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Gorakhpur News: गोरखपुर में दवा विक्रेताओं का सम्मेलन, जीएसटी और नारकोटिक्स नियम बने मुख्य मुद्दा

बड़हलगंज में प्रदेशभर से आए दवा व्यवसायियों ने व्यापारिक समस्याओं पर की चर्चा, एकजुट होकर आवाज उठाने का लिया संकल्प

Medical retailers conference in Gorakhpur discussing GST and narcotics rules

गोरखपुरउत्तर प्रदेश – गोरखपुर के बड़हलगंज में दवा विक्रेता समिति के तत्वावधान में आयोजित सम्मेलन में प्रदेशभर से जुड़े दवा व्यवसायियों ने अपनी समस्याओं को साझा किया। कार्यक्रम का शुभारंभ समिति के अध्यक्ष योगेंद्र नाथ दुबे और महामंत्री आलोक कुमार चौरसिया के नेतृत्व में हुआ। इस मौके पर प्रदेश दवा विक्रेता समिति के अध्यक्ष सुधीर सिंह और डीएलए अधिकारी पुरानचंद विशेष अतिथि के रूप में मौजूद रहे। सम्मेलन में सबसे प्रमुख विषय जीएसटी व्यवस्था और नारकोटिक्स नियम बने, जिन पर वक्ताओं ने विस्तार से चर्चा की। उपस्थित व्यापारियों का कहना था कि मौजूदा जीएसटी प्रणाली बेहद जटिल है और छोटे स्तर के दवा विक्रेताओं को इसका बोझ उठाना कठिन हो रहा है। इसके साथ ही नारकोटिक्स नियमों के तहत लगाई गई पाबंदियों को लेकर भी नाराजगी व्यक्त की गई, क्योंकि इन नियमों से कई दवाओं के कारोबार में कठिनाइयाँ उत्पन्न हो रही हैं।

अनुचित दर निर्धारण और उत्पीड़न पर विरोध

सम्मेलन में कुछ कंपनियों द्वारा दवाओं की कीमतों को अनुचित ढंग से तय किए जाने का मुद्दा भी जोरदार तरीके से उठाया गया। दवा विक्रेताओं ने बताया कि दर निर्धारण में पारदर्शिता की कमी के चलते उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। साथ ही, दवा व्यवसायियों के साथ हो रहे उत्पीड़न की घटनाओं का भी जिक्र किया गया, जिसे व्यापारियों ने गंभीर चिंता का विषय बताया। वक्ताओं ने यह भी कहा कि जब तक सभी संगठन और व्यापारी एकजुट होकर अपनी समस्याओं को सामने नहीं रखेंगे, तब तक समाधान संभव नहीं है। कार्यक्रम के दौरान बड़हलगंज दवा विक्रेता समिति से जुड़े पदाधिकारियों – अध्यक्ष राम गोविन्द यादव, संगठन मंत्री उमेश यादव, कोषाध्यक्ष धीरज पटेल और सदस्य अंकित कुमार को विशेष सम्मान भी दिया गया, जिससे संगठन की एकता और मजबूती का संदेश गया।

सुधार की मांग और आगे की रणनीति

सम्मेलन के अंत में वक्ताओं ने दवा व्यवसायियों की एकता पर जोर देते हुए कहा कि व्यापारिक हितों की रक्षा के लिए सबको मिलकर आवाज उठानी होगी। उन्होंने सरकार और प्रशासन से मांग की कि जीएसटी व्यवस्था को सरल बनाया जाए और नारकोटिक्स नियमों में व्यावहारिक बदलाव किए जाएं ताकि दवा व्यवसायियों को अनावश्यक परेशानियों का सामना न करना पड़े। इसके साथ ही कंपनियों पर भी निगरानी बढ़ाने और दवा दर निर्धारण की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की आवश्यकता जताई गई। दवा विक्रेताओं का मानना है कि यदि सरकार व्यापारिक नीतियों में सुधार करती है तो इससे न सिर्फ दवा कारोबार सुचारू होगा बल्कि उपभोक्ताओं को भी दवाएं उचित मूल्य पर उपलब्ध होंगी। सम्मेलन ने यह संदेश दिया कि दवा विक्रेताओं की समस्याएं सिर्फ व्यक्तिगत नहीं बल्कि सामूहिक हैं और इनके समाधान के लिए मजबूत संगठन और साझा रणनीति जरूरी है।

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