गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर जोन-1 में बिजली निगम ने बड़ा कदम उठाते हुए पांच अभियंताओं को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के एमडी के आदेश पर की गई इस कार्रवाई में तीन अधिशासी अभियंता और दो सहायक अभियंता शामिल हैं। इन पर आरोप है कि उन्होंने वर्क फोर्स मैनेजमेंट (WFM) आईडी का पासवर्ड सुरक्षित नहीं रखा, गोपनीय दस्तावेज लीक किए और विभाग की छवि को नुकसान पहुंचाया। मामला पुराने मीटर बदलने से जुड़े क्वालिटी चेक (QC-3) चरण का है। जानकारी के मुताबिक 17 सितंबर की शाम से 18 सितंबर की सुबह तक गोरखपुर जोन-1 में 3037 रिजेक्टेड केस अचानक अप्रूव कर दिए गए। इस पर संदेह जताते हुए अधिशासी अभियंता ने उच्च अधिकारियों को जानकारी दी थी। अभियंताओं का कहना है कि इस गड़बड़ी में उनकी कोई भूमिका नहीं है, बल्कि उन्होंने ही इसे उजागर किया था। इसके बावजूद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया।
अभियंता संघ का आरोप और कंपनी पर निशाना
अभियंता संघ ने इस कार्रवाई को पूरी तरह अन्यायपूर्ण बताया है। उनका कहना है कि पासवर्ड जीनस कंपनी तैयार करती है और वही सिस्टम को एक्सेस करती है। विश्वकर्मा पूजा के दिन रात 3 बजे तक अप्रूवल दिए गए, जबकि कोई अभियंता उस समय काम नहीं करता। अभियंताओं का आरोप है कि उनकी आईडी हैक की गई और कंपनी ने बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया। अभियंता संगठन का कहना है कि उन्होंने इस पूरे मामले की जानकारी 18 सितंबर को लिखित रूप से अधिकारियों को दी थी और कंपनी को पत्र भी लिखा गया था। इसके बावजूद बिना जांच कराए केवल अभियंताओं पर कार्रवाई कर दी गई। संगठन का आरोप है कि यह कदम कंपनी को बचाने के लिए उठाया गया है। अभियंताओं ने स्पष्ट कहा कि यह घटना सिर्फ गोरखपुर जोन में हुई है जबकि अन्य जोनों में जांच की प्रक्रिया अपनाई जा रही है।
उच्च स्तरीय जांच की मांग और आंदोलन की तैयारी
राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ ने मुख्य अभियंता आशुतोष श्रीवास्तव पर आरोप लगाया है कि उन्होंने बिना किसी जांच के सीधे सस्पेंशन की संस्तुति कर दी। संगठन का कहना है कि मुख्य अभियंता से मुलाकात के दौरान जब अभियंताओं ने अपनी बात रखनी चाही, तो उन्हें यह कहकर टाल दिया गया कि अन्याय हुआ है और आगे भी होता रहेगा। अभियंताओं ने इस बयान को बेहद गंभीर मानते हुए आंदोलन की तैयारी शुरू कर दी है। संघ के सहायक सचिव पुष्पेंद्र सिंह ने कहा कि इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए क्योंकि इसमें कंपनी और कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर हेराफेरी हुई है। उनका कहना है कि रीडिंग स्टोर को उपभोक्ताओं से मिलकर न्यूनतम करने और पुराने मीटर प्रस्तुत न करने का खेल कंपनी कर रही है। अभियंताओं ने चेतावनी दी है कि यदि निष्पक्ष जांच नहीं हुई और अभियंताओं की बहाली नहीं की गई, तो पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन और हड़ताल की रणनीति बनाई जाएगी। यह मामला अब सिर्फ गोरखपुर तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि राज्यव्यापी आंदोलन का रूप ले सकता है।