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Gorakhpur News: रामगढ़ताल थाने में अस्पताल संचालकों पर एक और मुकदमा दर्ज, फर्जी हस्ताक्षर कर करोड़ों की बीमा ठगी का खुलासा

डॉ. ए.के. सिंह के नाम से 30 फाइलों पर फर्जी हस्ताक्षर कर पास कराए गए क्लेम, इंश्योरेंस कंपनियों को लगाया करोड़ों का चूना

Gorakhpur hospital insurance fraud case investigation

गोरखपुरउत्तर प्रदेश – गोरखपुर के रामगढ़ताल थाना क्षेत्र स्थित डिसेंट अस्पताल(Decent Hospital) एक बार फिर सुर्खियों में है। यहां 1.20 करोड़ रुपये की बीमा ठगी के मामले में अस्पताल संचालकों के खिलाफ एक और मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस जांच में सामने आया कि अस्पताल के संचालक शमशुल कमर उर्फ सोनू खान और प्रवीण त्रिपाठी उर्फ विकास मणि ने पूर्व में तैनात रहे डॉ. ए.के. सिंह के फर्जी हस्ताक्षरों का इस्तेमाल कर 30 से अधिक फाइलों में मरीजों का बीमा क्लेम पास कराया। शिकायत पर डॉ. सिंह ने दोनों संचालकों के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और फर्जी दस्तावेज तैयार करने जैसी गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार यह मामला संगठित स्तर पर किया गया फर्जीवाड़ा है जिसमें न केवल अस्पताल संचालक बल्कि बीमा एजेंटों की संलिप्तता भी सामने आ रही है।

करोड़ों का क्लेम, मरीजों की फर्जी भर्ती और इलाज का खेल

जांच में यह भी सामने आया है कि 1 मार्च 2024 से 1 मार्च 2025 तक डिसेंट अस्पताल में डॉ. ए.के. सिंह के नाम से मेडिकल रिकॉर्ड दर्ज किए गए, जबकि उस दौरान अस्पताल का संचालन शमशुल और प्रवीण कर रहे थे। एक मार्च 2024 के बाद डॉ. सिंह ने अस्पताल छोड़ दिया था और तारामंडल स्थित एक निजी संस्थान से जुड़ गए थे। इस बीच डिसेंट अस्पताल का रजिस्ट्रेशन पेंडिंग में रहा। पुलिस की जांच में खुलासा हुआ कि अस्पताल संचालकों ने कुछ मरीजों के नाम पर फर्जी भर्ती दर्ज की, जबकि कई मरीजों का इलाज सामान्य था लेकिन कागजों पर बड़े ऑपरेशन और लंबी भर्ती दिखाकर करोड़ों का बिल बनवाया गया। इन फाइलों को बीमा कंपनियों को भेजा गया, जिन पर डॉ. सिंह के फर्जी हस्ताक्षर थे। जब पुलिस ने डॉक्टर से पूछताछ की तो उन्होंने साफ किया कि उन्होंने न तो मरीजों का इलाज किया और न ही किसी दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए हैं। डॉ. सिंह ने कहा कि इस ठगी से उनकी छवि धूमिल हुई है और बीमा कंपनियों व मरीजों के बीच उनकी साख को नुकसान पहुंचा है।

पुलिस जांच तेज, बीमा कंपनियों से मांगी गई डिटेल

एसपी सिटी अभिनव त्यागी ने बताया कि डॉक्टर की तहरीर पर अस्पताल संचालकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और अब जांच को और आगे बढ़ाया जा रहा है। पुलिस ने 15 बीमा कंपनियों को मेल भेजकर संदिग्ध क्लेम फाइलों की डिटेल और उन एजेंटों की सूची मांगी है जो इस फर्जीवाड़े में शामिल हो सकते हैं। अधिकारियों का कहना है कि पूरे मामले में अस्पताल संचालक, डॉक्टर और बीमा एजेंट एक सोची-समझी साजिश के तहत जुड़े थे, ताकि बीमा कंपनियों से करोड़ों रुपये का क्लेम लिया जा सके। फिलहाल पुलिस ने दस्तावेजों की जांच शुरू कर दी है और इस बात की संभावना है कि आने वाले दिनों में इस मामले में और बड़े खुलासे होंगे। अधिकारियों ने यह भी संकेत दिए हैं कि ठगी से जुड़े अन्य अस्पतालों और एजेंटों की भूमिका की भी जांच की जाएगी। यह मामला गोरखपुर समेत प्रदेश भर में चल रही मेडिकल बीमा प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है और पुलिस ने इसे प्राथमिकता पर लेकर जांच आगे बढ़ाने का आश्वासन दिया है।

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