गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर की मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (MMMUT) ने उच्च शिक्षा और अनुसंधान की गुणवत्ता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 46 स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसमें प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के पद शामिल हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में कई संकाय सदस्य सेवानिवृत्त हुए या निजी कारणों से संस्थान छोड़ गए, जिसके कारण खाली पड़े पदों की संख्या बढ़ती गई। इससे न केवल शैक्षणिक गतिविधियों की गति धीमी हुई बल्कि शिक्षक-छात्र अनुपात पर भी नकारात्मक असर पड़ा, जो कि किसी भी उच्च शिक्षा संस्थान की रैंकिंग में एक अहम भूमिका निभाता है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जे.पी. सैनी ने स्पष्ट किया है कि इस भर्ती प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य शिक्षण व्यवस्था को सुदृढ़ करना और विद्यार्थियों को बेहतर मार्गदर्शन उपलब्ध कराना है। बीते वर्ष भी संस्थान ने लगभग 76 नए शिक्षकों की नियुक्ति की थी, लेकिन सेवानिवृत्ति और आकस्मिक परिस्थितियों की वजह से मौजूदा समय में 46 पद रिक्त रह गए हैं। यही कारण है कि प्रशासन ने भर्ती की इस नई पहल को तत्काल प्रभाव से शुरू किया है ताकि शैक्षणिक वातावरण पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।
पदों का विवरण और आवेदन प्रक्रिया
भर्ती अधिसूचना के अनुसार विश्वविद्यालय ने कुल 46 शिक्षकों की नियुक्ति की योजना बनाई है, जिसमें 23 पद प्रोफेसर, 14 पद एसोसिएट प्रोफेसर और 9 पद असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए निर्धारित किए गए हैं। इसके अतिरिक्त प्रशासन ने गैर-शैक्षणिक पदों पर भी विज्ञापन जारी किया है, जिनमें परीक्षा नियंत्रक, डिप्टी लाइब्रेरियन और असिस्टेंट रजिस्ट्रार शामिल हैं। इच्छुक उम्मीदवार विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल रखी गई है ताकि अधिक से अधिक योग्य उम्मीदवार इसमें भाग ले सकें और पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके। इसके साथ ही चयन प्रक्रिया में आवश्यक योग्यता, अनुभव और विषयगत दक्षता को प्राथमिकता दी जाएगी। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस भर्ती के माध्यम से योग्य प्रतिभाओं को जोड़कर शिक्षण की गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद जताई है। यह भी बताया गया कि चयन प्रक्रिया के प्रत्येक चरण में मानक नियमों का पालन किया जाएगा ताकि किसी भी प्रकार की अनियमितता की संभावना न रहे।
परीक्षा और भविष्य की संभावनाएं
विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि संविदा शिक्षकों की नियुक्ति के लिए लिखित परीक्षा 17 सितंबर से आयोजित की जाएगी और उसके बाद साक्षात्कार की प्रक्रिया भी तय की जाएगी। कुलपति प्रो. जे.पी. सैनी ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया को पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से संपन्न किया जाएगा, ताकि सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवारों का चयन किया जा सके। उनका कहना है कि शिक्षक-छात्र अनुपात में सुधार से न केवल अकादमिक गुणवत्ता बेहतर होगी बल्कि संस्थान की राष्ट्रीय स्तर पर रैंकिंग में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी। उच्च शिक्षा संस्थानों की रैंकिंग में अध्यापक संख्या और उनकी योग्यता महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए प्रशासन ने नियमित और संविदा दोनों प्रकार की नियुक्तियों पर जोर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस पहल से विश्वविद्यालय के अनुसंधान कार्यों में भी तेजी आएगी और विद्यार्थियों को बेहतर शैक्षणिक अवसर प्राप्त होंगे। यह कदम विश्वविद्यालय की दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा है, जिसमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। आने वाले समय में इन नियुक्तियों के परिणामस्वरूप विश्वविद्यालय को शैक्षणिक जगत में और मजबूत पहचान मिलने की संभावना है।




