गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर में इस बार भी दुर्गा पूजा और मूर्ति विसर्जन को लेकर डीजे की तेज आवाज पर विवाद खड़ा हो गया है। मोहल्लों से गुजरने वाले जुलूसों में बजने वाले डीजे से उत्पन्न ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से सख्त कदम उठाने की मांग की है। शुक्रवार को कई नागरिक प्रतिनिधि डीएम कार्यालय पहुंचे और ज्ञापन सौंपकर कहा कि त्योहारों पर बजने वाले म्यूजिक की आवाज निर्धारित सीमा में ही होनी चाहिए। साथ ही यह भी आग्रह किया गया कि जुलूसों में अश्लील और भद्दे गानों के इस्तेमाल को तत्काल रोका जाए, क्योंकि इससे धार्मिक वातावरण की मर्यादा भंग होती है। नागरिकों का कहना है कि हर साल दशहरा और अन्य पर्वों पर डीजे के शोर से आम लोगों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ता है। वृद्ध, बच्चे और बीमार लोग इस ध्वनि प्रदूषण से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। लोगों का कहना था कि 2023 में मुख्यमंत्री के संज्ञान में आने के बाद सख्त कदम उठाए गए थे जिससे शांतिपूर्ण ढंग से मूर्ति विसर्जन हुआ, लेकिन 2024 में प्रशासन की ढिलाई के कारण ध्वनि प्रदूषण की समस्या फिर से गहरा गई।
ध्वनि प्रदूषण के बढ़ते दुष्प्रभावों पर जताई चिंता
नागरिकों ने अपने ज्ञापन में स्पष्ट किया कि प्रशासन की ओर से डीजे संचालन के लिए दो साउंड बॉक्स की अनुमति दी जाती है, लेकिन अधिकांश संचालक अतिरिक्त साउंड बॉक्स जोड़कर आवाज को अनुमन्य सीमा से कई गुना बढ़ा देते हैं। इस पर किसी प्रकार की रोक-टोक नहीं होने से लोग परेशान हैं। इसके अलावा बाजारों में उपलब्ध चीनी बेस बूस्टर और उच्च कंपन वाले स्पीकर स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा साबित हो रहे हैं। इनके कारण वृद्धजनों, बच्चों और खासकर हृदय रोगियों को गहरा नुकसान झेलना पड़ रहा है। कई मोहल्लों के लोगों का कहना है कि रात भर चलने वाले तेज शोर से नींद में खलल पड़ती है, पढ़ाई करने वाले छात्रों का ध्यान भटकता है और मानसिक तनाव की स्थिति उत्पन्न होती है। नागरिकों ने यह भी चेतावनी दी कि अगर ध्वनि प्रदूषण पर प्रशासन सख्ती से नियंत्रण नहीं करता तो आने वाले वर्षों में स्थिति और विकराल हो सकती है। विशेषज्ञों का भी मानना है कि उच्च स्तर का ध्वनि प्रदूषण लंबे समय में सुनने की क्षमता को प्रभावित करता है और हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ा देता है।
प्रशासन से की गई ठोस कार्रवाई की मांग
डीएम को सौंपे गए ज्ञापन में स्पष्ट रूप से कहा गया कि मूर्ति स्थापना स्थलों पर निरंतर बजने वाले डीजे को नियंत्रित करना आवश्यक है। नागरिकों का कहना है कि धार्मिक आस्था और उत्सव की परंपराओं को निभाना जरूरी है लेकिन इसके नाम पर नागरिकों के स्वास्थ्य और शांति से खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। विसर्जन यात्रा के दौरान बजने वाले अश्लील और अभद्र गानों पर पूरी तरह रोक लगाई जानी चाहिए। साथ ही, यदि कोई डीजे संचालक या मूर्ति स्थापना समिति नियमों का उल्लंघन करती है तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। नागरिकों ने यह भी मांग रखी कि मूर्तियों को विकृत या कार्टूननुमा रूप में बनाने पर भी प्रतिबंध लगाया जाए क्योंकि इससे लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि प्रशासन को समय रहते इस दिशा में कड़े कदम उठाने होंगे ताकि आने वाले समय में धार्मिक पर्व शांति और सौहार्द्र के साथ मनाए जा सकें। उनका मानना है कि यदि 2023 जैसी व्यवस्था लागू की जाती है तो न केवल ध्वनि प्रदूषण रोका जा सकेगा बल्कि उत्सव का माहौल भी शांतिपूर्ण और अनुशासित ढंग से संपन्न होगा। कुल मिलाकर गोरखपुर के नागरिकों ने यह साफ कर दिया है कि वे उत्सवों की परंपरा के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि चाहते हैं कि त्योहार की खुशियां सबके स्वास्थ्य और शांति के साथ साझा हों।