गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2025 के लिए मतदाता सूची का पुनरीक्षण अभियान अंतिम चरण में है। 19 अगस्त से शुरू हुई यह प्रक्रिया 29 सितंबर तक चलेगी और इसके बाद अंतिम आंकड़े सामने आएंगे। अब तक 2 लाख 6 हजार लोगों ने नया मतदाता बनने के लिए आवेदन किया है, जबकि 82 हजार ऐसे नाम चिन्हित हुए हैं जिन्हें सूची से हटाया जाएगा। ये वे लोग हैं जो या तो अब इस क्षेत्र में निवास नहीं करते या फिर जिनका निधन हो चुका है। बीएलओ लगातार घर-घर जाकर लोगों का विवरण अपडेट कर रहे हैं और योग्य लोगों को सूची में शामिल कर रहे हैं। सबसे अधिक आवेदन कैंपियरगंज ब्लॉक से आए हैं जहां 22 हजार से ज्यादा लोगों ने नाम जुड़वाने की पहल की है। इसके अलावा ब्रह्मपुर, खजनी, चरगांवा और पिपरौली ब्लॉकों से भी बड़ी संख्या में आवेदन आए हैं।
पुनरीक्षण कार्यक्रम और प्रक्रिया की समयसीमा
निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूची पुनरीक्षण के लिए विस्तृत कार्यक्रम तय किया है। 30 सितंबर से 6 अक्टूबर तक निर्वाचक गणना पत्रक के आधार पर परिवर्धन, संशोधन और विलोपन से जुड़ी तैयारियां पूरी की जाएंगी। 7 अक्टूबर से 24 नवंबर तक ड्राफ्ट नामावलियों की कंप्यूटरीकृत पांडुलिपि तैयार होगी और 5 दिसंबर को अनंतिम सूची प्रकाशित की जाएगी। इसके बाद 6 से 12 दिसंबर तक दावे और आपत्तियां दर्ज कराई जा सकेंगी। 13 से 19 दिसंबर के बीच इन आपत्तियों का निस्तारण होगा और 15 जनवरी को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी। इस प्रक्रिया से सुनिश्चित होगा कि सूची पूरी तरह अद्यतन और सटीक हो।
डुप्लीकेट वोटर रोकने के लिए स्टेट वोटर नंबर प्रणाली
इस बार पंचायत चुनाव की मतदाता सूची में डुप्लीकेसी रोकने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने नई व्यवस्था लागू की है। प्रत्येक मतदाता को छह अक्षरों वाला एक यूनिक स्टेट वोटर नंबर (SVN) आवंटित किया गया है। इसमें पहले तीन अक्षर संबंधित ब्लॉक के नाम से जुड़े होते हैं, चौथा अक्षर मतदाता के लिंग को दर्शाता है, जबकि अंतिम दो अक्षर ‘AA’ के रूप में अंकित किए जाते हैं। इसके बाद मतदाता का सीरियल नंबर जुड़ता है। इस तकनीक से यदि किसी का नाम और उसके पिता का नाम समान भी है तो भी डुप्लीकेसी पकड़ना आसान होगा। यह व्यवस्था मतदाता को अपना नाम ढूंढने और सत्यापित करने में भी मदद करेगी। सभी बीएलओ को उपलब्ध कराई गई सूची में SVN तीसरे अंतिम कॉलम में अंकित है, जिसे देखकर लोग स्वयं भी अपना नाम जांच सकते हैं। आयोग का मानना है कि इस व्यवस्था से न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी बल्कि मतदाता सूची पूरी तरह निष्पक्ष और सटीक बनेगी।