गोरखपुर नगर निगम में शुक्रवार को नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल की अध्यक्षता में एक अहम बैठक हुई, जिसमें घर-घर कचरा संग्रहण व्यवस्था की विस्तार से समीक्षा की गई। बैठक में जोन-1 के सभी पार्षद, अपर नगर आयुक्त दुर्गेश मिश्रा और प्रमोद कुमार, जोनल अधिकारी अनुष्का सिंह, जोनल सेनेट्री अधिकारी, मुख्य सफाई निरीक्षक, सफाई निरीक्षक समेत 17 वार्डों के सुपरवाइजर, ड्राइवर और मेट शामिल रहे। बैठक में उन वाहनों की कार्यप्रणाली पर चर्चा हुई जो घर-घर से कचरा इकट्ठा करते हैं। यह देखा गया कि कितने घरों से कचरा उठाया जा रहा है, कितना कचरा प्रतिदिन इकट्ठा हो रहा है और वाहन किन-किन मार्गों पर संचालित हो रहे हैं। कचरा शुल्क वसूली की स्थिति की भी समीक्षा की गई। पार्षदों से कर्मचारियों की कार्यशैली पर फीडबैक लिया गया, जिसमें लापरवाही की शिकायतें सामने आईं। नतीजतन, कुछ सुपरवाइजर और ड्राइवरों को सेवा से हटाने का आदेश दिया गया जबकि कुछ का वेतन रोकने की कार्रवाई की गई।
किरायेदारों और दुकानदारों से भी लिया जाएगा शुल्क
बैठक के बाद नगर आयुक्त ने स्पष्ट निर्देश जारी किए। अब से कचरा शुल्क केवल मकान मालिकों से ही नहीं बल्कि किरायेदारों से भी वसूला जाएगा। इसके अलावा, सड़क किनारे ठेला लगाने वाले और दुकानदारों को भी शुल्क देना होगा। इसके लिए नगर निगम विशेष अभियान चलाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि हर वार्ड में पार्षद की अध्यक्षता में 15 दिन में एक बार प्रगति समीक्षा बैठक होगी और उसकी फोटो नगर आयुक्त को भेजी जाएगी। साथ ही, जो लोग नालियों में गोबर या गंदगी बहाते हैं, उनकी पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। नगर आयुक्त ने यह भी आश्वासन दिया कि जिन वार्डों में अतिरिक्त वाहनों की आवश्यकता है वहां जल्द ही वाहन उपलब्ध कराए जाएंगे।
नागरिकों से सहयोग की अपील
नगर निगम ने आम नागरिकों से अपील की है कि वे समय पर कचरा शुल्क जमा करें और स्वच्छता अभियान में सहयोग करें। नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने कहा कि गोरखपुर को स्वच्छ और सुंदर बनाने में हर नागरिक की सक्रिय भागीदारी जरूरी है। उन्होंने चेतावनी दी कि लापरवाही करने वाले कर्मचारी हों या नियमों का पालन न करने वाले नागरिक, किसी को बख्शा नहीं जाएगा। निगम का लक्ष्य है कि शहर के सभी वार्डों में कचरा संग्रहण व्यवस्था पूरी तरह पारदर्शी और प्रभावी हो, ताकि गोरखपुर स्वच्छता की नई मिसाल कायम कर सके।
नगर निगम की सख्ती से यह साफ हो गया है कि गोरखपुर में स्वच्छता को लेकर कोई समझौता नहीं होगा। किरायेदारों और दुकानदारों तक शुल्क की जिम्मेदारी बढ़ाने का फैसला शहर की सफाई व्यवस्था को टिकाऊ और व्यवस्थित बनाने की दिशा में अहम कदम है। अब देखना होगा कि इस नई नीति से शहरवासी कितनी जिम्मेदारी निभाते हैं और गोरखपुर स्वच्छता रैंकिंग में कहां तक पहुंच पाता है।