गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर में शुक्रवार को दीवानी कचहरी और कलेक्ट्रेट कचहरी के वकीलों ने भ्रष्टाचार और प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के खिलाफ न्यायिक कार्य से दूरी बना ली। अधिवक्ताओं ने सामूहिक रूप से न्यायिक कार्य का बहिष्कार करते हुए साफ किया कि जब तक दोषियों के खिलाफ ठोस कदम नहीं उठाए जाते, उनका विरोध जारी रहेगा। वकीलों का कहना है कि नगर निगम और पुलिस विभाग के कुछ अधिकारी लगातार नियमों को ताक पर रखकर मनमानी कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन मौन बना हुआ है। अधिवक्ताओं ने विशेष रूप से अधिवक्ता सुमित मिश्रा के मामले को सामने रखते हुए बताया कि नगर निगम के जूनियर इंजीनियर (JE) अतुल कुमार और अधिशासी अभियंता अमरनाथ ने बिना किसी नोटिस के मंदिर और ध्वज को तोड़ दिया। इस कार्रवाई को गैरकानूनी बताते हुए उन्होंने कहा कि नियमों को दरकिनार कर न केवल धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई बल्कि बाद में अनियमितताओं के जरिए गलती को छिपाने की भी कोशिश की गई।
घूसखोरी और लापरवाही पर कड़ा रुख अपनाने की मांग
अधिवक्ताओं ने नगर निगम के हटाए गए JE पर घूसखोरी का गंभीर आरोप भी लगाया। उनका कहना है कि नगर आयुक्त ने 28 अगस्त 2025 को उक्त JE को पद से हटा दिया था, इसके बावजूद 2 सितंबर को वह दोबारा अधिवक्ता सुमित मिश्रा के घर पहुंचा और पैसों की मांग करने लगा। वकीलों ने दावा किया कि उनके पास JE द्वारा घूस लेने के पर्याप्त प्रमाण मौजूद हैं, जिन्हें जल्द ही भ्रष्टाचार निवारण न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा। अधिवक्ताओं का यह भी कहना है कि नगर आयुक्त ने दो दिन के भीतर कार्रवाई का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। इसी कारण वकील समुदाय ने विरोध का रास्ता चुना और मांग की कि दोषी इंजीनियरों और कर्मचारियों को तत्काल निलंबित कर उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू की जाए। उनका कहना है कि यदि इस मामले में ठोस कदम नहीं उठाए गए तो भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना मुश्किल होगा और आम जनता का विश्वास प्रशासन से उठ जाएगा।
पुलिस अधिकारियों पर भी कार्रवाई की आवाज तेज
सिर्फ नगर निगम ही नहीं, बल्कि पुलिस विभाग के अधिकारियों पर भी वकीलों ने गंभीर आरोप लगाए। अधिवक्ताओं ने बताया कि हिमांशु मिश्रा प्रकरण में इंजीनियरिंग कॉलेज चौकी इंचार्ज नवीन राय ने अधिवक्ता को चौकी में बुलाकर अपमानित किया। इस घटना से वकीलों में गहरा आक्रोश है। उन्होंने कहा कि चौकी इंचार्ज का यह व्यवहार वकील समाज के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाला है। इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों तक पहुंचाई गई, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। अधिवक्ताओं का कहना है कि यदि पुलिस विभाग भी ऐसे मामलों पर चुप्पी साधे रहेगा तो आम नागरिकों के अधिकारों की रक्षा कैसे होगी। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई तो विरोध प्रदर्शन को और व्यापक रूप दिया जाएगा। वकीलों का यह भी कहना है कि उनका आंदोलन किसी व्यक्तिगत हित के लिए नहीं बल्कि न्याय और व्यवस्था की रक्षा के लिए है, और जब तक भ्रष्टाचार और मनमानी पर अंकुश नहीं लगता तब तक संघर्ष जारी रहेगा।