गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – अभिनेत्री से साध्वी बनीं ममता कुलकर्णी एक बार फिर सुर्खियों में हैं। तीन दिन के गोरखपुर प्रवास के दौरान उन्होंने मंगलवार को एक होटल में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऐसा बयान दिया जिससे बवाल खड़ा हो गया। ममता ने कहा कि अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम आतंकी नहीं है और उसने मुंबई बम ब्लास्ट नहीं करवाया। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, जिसके बाद संत समाज और किन्नर अखाड़े में नाराजगी फैल गई। ममता ने साफ किया कि वह दाऊद से कभी नहीं मिलीं और अब पूरी तरह से अध्यात्म के मार्ग पर हैं। उन्होंने कहा कि न राजनीति से कोई संबंध है न फिल्म इंडस्ट्री से, अब जीवन सिर्फ आध्यात्मिक साधना के लिए समर्पित है। विवाद बढ़ने पर ममता को अपने बयान से पलटते हुए सफाई देनी पड़ी। उन्होंने कहा कि उनका बयान गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया और उन्होंने वास्तव में विक्की गोस्वामी के संदर्भ में बात की थी, दाऊद इब्राहिम के नहीं। उन्होंने कहा कि “दाऊद इस देश का टेररिस्ट है और रहेगा, मेरा उससे कोई लेना-देना नहीं है।” ममता कुलकर्णी इन दिनों नाथ संप्रदाय से जुड़ी आध्यात्मिक गतिविधियों में सक्रिय हैं। बुधवार को उन्होंने गोरखनाथ मंदिर पहुंचकर बाबा गोरक्षनाथ के दर्शन किए, साधु-संतों से मुलाकात की और भजन संध्या में भी हिस्सा लिया। उन्होंने बताया कि उनका नाथ संप्रदाय से जुड़ाव आध्यात्मिक है और यह संबंध उनके गुरु गगन गिरि महाराज के आशीर्वाद से 1995 में शुरू हुआ। ममता ने यह भी बताया कि उन्होंने बारह वर्षों तक एक ही स्थान पर रहकर ब्रह्मचर्य का पालन किया और 2016 से 2025 तक निरंतर साधना के बाद उन्हें सिद्धि प्राप्त हुई। वे कहती हैं कि गुरु के चरणों में ही उन्हें वास्तविक आत्मसंतोष मिला।
संत समाज और किन्नर अखाड़े में ममता के बयान पर विरोध, जांच की मांग
ममता कुलकर्णी के बयान ने संत समाज और किन्नर अखाड़े में रोष फैला दिया। किन्नर जगतगुरु हिमांगी सखी ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ममता दाऊद की भेजी हुई कठपुतली हैं और सनातन धर्म के साथ खिलवाड़ कर रही हैं। उन्होंने कहा कि “जो व्यक्ति मुंबई ब्लास्ट जैसे जघन्य अपराध के आरोपी को निर्दोष बताए, उसके खिलाफ जांच होनी चाहिए। ऐसे लोगों को अखाड़े से बाहर निकाल देना चाहिए।” वहीं, मुजफ्फरनगर योग साधना आश्रम के प्रमुख संत यशवीर महाराज ने ममता को ‘राष्ट्रविरोधी’ करार देते हुए कहा कि उनकी महामंडलेश्वर की पदवी तुरंत वापस ली जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि “जो व्यक्ति देश के दुश्मनों का बचाव करे, वह साधु कहलाने का अधिकारी नहीं। संत वस्त्र पहनने से कोई संत नहीं बनता, उसके लिए राष्ट्रभक्ति आवश्यक है।” दूसरी ओर, कुछ साधु-संतों ने यह भी कहा कि ऐसे बयानों से सनातन परंपरा की मर्यादा आहत होती है। पूरे विवाद ने धार्मिक समुदाय में बहस छेड़ दी है कि क्या फिल्मी दुनिया से आने वाले व्यक्ति को बिना दीर्घ तपस्या के साधु पद पर आसीन किया जा सकता है। ममता कुलकर्णी के विरोध में जारी इस तीखी प्रतिक्रिया के बाद उन्होंने मीडिया से बातचीत में स्पष्ट किया कि उनके बयान को तोड़ा-मरोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि वे सिर्फ विक्की गोस्वामी के संदर्भ में बात कर रही थीं, जिसका विस्फोट से कोई संबंध नहीं था। उन्होंने कहा कि उनका मकसद किसी भी आतंकी या अपराधी का बचाव करना नहीं था।
विवादों से भरा रहा ममता कुलकर्णी का जीवन, फिल्म इंडस्ट्री से साध्वी तक की यात्रा
ममता कुलकर्णी का जीवन हमेशा विवादों और चर्चाओं से घिरा रहा है। 90 के दशक में बॉलीवुड की चर्चित अभिनेत्री रहीं ममता ने शाहरुख खान, सलमान खान, अजय देवगन और अनिल कपूर जैसे दिग्गज सितारों के साथ काम किया। उन्होंने 1993 में फिल्म ‘आशिक आवारा’ के लिए बेस्ट डेब्यू एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवॉर्ड जीता। लेकिन उसी वर्ष स्टारडस्ट मैगजीन के लिए करवाए गए टॉपलेस फोटोशूट से वे विवादों में आ गईं। बाद में फिल्म ‘चाइना गेट’ की शूटिंग के दौरान निर्देशक राजकुमार संतोषी से उनका मतभेद हुआ और उन पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए। इसके बाद धीरे-धीरे उन्होंने बॉलीवुड से दूरी बना ली। उनके निजी जीवन में भी विवाद गहराए जब उनका नाम दुबई के ड्रग माफिया विक्की गोस्वामी से जुड़ा। रिपोर्ट्स के मुताबिक दोनों के बीच नजदीकियां थीं, हालांकि ममता ने कभी शादी की बात स्वीकार नहीं की। उन्होंने कहा कि अब उनका पहला और अंतिम प्रेम सिर्फ ईश्वर हैं। 2013 में उन्होंने अपनी आत्मकथा ‘ऑटोबायोग्राफी ऑफ ए योगिनी’ में लिखा कि वे सांसारिक मोह-माया छोड़कर पूर्ण रूप से अध्यात्म को समर्पित हो चुकी हैं। वर्ष 2024 में प्रयागराज महाकुंभ के दौरान उन्हें किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई थी, जिससे नया विवाद खड़ा हुआ। योग गुरु बाबा रामदेव और पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री समेत कई संतों ने उनके इस पद पर आसीन होने पर आपत्ति जताई थी। हालांकि बाद में उन्होंने पद छोड़ने की घोषणा की, लेकिन दो दिन बाद इस्तीफा वापस ले लिया। गोरखपुर में दिए उनके हालिया बयान ने एक बार फिर यह प्रश्न खड़ा कर दिया है कि क्या मनोरंजन जगत से जुड़े लोगों को धार्मिक नेतृत्व की भूमिका में स्थान देना उचित है। इस विवाद के बाद ममता ने स्पष्ट कहा कि वे सिर्फ साधना और सनातन धर्म की सेवा में लगी हैं। उनका कहना है कि बीते वर्षों में उन्होंने आत्मिक शांति पाई है और वे चाहती हैं कि समाज उन्हें उनके वर्तमान रूप में ही देखे, न कि उनके अतीत से जोड़े। फिलहाल उनका विवादित बयान सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है और संत समाज से लेकर आम जनता तक में इस पर बहस जारी है।




