गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर के संयुक्त निदेशक अभियोजन कार्यालय में गुरुवार को दूसरे वीडियो कांफ्रेंसिंग रूम का उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर अपर निदेशक अभियोजन ललित मुद्गल ने फीता काटकर इसका शुभारंभ किया। जिले में पहले से संचालित एक रूम के बाद यह दूसरा केंद्र है, जिससे न्यायिक प्रक्रिया को गति मिलने की उम्मीद है। इस नई सुविधा के शुरू हो जाने से अदालतों में लंबित मुकदमों के निस्तारण में तेजी आएगी और वादियों को समय पर न्याय मिल सकेगा। तकनीक के इस उपयोग से न्यायालय और अभियोजन कार्यालय के बीच संपर्क मजबूत होगा, जिससे गवाहों की उपस्थिति और बयान दर्ज करने में आने वाली बाधाओं को काफी हद तक दूर किया जा सकेगा। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अब तक इस तकनीक के उपयोग से लगभग आठ लाख रुपये की बचत दर्ज की गई है। यह कदम न केवल न्यायिक प्रक्रिया को आधुनिक बनाने की दिशा में है बल्कि सरकारी खर्च और संसाधनों के बेहतर उपयोग का भी उदाहरण है।
तकनीकी नवाचार से न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता
अपर निदेशक अभियोजन ललित मुद्गल ने बताया कि प्रदेश सरकार न्यायिक व्यवस्था को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। वीडियो कांफ्रेंसिंग जैसी व्यवस्था के जरिए न केवल गवाहों और अधिकारियों को समय पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का मौका मिलेगा, बल्कि इससे न्यायालय का कामकाज भी और अधिक सुव्यवस्थित होगा। उन्होंने कहा कि गोरखपुर में दूसरा रूम शुरू होना यहां की न्यायिक व्यवस्था के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, जो आने वाले समय में लंबित मामलों के शीघ्र निपटारे में अहम भूमिका निभाएगा। इस तकनीक से लंबी दूरी तय करके अदालत में गवाही देने की मजबूरी खत्म हो जाएगी और सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं को भी कम किया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त, इससे न्यायपालिका और आम जनता के बीच भरोसे का रिश्ता और मजबूत होगा क्योंकि मुकदमों के निस्तारण की प्रक्रिया तेज और प्रभावी बन पाएगी।
अधिकारियों की मौजूदगी और भविष्य की संभावनाएं
उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान प्रभारी संयुक्त निदेशक अशोक मिश्र, वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी संदीप सिंह सहित कई अन्य अधिकारी मौजूद रहे। इस मौके पर पहली बार वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए डीएसपी ने गवाही देकर इस सुविधा का लाभ प्रदर्शित किया, जिससे स्पष्ट हो गया कि आने वाले समय में यह तकनीक अदालतों और अभियोजन कार्यों के लिए कितनी उपयोगी साबित होगी। अधिकारियों का मानना है कि इस पहल से न्यायिक प्रक्रिया अधिक सुलभ और पारदर्शी होगी, साथ ही इससे मुकदमों की सुनवाई में लगने वाले समय और खर्च दोनों में कमी आएगी। विशेषज्ञों के अनुसार, गोरखपुर में दूसरा वीडियो कांफ्रेंसिंग रूम भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है और यह न्यायिक प्रणाली को डिजिटल दिशा देने का एक मजबूत कदम है। उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले वर्षों में प्रदेश के अन्य जिलों में भी इस तरह की पहल की जाएगी, जिससे संपूर्ण न्यायिक ढांचा तकनीकी रूप से और मजबूत हो सकेगा तथा वादियों को त्वरित और सुलभ न्याय की गारंटी मिल सकेगी।