक में करीब 1500 खाताधारकों की लगभग 5 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जमा है। सिर्फ एजेंटों का ही 13.40 लाख रुपये से ज्यादा बैंक में फंसा हुआ है। ग्राहकों और एजेंटों का कहना है कि संचालक ने पिछले कुछ वर्षों में बिछिया क्षेत्र में कई जमीनें खरीदीं और तीन मंजिला मकान भी बनवाया। रक्षाबंधन के बाद 15 अगस्त को बैंक के बाहर स्वतंत्रता दिवस की छुट्टी का पोस्टर चिपका दिया गया और 17 अगस्त तक कार्यालय बंद कर दिया गया। इसी दौरान एजेंटों को फोन कर कहा गया कि वे अब कलेक्शन का काम बंद कर दें क्योंकि वह लोग नेपाल जा रहे हैं। इसके बाद से संचालकों के मोबाइल बंद हो गए और बैंक पर ताला लटक गया। अचानक हुई इस घटना से खाताधारक और एजेंट दोनों परेशान हो गए हैं और अब वे लगातार अपने पैसों की मांग कर रहे हैं।
पीड़ितों की गुहार और पुलिस की कार्रवाई
शुक्रवार को पीड़ित एजेंट कंचन यादव, नितीश कुमार, सूरज चौरसिया, अजय कुमार, विनोद तिवारी, रामअवतार, संतोष और सेराज समेत कई लोग एसपी सिटी अभिनव त्यागी से मिले और कार्रवाई की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि बैंक के तीनों पार्टनर नेपाल भाग चुके हैं और अब उनके पैसे डूबने का खतरा है। एसपी सिटी ने पीड़ितों की शिकायत लेकर जांच का आश्वासन दिया है। फिलहाल पुलिस मामले की गहन पड़ताल में जुट गई है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि कितने लोगों के पैसे फंसे हैं और ठगों ने अब तक कितना लाभ उठाया। एजेंटों का कहना है कि संचालक की इस हरकत से उनकी साख भी खराब हो रही है क्योंकि ग्राहकों की नाराजगी और दबाव का सामना वही लोग कर रहे हैं।
गोरखपुर में सामने आया यह प्राइवेट बैंक घोटाला न केवल हजारों परिवारों की जमा-पूंजी को डुबोने वाला है बल्कि स्थानीय स्तर पर वित्तीय सुरक्षा व्यवस्था की खामियों को भी उजागर करता है। पांच से छह साल तक लोगों को झूठे वादों में फंसाकर करोड़ों की ठगी करने वाले संचालक अब नेपाल भाग गए हैं। पुलिस की कार्रवाई और जांच के बाद ही तय हो पाएगा कि क्या पीड़ितों को उनका पैसा वापस मिल पाएगा या यह मामला लंबे समय तक कानूनी पचड़ों में उलझा रहेगा।