गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर में नवरात्रि को लेकर तैयारियां जोर पकड़ चुकी हैं। शहर के प्रमुख मंदिरों को तरह-तरह के फूलों, रंग-बिरंगी लाइटों और विशेष सजावट से सुसज्जित किया गया है। मां दुर्गा का श्रृंगार सूरत से आई चुनरी और बनारस से आए फूलों से किया जा रहा है। तमिलनाडु से विशेष रूप से लाए गए नारियल को प्रसाद के रूप में मां के चरणों में अर्पित किया जाएगा। गोलघर, शाहपुर, धर्मशाला और दीवान बाजार क्षेत्र में भव्य पंडाल बनाए गए हैं, जिनमें मां दुर्गा की आकर्षक प्रतिमाएं स्थापित की जा रही हैं। मूर्तिकार विमल के अनुसार अधिकांश मूर्तियों का श्रृंगार पूरा हो चुका है और शेष प्रतिमाएं भी अगले कुछ दिनों में पूरी तरह तैयार हो जाएंगी। शहर भर के मंदिरों में चटख रंगों के वस्त्रों से मां का श्रृंगार किया गया है, जिनमें हरे, लाल और पीले रंग की साड़ियां, चूड़ियां, बिंदियां और फूलों की मालाएं विशेष आकर्षण का केंद्र हैं। सुनहरे मुकुट से सुसज्जित मां की प्रतिमाएं भक्तों को मंत्रमुग्ध कर रही हैं।
विशेष प्रसाद, पूजा सामग्री और उत्सव का महत्व
नवरात्रि में भक्तों के लिए खास व्यवस्था की गई है। फूल और प्रसाद विक्रेता सुरेश के अनुसार तमिलनाडु से आए नारियल और बनारस से आए फूल हर दिन बड़ी मात्रा में बिकते हैं। फूल वाला नारियल इस समय की खास पहचान है, जिसे महिलाएं संतान सुख की कामना से मां दुर्गा को चढ़ाती हैं। लड्डू विक्रेता मोहित ने बताया कि माता का भोग पूरी तरह शुद्धता और सफाई से तैयार किया जाता है। गाय के दूध और शुद्ध घी से बनी मिठाइयां इस भोग की खासियत होती हैं। पहले दिन पंचमेवा का प्रसाद चढ़ाया जाएगा जिसमें काजू, किशमिश, बादाम, छुहारा और नारियल के साथ मिश्री और बतासा शामिल होंगे। पूजा सामग्री की कीमतें भी तय हैं—फूल वाला नारियल 101 रुपये, साधारण नारियल 40-60 रुपये, फूल-माला 30-150 रुपये, चुनरी 30-200 रुपये और सिंदूर 10 रुपये से उपलब्ध है। शहर के प्रसिद्ध काली मंदिर और तरकुलहा माता मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ जुटने की संभावना है। मंदिर समितियां सुरक्षा और व्यवस्थाओं को लेकर पूरी तरह तैयार हैं। कल सुबह की मंगल आरती के बाद मंदिरों के द्वार भक्तों के लिए खोल दिए जाएंगे।
10 दिन का पर्व और शुभ संयोग
इस बार गोरखपुर में नवरात्रि विशेष संयोग लेकर आ रही है। ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र उपाध्याय के अनुसार 1998 और 2016 के बाद यह पहला अवसर है जब नवरात्रि पूरे 10 दिनों तक मनाई जाएगी क्योंकि इस बार चतुर्थी दो दिन तक रहेगी। मां दुर्गा गज पर विराजमान होकर आएंगी और मनुष्य के कंधे पर प्रस्थान करेंगी, जिसे शुभ संकेत माना जाता है। प्रतिपदा 22 सितंबर की भोर से ही शुरू होगी और दशहरा 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा। कलश स्थापना ब्रह्म योग और श्रीवत्स नामक योग में सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे के बीच किसी भी समय की जा सकती है। पूरे शहर में भक्तों का तांता लगने की संभावना है और रेलवे स्टेशन, दुर्गाबाड़ी, धर्मशाला और अन्य स्थानों पर दशहरा मेले की भी तैयारियां चल रही हैं। भक्त दूर-दराज से यहां पहुंचकर मां का आशीर्वाद लेने आते हैं और घंटों कतार में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करते हैं। शहर का धार्मिक माहौल पूरी तरह भक्तिमय हो चुका है और आने वाले दस दिनों तक गोरखपुर भक्ति और उत्साह में डूबा रहेगा।