गोरखपुर शहर में शनिवार को वाम दल और ट्रेड यूनियन नेताओं ने एकजुट होकर जिला अधिकारी दीपक मीणा को ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन का मुख्य उद्देश्य सिविल लाइंस स्थित बंगला नंबर-04 पर स्थापित स्वर्गीय केदारनाथ सिंह की मूर्ति के संरक्षण को सुनिश्चित करना था। स्थानीय जनता ने इस मूर्ति को उस नेता की स्मृति में स्थापित किया था जिन्होंने अपने जीवनकाल में गरीबों, वंचितों, छात्रों, किसानों और शोषित वर्गों की आवाज़ बुलंद की थी। ज्ञापन सौंपते समय नेताओं ने यह भी स्पष्ट किया कि स्वर्गीय सिंह समाज के हर वर्ग में सम्मानित रहे और उन्हें एक ऐसे नेता के रूप में देखा जाता है जिन्होंने जनहित के लिए संघर्ष की परंपरा स्थापित की। इसीलिए क्षेत्रीय लोगों की भावनाएँ इस मूर्ति से गहराई से जुड़ी हुई हैं और किसी भी परिस्थिति में इसे क्षति पहुँचने देना जनमानस का अपमान होगा। नेताओं ने कहा कि यदि प्रशासन इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाता तो जनता में आक्रोश की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
भू-माफिया पर आरोप और सरकारी जमीनों पर खतरे की आशंका
ज्ञापन में सबसे गंभीर आरोप स्थानीय भू-माफिया ओमप्रकाश जालान पर लगाया गया। नेताओं ने दावा किया कि जालान ने फर्जी दस्तावेज़ों और गड़बड़ियों के माध्यम से नजूल भूमि को अपने नाम करा लिया है। यह भी कहा गया कि भारी वित्तीय दबाव और प्रभाव का इस्तेमाल करके उन्होंने अदालत से अपने पक्ष में आदेश प्राप्त किया और अब उन्हें सरकारी संरक्षण भी हासिल है। नेताओं ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि ऐसी प्रवृत्तियों पर तुरंत रोक नहीं लगाई गई तो गोरखपुर विकास प्राधिकरण, नगर निगम और वन विभाग की अन्य भूमि भी इसी प्रकार से हड़प ली जाएगी। नेताओं का कहना है कि शहर की सार्वजनिक और सरकारी संपत्तियों पर धीरे-धीरे कब्ज़ा जमाने की रणनीति काम कर रही है और समय रहते प्रशासन ने ठोस कदम नहीं उठाए तो भविष्य में नागरिकों को अपने अधिकारों से वंचित होना पड़ सकता है। आरोप लगाया गया कि यह केवल एक व्यक्ति का मामला नहीं है बल्कि संगठित तरीके से शहर की बहुमूल्य जमीनों को निजी हितों के लिए हथियाने का षड्यंत्र रचा जा रहा है।
सख्त कार्रवाई और मूर्ति संरक्षण की मांग
ज्ञापन सौंपने वाले नेताओं ने जिला प्रशासन से दो प्रमुख मांगें रखीं। पहली मांग थी कि स्वर्गीय केदारनाथ सिंह की मूर्ति को किसी भी सूरत में सुरक्षित रखा जाए और इसका संरक्षण प्रशासन की जिम्मेदारी बने। दूसरी मांग भू-माफियाओं के खिलाफ कठोर कार्रवाई की थी। उन्होंने कहा कि ओमप्रकाश जालान जैसे लोगों की संपत्तियों और उनकी गतिविधियों की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए ताकि यह साबित हो सके कि जमीन किस प्रकार हड़पी गई और किन प्रभावशाली व्यक्तियों की मदद से यह संभव हुआ। यदि जांच निष्पक्ष हुई तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ सकते हैं। इस ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वालों में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से अटल बिहारी सिंह और अल्ताफ, भारतीय मार्क्सवादी पार्टी से शिव वचन यादव और अरविंद, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) से रंजीश साहनी तथा ट्रेड यूनियन से आशीष चौधरी शामिल रहे। इन सभी नेताओं ने संयुक्त रूप से यह घोषणा की कि जनभावनाओं का सम्मान करना प्रशासन की जिम्मेदारी है और यदि ऐसा नहीं हुआ तो आंदोलन की राह भी अपनाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनता की आवाज़ को दबाने का कोई औचित्य नहीं है और न्याय तभी स्थापित होगा जब मूर्ति सुरक्षित रहेगी और भू-माफिया पर अंकुश लगेगा।