गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर से नेपाल जाने वाली बसों में यात्रियों की संख्या में अचानक भारी कमी देखने को मिली है। सोनौली बॉर्डर के लिए रोडवेज डिपो से चलने वाली बसें अब पहले की तुलना में केवल आधी या उससे कम क्षमता पर ही चल रही हैं। डिपो के कंडक्टर मंजीत कुमार और बंशीधर यादव ने बताया कि पहले गोरखपुर से चलने वाली बसें केवल 10 मिनट में फुल हो जाती थीं, लेकिन अब उन्हें भरने में एक से डेढ़ घंटे लग रहे हैं। नेपाल बॉर्डर सील और वहां हालात बिगड़ने के कारण न केवल गोरखपुर से आने वाले यात्री प्रभावित हो रहे हैं, बल्कि नेपाल से आने वाले लोग भी सीमा पार नहीं कर पा रहे हैं
टूरिज्म और यात्रा पैकेज पर प्रभाव
गोरखपुर के कई लोग नेपाल न केवल पर्यटन के लिए जाते हैं, बल्कि वहां इलाज के लिए भी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। खासकर आंखों के इलाज के लिए नेपाल जाना लोकप्रिय है। नेपाल में हिंसा और कर्फ्यू के कारण टूरिज्म पर सीधा असर पड़ा है। नेपाल दर्शन टूर एंड ट्रैवल के संचालक संदीप जायसवाल ने बताया कि अब तक 13 लोगों ने अपनी नेपाल यात्रा कैंसल कर दी है, जबकि अन्य लगातार पूछताछ कर रहे हैं। उन्होंने यात्रियों को कन्वेंस कर के काशी और अयोध्या के पैकेज ऑफर किए, ताकि उनका टूर प्रभावित न हो। टूर प्लानर शिव कुमार मिश्रा ने बताया कि नेपाल हिंसा के बाद 50 प्रतिशत तक यात्रा रद्द हो गई है, और अगर स्थिति इसी तरह बनी रही तो टूरिज्म कारोबार को बड़ा झटका लग सकता है।
रोडवेज और स्थानीय कारोबार पर असर
रोडवेज के आरएम लव सिंह ने बताया कि फिलहाल बस संचालन में कोई कटौती नहीं की गई है और सभी बसें निर्धारित समय पर चल रही हैं। हालांकि यात्रियों की संख्या कम होने से भविष्य में संचालन पर निर्णय लिया जा सकता है। नेपाल बॉर्डर बंद होने और यात्राओं में कमी से न केवल बस और ट्रेन सेवाएं प्रभावित हुई हैं, बल्कि टूर एंड ट्रैवल एजेंसियां, होटल व्यवसाय और स्थानीय दुकानदार भी नुकसान उठा रहे हैं। पहले गोरखपुर और नेपाल के बीच रोजाना हजारों लोग आते-जाते थे, जिससे स्थानीय बाजारों में रौनक रहती थी। अब अचानक आई गिरावट ने कारोबारियों में चिंता बढ़ा दी है और उनकी आमदनी पर भी असर पड़ा है।