गोरखपुर में एक सनसनीखेज ठगी का मामला सामने आया है, जहां अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा’ के नाम पर करोड़ों का बिजनेस दिखाकर एक ठेकेदार से 80 लाख रुपए हड़प लिए गए। यह पूरा खेल झूठे दस्तावेजों, बनावटी कंपनियों और फर्जी पहचान के सहारे खेला गया था। पुलिस ने इस ठगी के मुख्य आरोपी पश्चिम बंगाल के कोलकाता निवासी सुकांता बैनर्जी को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी के खिलाफ पहले से ही लखनऊ के महानगर थाना क्षेत्र में 2019 में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज था और उसकी गिरफ्तारी पर 10 हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया गया था। पुलिस के अनुसार, सुकांता बैनर्जी और उसके सहयोगियों ने खुद को नासा से संबद्ध एक कंपनी का प्रतिनिधि बताकर गोरखपुर के रामगढ़ताल क्षेत्र निवासी ठेकेदार मदन मोहन शुक्ला को भारी निवेश के लिए तैयार किया। उन्होंने दावा किया कि वे अमेरिका की सरकारी संस्था नासा के स्पेस शटल और न्यूक्लियर एनर्जी प्रोजेक्ट्स के लिए दुर्लभ रेडियोधर्मी धातुओं और उपकरणों की आपूर्ति करते हैं, जिससे निवेशकों को सौ गुना तक लाभ मिलता है। इस झूठे आश्वासन पर विश्वास करते हुए ठेकेदार ने लाखों रुपये का निवेश कर दिया।
फर्जी दस्तावेज और कंपनी से रचा गया धोखाधड़ी का पूरा जाल
पीड़ित ठेकेदार मदन मोहन शुक्ला ने बताया कि वर्ष 2018 में उनकी पहचान कानपुर निवासी सुरेश रमानी के माध्यम से कोलकाता के सुकांता बैनर्जी से हुई थी। सुकांता ने खुद को नासा से जुड़ी कंपनी का ‘चीफ कोऑर्डिनेटर’ बताते हुए विभिन्न अमेरिकी कंपनियों के दस्तावेज और आरबीआई, एक्सिस बैंक तथा प्रधानमंत्री कार्यालय के नाम से किए गए कथित पत्राचार भी दिखाए। इससे ठेकेदार का विश्वास और गहरा होता चला गया। आगे चलकर सुकांता ने लखनऊ के सचिवालय कॉलोनी में अमित कुमार नंदी के साथ मिलकर अपनी एक कंपनी का रजिस्ट्रेशन कराया ताकि कारोबार को और विश्वसनीय दिखाया जा सके। उन्होंने दावा किया कि यह कंपनी नासा और अमेरिकी डिफेंस प्रोजेक्ट्स को तकनीकी उपकरण सप्लाई करती है। ठेकेदार ने इन दिखावे पर विश्वास कर करीब 80 लाख रुपये सुकांता बैनर्जी, चंडीचरण अधिकारी और शालिनी नासकर के खाते में जमा करा दिए। शुरुआत में आरोपी लगातार बातचीत करते रहे ताकि ठेकेदार को शक न हो, लेकिन कुछ महीनों बाद वे अचानक गायब हो गए। जब पीड़ित ने उनसे भुगतान या लाभांश के लिए संपर्क किया, तो आरोपी फोन पर टालमटोल करने लगे और बाद में पूरी तरह संपर्क तोड़ दिया। ठेकेदार के अनुसार, 18 महीनों तक सुकांता ने अपना मोबाइल बंद रखा और लखनऊ स्थित अपना मकान बेचकर कोलकाता भाग गया। पुलिस जांच में सामने आया कि सुकांता ने देश के कई शहरों में इसी तरह से लोगों को ऊंचे मुनाफे का झांसा देकर ठगा है।
गिरफ्तारी के बाद खुलासा, कई राज्यों में ठगी का नेटवर्क सक्रिय
रामगढ़ताल पुलिस ने मुख्य आरोपी सुकांता बैनर्जी को गिरफ्तार करने के बाद पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। पुलिस का कहना है कि आरोपी ने सिर्फ गोरखपुर ही नहीं बल्कि लखनऊ, कानपुर, कोलकाता और दिल्ली में भी निवेश के नाम पर करोड़ों रुपये की जालसाजी की है। उसके साथ अमित कुमार नंदी, चंडीचरण अधिकारी, शालिनी नासकर और सुरेश रमानी जैसे सहयोगी भी इस नेटवर्क में शामिल हैं, जिनकी तलाश अब तेज कर दी गई है। एसपी सिटी अभिनव त्यागी ने बताया कि आरोपी से पूछताछ के दौरान यह पता चला है कि उसने फर्जी वेबसाइट, ईमेल और दस्तावेजों का सहारा लेकर नासा और अमेरिकी कंपनियों के नाम पर लोगों को निवेश के लिए बहलाया। उसने यह दावा तक किया था कि उसके पास रेडियोधर्मी धातुओं की सप्लाई के अंतरराष्ट्रीय करार हैं और भारत सरकार की स्वीकृति प्राप्त है। पुलिस के अनुसार, यह ठगी बेहद संगठित तरीके से की गई, जिसमें पेशेवर दस्तावेज़ों और अंग्रेजी पत्राचार का उपयोग कर पीड़ितों को विश्वास में लिया गया। ठेकेदार मदन मोहन शुक्ला ने जब ठगी की भनक लगने पर आरोपी से संपर्क करने की कोशिश की, तो सुकांता ने धमकी दी कि “जो करना है कर लो, कोई पैसा नहीं दूंगा।” इसके बाद उन्होंने सीबीआई मुख्यालय, नई दिल्ली जाकर पूरे मामले की लिखित शिकायत भी दी। फिलहाल, पुलिस ने आरोपी को जेल भेज दिया है और अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए टीमें गठित कर दी गई हैं। अधिकारियों का कहना है कि ठगी के इस रैकेट की जड़ें देशभर में फैली हो सकती हैं, इसलिए जांच को बहु-राज्य स्तर पर आगे बढ़ाया जा रहा है ताकि पीड़ितों को न्याय दिलाया जा सके और भविष्य में इस तरह की साइबर-जालसाजी पर रोक लगाई जा सके।




