25 साल बाद मिली अपनी ही जमीन – गोरखपुर के गोलघर (पार्क रोड) स्थित लगभग 95 हजार वर्ग फीट चर्चित भूमि विवाद में पहली बार उद्यमी ओमप्रकाश जालान का परिवार और उनके सहयोगी खुलकर सामने आए हैं। उद्यमी के पुत्र व ऑकलैंड कमर्शियल कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक तनुज जालान और अवधेश श्रीवास्तव ने कहा कि उन्हें अपनी ही जमीन पर कब्जा लेने में 25 साल लग गए।
तनुज जालान ने पत्र जारी कर बताया कि अवैध कब्जेदार लंबे समय से उनकी संपत्ति से लाखों रुपये महीना किराया वसूलते रहे। उन्होंने कहा कि इस मामले में वास्तविक पीड़ित उनका परिवार है, लेकिन प्रतिपक्ष स्व. केदार सिंह की प्रतिमा का हवाला देकर समाज को गुमराह कर सहानुभूति बटोरने का प्रयास कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मिला कब्जा
जालान परिवार ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्हें 29 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में कब्जा मिला। इसमें न शासन की कोई भूमिका थी और न प्रशासन की। उन्होंने बताया कि स्व. केदार सिंह के उत्तराधिकारियों ने भी कोर्ट में शपथ पत्र देकर संपत्ति खाली करने की बात मानी थी।
तनुज जालान ने यह भी कहा कि जो अफवाह फैलाई जा रही है कि बंगला लीज पर दिया गया था, वह पूरी तरह गलत है। दरअसल, वर्ष 1982 में जिला मजिस्ट्रेट ने रेंट कंट्रोल अधिनियम के तहत इसे ₹72.81 मासिक किराए पर स्व. केदार सिंह को आवंटित किया था।
प्रतिमा को लेकर फैलाई जा रही अफवाह
तनुज जालान ने साफ किया कि कोर्ट ने स्व. केदार सिंह की प्रतिमा को परिसर में बनाए रखने का कोई आदेश नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि न तो कोर्ट के सामने यह मुद्दा आया और न ही इस पर कोई निर्देश जारी हुए।
सैंथवार समाज और जीएम सिंह ने जताई नाराज़गी
हालांकि, जमीन पर कब्जा मिलने के बाद भी स्व. केदार सिंह की प्रतिमा को लेकर विवाद शांत नहीं हुआ है। भाजपा नेता और पूर्व मंत्री जीएम सिंह ने जालान परिवार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने मंडल में तनाव की स्थिति पैदा कर दी है। उन्होंने चेतावनी दी कि प्रतिमा मामले को कोर्ट में ले जाया जाएगा।
जीएम सिंह ने कहा कि स्व. केदार सिंह सर्वसमाज के नेता थे और उनके सम्मान की लड़ाई जारी रहेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि जालान परिवार ने दिल बड़ा नहीं किया और सख्त रुख अपनाया। साथ ही उन्होंने संकेत दिया कि तथ्य जुटाकर पीआईएल दायर की जाएगी और प्रतिमा की लड़ाई कानूनी रूप से लड़ी जाएगी।