गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर की आठ वर्षीय श्वेतिमा माधव प्रिया ने धार्मिक जगत में एक अलग पहचान बना ली है। मात्र 4 वर्ष की उम्र से शास्त्रों का अध्ययन शुरू करने वाली यह बाल व्यास अब तक 23 कथाओं का वाचन कर चुकी हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी कथा शैली से लोगों को प्रभावित कर चुकी हैं। नेपाल और भूटान में आयोजित कार्यक्रमों से लेकर भारत के बिहार, झारखंड, मुंबई, हैदराबाद, मध्य प्रदेश और कोलकाता जैसे राज्यों में उनके कार्यक्रमों की धूम रही है। उनकी मधुर आवाज और स्पष्ट अभिव्यक्ति के कारण हर उम्र के लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। गोरखपुर के सहारा स्टेट स्थित क्लस्टर-4 पार्क में चल रहे उनके 24वें कथा सप्ताह में सैकड़ों भक्त शामिल हो रहे हैं और भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं को सुनकर भावविभोर हो रहे हैं। भक्तों का कहना है कि इतनी कम उम्र में इतनी गहरी कथा करना किसी साधारण बच्चे के लिए संभव नहीं है, यह भगवान की विशेष कृपा का परिणाम है।
परिवार और गुरु से मिली प्रेरणा
भसमा गांव की रहने वाली श्वेतिमा कक्षा 4 की छात्रा हैं। उनके पिता डॉ. सौरभ पांडेय धराधाम इंटरनेशनल न्यास के संस्थापक हैं और माता डॉ. रागिनी पांडेय 2022 की मिसेस इंडिया रह चुकी हैं। पूरा परिवार शिक्षा, धर्म और समाज सेवा से जुड़ा हुआ है। श्वेतिमा का छोटा भाई भी धार्मिक अध्ययन कर रहा है और अब तक 200 से अधिक श्लोक याद कर चुका है। श्वेतिमा बताती हैं कि उनके पिता और गुरु आचार्य शिवम शुक्ला से मिली प्रेरणा ने उन्हें भक्ति मार्ग पर आगे बढ़ाया। पिता का मानना है कि श्वेतिमा न केवल धर्म में बल्कि पढ़ाई में भी उत्कृष्ट हैं और यही संतुलन उन्हें दूसरों से अलग बनाता है। गुरु आचार्य शिवम शुक्ला ने उन्हें शास्त्रों की गहराई समझने में मार्गदर्शन दिया, जिससे उनकी कथा शैली और प्रखर हो गई। श्वेतिमा का दिन प्रातः पूजा और अध्ययन से शुरू होता है, फिर स्कूल और शाम को कथा अभ्यास। यह दिनचर्या उनके जीवन में अनुशासन और समर्पण को दर्शाती है।
भक्ति और शिक्षा का संतुलन
श्वेतिमा का मानना है कि धार्मिक शिक्षा केवल आंतरिक शांति ही नहीं देती, बल्कि समाज और राष्ट्र के उत्थान में भी सहायक होती है। उन्होंने अपनी कथाओं में भगवान श्रीकृष्ण के बाल्यकाल, रास लीला, गोवर्धन लीला और कुरुक्षेत्र युद्ध की घटनाओं को सरल भाषा और संगीतमय शैली में प्रस्तुत किया है। यही कारण है कि बच्चे और बुजुर्ग दोनों ही उनकी कथाओं से जुड़ पाते हैं। सोशल मीडिया पर भी उनके कार्यक्रमों को लेकर उत्साह देखा जा रहा है और ऑनलाइन कथा सत्रों में भारत सहित कई देशों के लोग उनसे जुड़ते हैं। उनके भक्तों का कहना है कि इतनी कम उम्र में श्वेतिमा का यह ज्ञान और भक्ति अद्भुत है और यह आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा। श्वेतिमा का स्पष्ट संदेश है कि पढ़ाई और भक्ति दोनों साथ-साथ जरूरी हैं, क्योंकि यही जीवन में संतुलन और शक्ति प्रदान करते हैं।