गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर के डिसेंट हॉस्पिटल से जुड़े स्वास्थ्य बीमा घोटाले की जांच में पुलिस को एक और बड़ी सफलता मिली है। हॉस्पिटल के मैनेजर की गिरफ्तारी के बाद जब उसका कंप्यूटर खंगाला गया तो उसमें से कई ऐसे दस्तावेज मिले जिन्होंने पूरे मामले को और गहराई तक उजागर कर दिया। इन फाइलों में चार अन्य नर्सिंग होम से जुड़े मेल मौजूद थे, जिनमें बीमा कंपनियों को फर्जी क्लेम भेजे गए थे। आरोपियों ने कंप्यूटर से डाटा डिलीट करने की कोशिश की थी ताकि जांच को गुमराह किया जा सके, लेकिन पुलिस की तकनीकी टीम ने कई अहम फाइलें रिकवर कर ली हैं। अधिकारियों का कहना है कि अब इन नर्सिंग होम्स पर भी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। यही नहीं, शहर के कुछ बड़े डॉक्टरों की संलिप्तता के भी संकेत मिले हैं, जिनसे आने वाले दिनों में पूछताछ संभव है।
कंपनी की शिकायत से खुला घोटाला
यह घोटाला तब सामने आया जब बजाज आलियांस फाइनेंस कंपनी ने पुलिस से संपर्क किया। शिकायत में बताया गया कि दिल्ली निवासी सत्यदीप के नाम पर 1.80 लाख रुपये का फर्जी हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम जारी हुआ, जबकि सत्यदीप अस्पताल आया ही नहीं था। जब इस दावे की जांच हुई तो उसने खुद पुष्टि की कि उसका इलाज कभी वहां नहीं हुआ। इस खुलासे के बाद पुलिस ने सबसे पहले डिसेंट हॉस्पिटल के संचालक शमशुल और उसके साझेदार प्रवीण उर्फ विकास त्रिपाठी को गिरफ्तार किया। पूछताछ में पता चला कि इन दोनों ने गोरखपुर और बस्ती स्थित अपने अस्पतालों में 15 फर्जी मरीजों के नाम पर 1.20 करोड़ रुपये का बीमा क्लेम कराया था। जांच आगे बढ़ने पर गगहा निवासी कथित डॉक्टर अफजल और हॉस्पिटल मैनेजर का नाम भी उजागर हुआ, जिन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ की गई। दोनों ने बताया कि मरीजों के फॉलोअप के लिए जिस एपेक्स अस्पताल का नाम दिखाया गया था, वह अस्पताल असल में अस्तित्व में ही नहीं है।
पुलिस की कड़ी निगरानी और आगे की कार्रवाई
एसपी सिटी अभिनव त्यागी ने कहा कि जांच में सामने आए सबूत बेहद मजबूत हैं और इसी आधार पर अन्य नर्सिंग होम्स पर भी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने माना कि इस मामले में और भी कई अस्पताल शामिल हो सकते हैं। फिलहाल पुलिस डिजिटल डाटा की गहन जांच कर रही है और जल्द ही बाकी दस्तावेजों को भी रिकवर करने की कोशिश की जा रही है। अधिकारियों के मुताबिक, अब तक की पड़ताल से साफ है कि यह घोटाला संगठित तरीके से किया गया और इसमें स्थानीय स्तर पर चिकित्सा संस्थानों और कुछ डॉक्टरों की गहरी संलिप्तता रही है। यह खुलासा न केवल स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र में फर्जीवाड़े की गंभीरता को दिखाता है बल्कि उन मरीजों के साथ भी धोखा है जो सही इलाज के लिए अस्पतालों पर भरोसा करते हैं। पुलिस ने आश्वासन दिया है कि दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा और इस पूरे नेटवर्क को तोड़ने के लिए जल्द निर्णायक कदम उठाए जाएंगे।