गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) क्षेत्र की करीब 300 औद्योगिक इकाइयों पर बिजली विभाग की त्रुटिपूर्ण बिलिंग का असर पड़ रहा है। उद्यमियों को निर्धारित उपभोग से कहीं अधिक बिल चुकाने पड़ रहे हैं। यह मुद्दा शुक्रवार को विकास भवन सभागार में हुई जिला उद्योग बंधु की बैठक में प्रमुखता से उठा। बैठक की अध्यक्षता जिलाधिकारी दीपक मीणा ने की, जबकि चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष आरएन सिंह ने बिजली विभाग की लापरवाही पर सवाल उठाते हुए बताया कि औद्योगिक उपभोक्ताओं से गलत स्लॉट के आधार पर अधिक शुल्क वसूला जा रहा है। उन्होंने बताया कि औद्योगिक उपभोग तीन समय स्लॉट में विभाजित है-रात 11 से सुबह 6 बजे तक सबसे कम दर, सुबह 6 से शाम 5 बजे तक मध्यम दर और शाम 5 से रात 11 बजे तक पीक आवर की सबसे ऊंची दर। अधिकांश फैक्ट्रियां रात के समय संचालित होती हैं, जब बिजली सस्ती होती है, लेकिन विभाग बिलिंग में पूरे उपभोग पर पीक आवर का शुल्क लगा रहा है, जिससे बिल 20% तक बढ़कर आ रहा है। इस पर जिलाधिकारी ने बिजली निगम के अभियंता को दिसंबर तक त्रुटि सुधारने और सही बिलिंग सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। साथ ही डीएम ने चेतावनी दी कि भविष्य में इस तरह की गड़बड़ी मिलने पर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
उद्यमियों ने रखी कई समस्याएं, गीडा क्षेत्र में अधिकारियों की अनुपलब्धता पर भी नाराजगी
बैठक में उपस्थित उद्यमियों ने बिजली बिलिंग के अलावा अन्य मुद्दे भी उठाए। कई उद्योगपतियों ने अधिशासी अभियंता की अनुपलब्धता पर असंतोष व्यक्त किया। उनका कहना था कि गीडा क्षेत्र में 400 से अधिक औद्योगिक इकाइयां कार्यरत हैं, लेकिन बिजली निगम के अधिशासी अभियंता से मिलना लगभग असंभव हो गया है। इस पर जिलाधिकारी ने नाराजगी जताते हुए अभियंता से कारण पूछा। अभियंता ने बताया कि उन्हें गीडा के साथ-साथ घघसरा और सहजनवा क्षेत्र की भी जिम्मेदारी दी गई है, जिसके कारण वे हर स्थान पर उपस्थित नहीं रह पाते। डीएम ने उद्यमियों को आश्वासन दिया कि वे इस संबंध में मुख्य अभियंता से बात करेंगे ताकि गीडा में समर्पित अधिकारी की नियुक्ति की जा सके। बैठक के दौरान उद्यमियों ने सड़क, नाली, भूखंड आवंटन और औद्योगिक सुविधाओं से जुड़ी कई शिकायतें भी रखीं। जिलाधिकारी ने संबंधित विभागों को निर्देश दिया कि सभी शिकायतों का त्वरित समाधान किया जाए और उद्योगों से संबंधित कोई भी मामला लंबित न रहे। गीडा के पुराने क्षेत्रों में जमीन की ऊंची कीमतों को देखते हुए उद्यमियों ने धुरियापार औद्योगिक टाउनशिप में एक एकड़ तक के छोटे भूखंड आवंटन की मांग भी की। उन्होंने बताया कि फिलहाल वहां 5 एकड़ से छोटे भूखंड नहीं दिए जा रहे, जिससे छोटे उद्योग लगाना मुश्किल हो रहा है। डीएम ने इस पर विचार करने का आश्वासन दिया।
औद्योगिक विकास पर फोकस, GBC-5 को लेकर तैयारी तेज
बैठक में जिलाधिकारी ने गोरखपुर में निवेश माहौल को सशक्त बनाने के लिए कई अहम निर्देश जारी किए। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी (GBC) के पांचवें संस्करण को गोरखपुर में भव्य रूप से आयोजित किया जाएगा। डीएम ने बताया कि इस आयोजन के माध्यम से 7000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्तावों को धरातल पर लाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने सभी विभागों को निवेश मित्र पोर्टल पर लंबित मामलों के निस्तारण में तेजी लाने का आदेश दिया ताकि निवेशक को बेहतर सुविधा मिल सके। इसके अलावा उन्होंने फ्लैटेड फैक्ट्री परियोजना के निर्माण कार्य को शीघ्र पूर्ण करने के निर्देश दिए। बैठक में बताया गया कि दिसंबर तक फ्लैटेड फैक्ट्री का आवंटन शुरू किया जाएगा और तय किया जाएगा कि इन इकाइयों को किराए पर दिया जाए या सीधे आवंटित किया जाए। वहीं, 30 नवंबर को आयोजित होने वाले ‘गीडा दिवस’ के अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सेक्टर 11, 27 और 28 में भूखंडों का आवंटन पत्र उद्यमियों को प्रदान किया जाएगा। इस अवसर पर कई नए निवेशकों को भी शामिल किया जाएगा। बैठक में एक अन्य मुद्दा मेडिकल डिस्पोजेबल यूनिट के विरोध का भी उठा, जिस पर गीडा की सीईओ अनुज मलिक ने स्पष्ट किया कि ऐसी किसी इकाई को अभी तक अनुमति नहीं दी गई है। डीएम ने कहा कि गीडा क्षेत्र को एक संतुलित और स्वच्छ औद्योगिक जोन के रूप में विकसित करना प्रशासन की प्राथमिकता है। बैठक के अंत में उन्होंने सभी उद्यमियों को आश्वस्त किया कि उनकी समस्याओं का समाधान प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा ताकि गोरखपुर उद्योग जगत विकास और निवेश का नया केंद्र बन सके।




