गोरखपुर में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां सिंचाई विभाग से जुड़े ठेकेदार मदन मोहन शुक्ला को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा’ के नाम पर झांसा देकर 80 लाख रुपये से ठग लिया गया। मामला रामगढ़ताल थाना क्षेत्र के शिवाजी नगर का है, जहां शिकायत दर्ज होने के बाद पुलिस ने पांच आरोपियों पर धोखाधड़ी और साजिश का मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस के मुताबिक, ठगी करने वालों ने खुद को नासा से संबद्ध एक कंपनी का प्रतिनिधि बताया और दुर्लभ धातुओं व न्यूक्लियर एनर्जी उपकरणों के अंतरराष्ट्रीय कारोबार में निवेश का झांसा दिया। उन्होंने दावा किया कि इस निवेश पर एक रुपये के बदले सौ रुपये तक का लाभ मिलेगा। इस लालच में आकर ठेकेदार ने 80 लाख रुपये निवेश कर दिए। शिकायतकर्ता मदन मोहन शुक्ला ने बताया कि इस ठगी की शुरुआत मार्च 2018 में हुई थी, जब उनके परिचित कानपुर निवासी सुरेश रमानी ने उन्हें कोलकाता के सुकांता बैनर्जी से मिलवाया। सुकांता ने खुद को नासा से जुड़ी एक कंपनी का चीफ कोऑर्डिनेटर बताया और भरोसा दिलाया कि उनकी टीम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दुर्लभ रेडियोधर्मी धातुओं और न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी से संबंधित उपकरणों की खरीद-बिक्री का काम करती है। उन्होंने पीड़ित को नासा और अमेरिकी कंपनियों के कथित दस्तावेज, पीएम कार्यालय और भारतीय रिजर्व बैंक से हुए फर्जी पत्राचार दिखाकर विश्वास दिलाया। इसी आधार पर शुक्ला ने सुकांता, चंडीचरण अधिकारी और शालिनी नासकर को 80 लाख रुपये निवेश के रूप में सौंप दिए।
कंपनी के फर्जी दस्तावेजों से बढ़ाया भरोसा, देशभर में कई लोगों को ठगा
मामले की जांच में खुलासा हुआ है कि सुकांता बैनर्जी और उसके साथियों ने इस निवेश योजना के लिए लखनऊ में एक फर्जी कंपनी का रजिस्ट्रेशन भी कराया था, जिससे लोगों को भरोसा दिलाया जा सके। उन्होंने विदेशी कंपनी के लेटरहेड और ईमेल्स का इस्तेमाल कर ठेकेदार को यह यकीन दिलाया कि यह सौदा पूरी तरह वैध और नासा से जुड़ा हुआ है। धीरे-धीरे पीड़ित को इस स्कीम से होने वाले संभावित लाभ के फर्जी आंकड़े दिखाए गए और कहा गया कि कुछ महीनों में रकम कई गुना बढ़ जाएगी। शुक्ला के मुताबिक, उन्होंने जैसे-जैसे पैसे दिए, आरोपियों ने उनसे संपर्क कम करना शुरू कर दिया। अंततः जब उन्होंने अपने निवेश का लाभ या मूल रकम मांगी, तो उन्हें टालमटोल किया जाने लगा। धीरे-धीरे पूरा गिरोह लापता हो गया। जांच में सामने आया है कि सुकांता बैनर्जी पहले भी कई राज्यों में इसी तरह के निवेश घोटाले कर चुका है। बताया जाता है कि उसने दर्जनों लोगों से करोड़ों रुपये वसूले हैं और किसी को भी अब तक कोई रिटर्न नहीं दिया। आरोप है कि बैनर्जी ने लखनऊ में अपना घर बेच दिया और कोलकाता भाग गया। शुक्ला का कहना है कि जब उन्होंने कई बार फोन और व्यक्तिगत रूप से मिलने की कोशिश की तो आरोपी ने धमकी देते हुए कहा, “जो करना है कर लो, अब कोई पैसा नहीं मिलेगा।”
पुलिस जांच जारी, सीबीआई मुख्यालय में भी शिकायत
ठेकेदार मदन मोहन शुक्ला ने जब अपने निवेश का कोई समाधान न होते देखा तो उन्होंने न केवल स्थानीय पुलिस बल्कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से भी शिकायत की। उन्होंने बताया कि कोलकाता जाकर आरोपी से मिलने का प्रयास किया, लेकिन वह हर बार बच निकलता रहा और अंततः अपना मोबाइल बंद कर फरार हो गया। शुक्ला ने बताया कि यह ठगी किसी एक व्यक्ति के साथ नहीं हुई है, बल्कि देशभर में इस गिरोह ने कई लोगों से करोड़ों की जालसाजी की है। इस पूरे प्रकरण में पुलिस ने सुरेश रमानी (कानपुर), सुकांता बैनर्जी (कोलकाता), अमित कुमार नंदी (लखनऊ), चंडीचरण अधिकारी और शालिनी नासकर के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक साजिश की धाराओं में एफआईआर दर्ज की है। रामगढ़ताल थाना प्रभारी नितिन रघुनाथ ने बताया कि मामले की जांच तेजी से की जा रही है और आरोपियों की लोकेशन और वित्तीय गतिविधियों का पता लगाया जा रहा है। पुलिस की एक विशेष टीम कोलकाता और लखनऊ भेजी जा सकती है ताकि गिरोह के नेटवर्क की सटीक जानकारी जुटाई जा सके। फिलहाल यह स्पष्ट हो चुका है कि ठगी का यह पूरा तंत्र देश के कई हिस्सों में सक्रिय था और लोगों को वैज्ञानिक परियोजनाओं में निवेश का झांसा देकर लाखों-करोड़ों रुपये ऐंठे जा रहे थे। जांच एजेंसियों का मानना है कि नासा और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के नाम पर आम निवेशकों को फंसाने का यह गिरोह एक बड़े फर्जीवाड़े का हिस्सा है। पुलिस ने जनता से अपील की है कि वे किसी भी अंतरराष्ट्रीय निवेश योजना में धन लगाने से पहले उसकी सत्यता अवश्य जांच लें, ताकि इस तरह की धोखाधड़ी से बचा जा सके।




