गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर में मणप्पुरम फाइनेंस बैंक लिमिटेड की राप्तीनगर शाखा में लाखों की हेराफेरी का खुलासा हुआ है। गोल्ड लोन उपलब्ध कराने वाली इस कंपनी में प्रबंधन को तब बड़ा झटका लगा जब आकस्मिक ऑडिट के दौरान असली सोने के स्थान पर नकली आभूषण जमा पाए गए। कंपनी के एरिया हेड और केरल निवासी राजू सिंह द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, 8 फरवरी 2022 को किए गए इस ऑडिट में यह धोखाधड़ी सामने आई। ऑडिटर की रिपोर्ट में दर्ज हुआ कि गिरवी रखे गए कुल 432.8 ग्राम वजन वाले 48 आभूषणों में शुद्धता शून्य पाई गई। इसका अर्थ था कि कंपनी के पास असली के बजाय नकली सोना रखा गया था। यह मामला सामने आते ही कंपनी ने संबंधित कर्मचारियों पर गंभीर आरोप लगाए। जांच में पाया गया कि शाखा प्रबंधक और सहायक प्रबंधक की मिलीभगत से ही यह कृत्य संभव हुआ, क्योंकि सेफ की चाबियां उन्हीं दोनों के पास थीं।
मिलीभगत से ट्रांसफर में गड़बड़ी, कर्मचारियों पर षड्यंत्र का आरोप
जांच के दौरान एक और चौंकाने वाला तथ्य सामने आया। रिपोर्ट के अनुसार, रेती रोड शाखा से 879 ग्राम सोने को 29 नवंबर 2021 को राप्तीनगर शाखा के नाम ट्रांसफर दिखाया गया, जबकि वास्तव में यह हस्तांतरण 14 दिसंबर 2021 को हुआ। इतना ही नहीं, इस सोने को शाखा प्रबंधक या सहायक प्रबंधक की जगह कनिष्ठ सहायक आशीष त्रिपाठी ने ले जाकर जमा किया और राप्तीनगर शाखा के प्रबंधक अभिषेक त्रिपाठी ने बिना किसी जांच-पड़ताल के इसे स्वीकार कर लिया। इस अवधि में शाखा में तैनात अन्य कर्मचारी—दिवाकर सिंह, मालती शुक्ला और अमन तिवारी—भी जिम्मेदार पदों पर मौजूद थे। कंपनी का आरोप है कि इन सभी ने षड्यंत्रपूर्वक असली सोने को नकली आभूषणों से बदलने की योजना बनाई और निजी लाभ के लिए इस हेराफेरी को अंजाम दिया। इस घटना से न केवल कंपनी को करीब 13.98 लाख रुपए का वित्तीय नुकसान हुआ, बल्कि उसकी साख और विश्वसनीयता पर भी गहरा आघात पहुंचा।
FIR दर्ज, पुलिस ने शुरू की गंभीर जांच
कंपनी का आरोप है कि मामले की शिकायत प्रारंभ में कोतवाली थाने और बाद में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, गोरखपुर को दी गई थी, लेकिन आरोपियों के प्रभाव के चलते समय पर प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सकी। अंततः उच्चस्तरीय आदेश के बाद कोतवाली थाने में मुकदमा दर्ज किया गया। पुलिस ने प्रबंधक अभिषेक त्रिपाठी (बस्ती मुख्यालय), शैलेश कुमार (निचलौल, महाराजगंज), दिवाकर सिंह (गोरखपुर), अमन तिवारी (बक्शीपुर शाखा), मालती शुक्ला (बस्ती) और आशीष त्रिपाठी (गोरखपुर) को आरोपी बनाया है। सभी पर कंपनी की संपत्ति में हेराफेरी, धोखाधड़ी और विश्वासघात के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। फिलहाल पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है और जल्द ही साक्ष्य के आधार पर आगे की कार्रवाई करने की बात कही है। इस मामले ने एक बार फिर वित्तीय संस्थानों में पारदर्शिता और निगरानी की आवश्यकता को रेखांकित किया है। स्थानीय स्तर पर यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि जिम्मेदार पदों पर बैठे कर्मचारी ही जब धोखाधड़ी में शामिल पाए जाते हैं तो आम ग्राहकों का विश्वास किस हद तक प्रभावित होता है। गोरखपुर का यह मामला न केवल बैंकिंग जगत के लिए चेतावनी है बल्कि यह भी बताता है कि मजबूत निगरानी तंत्र और समय पर कार्रवाई कितनी अनिवार्य है।