गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर नगर निगम के सभागार में सोमवार को आयोजित 15वीं बोर्ड बैठक में शहर के विकास, स्वच्छता और नागरिक सुविधाओं से जुड़े कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। बैठक की अध्यक्षता महापौर ने की, जबकि नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल और अपर नगर आयुक्त दुर्गेश मिश्रा समेत अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे। बैठक की शुरुआत में ही पार्षदों ने अपने-अपने वार्ड की समस्याओं को लेकर जोरदार तरीके से मुद्दे उठाए। कई पार्षदों ने जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र से जुड़ी असुविधाओं, संपत्ति कर में गड़बड़ी और सफाई व्यवस्था की खामियों पर तीखी टिप्पणी की। सिविल लाइंस प्रथम वार्ड के पार्षद अजय राय ने शिकायत की कि जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र अपडेट की सुविधा केवल जोनल कार्यालय-3 में सीमित है, जिससे अन्य क्षेत्रों के नागरिकों को बार-बार कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। नगर आयुक्त ने तुरंत निर्देश देते हुए कहा कि यह सुविधा सभी जोनल कार्यालयों में जल्द उपलब्ध कराई जाएगी। इसी दौरान संपत्ति कर के पुराने बिल दिखने की शिकायत पर भी नगर आयुक्त ने तकनीकी गड़बड़ी को सुधारने के आदेश जारी किए। बैठक में नगर निगम अधिकारियों और बोर्ड के वित्तीय अधिकारों में वृद्धि को लेकर भी प्रस्ताव पास किए गए-नगर आयुक्त का अधिकार ₹10 लाख से बढ़ाकर ₹20 लाख, महापौर का अधिकार ₹15 लाख से ₹30 लाख, कार्यकारिणी का ₹20 लाख से ₹40 लाख और बोर्ड का ₹30 लाख से ₹50 लाख करने पर सहमति बनी। यह प्रस्ताव अब शासन की स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा।
सफाई व्यवस्था, अतिक्रमण और नागरिक सुविधाओं पर उठे सवाल
बैठक में सफाई व्यवस्था और अतिक्रमण जैसे मुद्दों ने जोर पकड़ा। बेतियाहाता वार्ड के पार्षद विश्वजीत त्रिपाठी ने कहा कि पहले सफाई कार्य 10 जोन में संचालित होता था, लेकिन अब इसे 5 जोन में समेट दिए जाने से स्थिति बिगड़ गई है। उन्होंने सुझाव दिया कि सफाई व्यवस्था को फिर से 10 जोन में विभाजित किया जाए ताकि निगरानी और कार्यक्षमता बढ़ सके। नगर आयुक्त ने इस प्रस्ताव पर सहमति जताई। वहीं, वार्ड 65 के पार्षद आनंदवर्द्धन ने अलहदादपुर क्षेत्र की टीनशेड दुकानों का किराया बढ़ाए जाने का विरोध किया, जिस पर नगर आयुक्त ने कहा कि किराया टीनशेड की स्थिति और क्षेत्रफल के आधार पर तय किया जाएगा। बैठक में पार्षद रणंजय सिंह जुगनू ने अतिक्रमण का मुद्दा उठाते हुए कहा कि फुटपाथों पर दुकानदारों ने कब्जा कर लिया है, जिससे पैदल चलने वालों को दिक्कत हो रही है और निगम की कार्रवाई प्रभावी नहीं दिख रही। नगर आयुक्त ने इस स्थिति को “दुर्भाग्यपूर्ण” बताते हुए कहा कि अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी सभी विभागों की है और जल्द ही इस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। दूसरी ओर, राप्तीनगर वार्ड की पार्षद पूनम सिंह ने नगर निगम के निर्माण, जलकल और राजस्व विभागों में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि बिना कमीशन दिए कोई काम नहीं होता। नगर आयुक्त ने जवाब देते हुए कहा कि अगर किसी के पास सबूत हैं तो वे प्रस्तुत करें, जांच कर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
नागरिकों को मिलने वाली राहतें और नए विकास प्रस्ताव
बैठक में कई ऐसे प्रस्ताव भी पारित हुए जो सीधे तौर पर शहरवासियों को राहत देंगे। निर्णय लिया गया कि ठंड के मौसम में गरीब और जरूरतमंद लोगों को 15,000 कंबल वितरित किए जाएंगे। इसके अलावा सफाई कर्मचारियों के लिए 30 लाख रुपये की लागत से उपहार और मिठाई वितरण का प्रावधान किया गया। ईवी चार्जिंग स्टेशन की सुविधा बढ़ाने के लिए टाटा इलेक्ट्रिक और निटकॉन को भूमि आवंटित करने का निर्णय भी लिया गया। मकर संक्रांति और खिचड़ी मेला जैसे प्रमुख आयोजनों के दौरान 28.60 लाख रुपये की लागत से अलाव की व्यवस्था करने का प्रस्ताव पास किया गया। इसके साथ ही छठ, दीपावली और अन्य पर्वों की तैयारियों से जुड़े खर्चों को भी मंजूरी दी गई। बैठक में यह भी तय हुआ कि शहर में टैक्स संबंधी कार्यों को बेतियाहाता से हटाकर सिविल लाइंस जोनल कार्यालय में स्थानांतरित किया जाएगा, ताकि स्थानीय लोगों को सुविधा मिल सके। अधिकारियों का मानना है कि इन फैसलों से नगर निगम के कामकाज में पारदर्शिता बढ़ेगी और नागरिक सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा। महापौर ने बैठक के समापन पर कहा कि नगर निगम की प्राथमिकता नागरिकों को स्वच्छ और व्यवस्थित वातावरण देना है, जिसके लिए आने वाले दिनों में और सख्त कदम उठाए जाएंगे।