गोरखपुर एम्स के मेस में लंबे समय से छात्रों द्वारा भोजन की गुणवत्ता को लेकर शिकायतें उठती रही हैं। हाल ही में छात्रों ने सब्जी में कीड़ा मिलने और रायते में पानी अधिक होने की शिकायत की थी, जिसे लेकर मेस में हंगामा भी हुआ। छात्रों ने वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर भी साझा किया, जिससे प्रशासन की नींद खुली। इस घटना के बाद एम्स प्रशासन ने छात्रों के साथ भोजन करने और मेस की गुणवत्ता का औचक निरीक्षण करने के लिए डॉक्टरों को जिम्मेदारी सौंपी। यह व्यवस्था छात्रों को बेहतर और सुरक्षित भोजन सुनिश्चित कराने के लिए की गई है।
मेस कम्युनिटी कमेटी और निरीक्षण की व्यवस्था
एम्स के कार्यकारी निदेशक ने आठ सदस्यीय मेस कम्युनिटी कमेटी का गठन किया है, जिसमें वरिष्ठ डॉक्टर शामिल हैं। इस कमेटी का उद्देश्य मेस में भोजन की गुणवत्ता, सफाई और खाद्य सामग्री के रखरखाव का निरीक्षण करना है। कमेटी को निर्देश दिया गया है कि यदि भोजन की गुणवत्ता संतोषजनक न हो तो दूसरा भोजन तुरंत तैयार कराया जाए। पिछले कुछ वर्षों में मेस और कैंटीन को कई बार सील किया जा चुका है, लेकिन गुणवत्ता सुधार में असफलता रही। अब डॉक्टरों के छात्रों के साथ भोजन करने से उन्हें भोजन की वास्तविक स्थिति का firsthand अनुभव होगा और सुधार की प्रक्रिया में निरंतर निगरानी की जा सकेगी
छात्रों की शिकायतें और प्रदर्शन
छात्रों का आरोप है कि मेस में मेन्यू के अनुसार भोजन नहीं परोसा जाता, काकरोच खाद्य पदार्थों पर घूमते हैं, बर्तन साफ नहीं होते और चावल तथा हरी सब्जियों की गुणवत्ता खराब रहती है। आलू की कच्ची सब्जी ही नियमित रूप से परोसी जाती है। शिकायत करने पर मेस संचालक अक्सर टेंडर के नियमों का हवाला देते हैं। इस कारण कई छात्रों ने मेस में खाना खाना बंद कर दिया है। गुरुवार को नाराज छात्रों ने मेस में प्रदर्शन भी किया था, जिससे प्रशासन को स्थिति की गंभीरता का एहसास हुआ। अब डॉक्टरों के औचक निरीक्षण और आठ सदस्यीय कमेटी के गठन से उम्मीद जताई जा रही है कि छात्रों को स्वच्छ, पौष्टिक और सुरक्षित भोजन उपलब्ध कराने की व्यवस्था में सुधार होगा।