गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – भारत केसरी उपाधि से सम्मानित स्वर्गीय चंद्रप्रकाश मिश्र ‘गामा’ पहलवान की 25वीं पुण्यतिथि पर रूद्रपुर में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। गामा पहलवान कुश्ती जगत में अपनी विशिष्ट पहचान बनाने वाले युवा खिलाड़ी थे, जिन्होंने मात्र 30 वर्ष की आयु में ही इस दुनिया को अलविदा कह दिया। श्रद्धांजलि सभा की शुरुआत सुबह खजनी मुख्य चौराहे और समाधिनाथ बाबा मंदिर परिसर में स्थापित उनकी प्रतिमाओं पर माल्यार्पण से हुई। इसके बाद कार्यक्रम स्थल पर दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई। इस दौरान उपस्थित लोगों ने कहा कि गामा पहलवान न सिर्फ रूद्रपुर गांव की शान थे बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी उन्होंने कुश्ती की दुनिया में अपने दमखम का लोहा मनवाया था।
गणमान्य लोगों ने किया स्मरण
श्रद्धांजलि सभा में पहुंचे जनप्रतिनिधियों और गणमान्य नागरिकों ने गामा पहलवान के व्यक्तित्व और कृतित्व को याद किया। ब्लॉक प्रमुख अंशु सिंह और पूर्व विधायक संत प्रसाद बेलदार ने कहा कि गामा पहलवान को खेल जगत ही नहीं, समाज सेवा के लिए भी हमेशा याद किया जाएगा। वे युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत थे और रूद्रपुर की धरोहर होने के साथ-साथ राष्ट्रीय धरोहर भी थे। भाजपा मंडल अध्यक्ष अवध बिहारी मिश्रा, एडवोकेट धरणीधर राम त्रिपाठी, एडवोकेट विनोद पांडेय, अंशुमाली धर, भक्ति दूबे, आदर्श राम त्रिपाठी, गुलाब त्रिपाठी और ग्राम प्रधान राहुल त्रिपाठी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। सभी ने गामा पहलवान के संघर्ष, अनुशासन और समर्पण को आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायक बताया।
आयोजन की जिम्मेदारी और श्रद्धांजलि
श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता प्रेमशंकर मिश्रा ने की जबकि संचालन भाजपा जिला उपाध्यक्ष जगदीश चौरसिया ने किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में ग्रामीण और खेलप्रेमी शामिल हुए। वक्ताओं ने कहा कि गामा पहलवान ने जिस तरह से अल्पायु में ही कुश्ती जगत में पहचान बनाई, वह अद्वितीय उदाहरण है। उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा और उनकी प्रतिमाएं समाज को एकजुट होकर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती रहेंगी। श्रद्धांजलि सभा का समापन सामूहिक संकल्प के साथ हुआ कि गामा पहलवान के सपनों को साकार करने के लिए खेल और समाज सेवा दोनों क्षेत्रों में नई ऊर्जा के साथ काम किया जाएगा। यह आयोजन गामा पहलवान की याद में केवल श्रद्धांजलि ही नहीं, बल्कि नई पीढ़ी को उनकी जीवटता और संघर्षशीलता से प्रेरणा लेने का अवसर भी बना।