गोरखपुर के गोरखनाथ क्षेत्र में एक ऐसा मामला सामने आया जिसने पूरे इलाके में तनाव का माहौल बना दिया। दशहरी बाग मोहल्ले के पास कुछ लोगों द्वारा “आई लव मोहम्मद” लिखे पोस्टर लगाए गए, जिसकी जानकारी मिलते ही स्थानीय स्तर पर हड़कंप मच गया। 25 सितंबर की रात सूचना मिलते ही पुलिस टीम मौके पर पहुंची और विवादित पोस्टरों को तुरंत हटवा दिया गया। हालांकि, पोस्टर हटाने की कार्रवाई के दौरान कुछ स्थानीय युवकों ने पुलिस से बहस और विरोध की स्थिति पैदा कर दी। बताया जाता है कि स्थिति तनावपूर्ण होते ही मौके पर अतिरिक्त फोर्स भेजनी पड़ी। घटना के तुरंत बाद माहौल को बिगाड़ने के लिए इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया गया, जिससे स्थिति और अधिक संवेदनशील हो गई।
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल और पुलिस की सक्रियता
विवादित वीडियो के तेजी से सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर फैलते ही शुक्रवार की शाम से ही इलाके में तनाव का वातावरण बनने लगा। रात तक यह वीडियो बड़े पैमाने पर लोगों तक पहुंच गया। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए एसपी सिटी अभिनव त्यागी और सीओ गोरखनाथ रवि सिंह खुद थाने पहुंचे और मामले की निगरानी की। पुलिस ने साइबर टीम की मदद से वीडियो पोस्ट करने और फैलाने वालों की पहचान शुरू की। तकनीकी जांच में शामिल होने के बाद आरोपियों की पहचान कर पुलिस ने 10 युवकों को हिरासत में ले लिया। इसके बाद उन सभी का शांतिभंग की धाराओं में चालान कर दिया गया। अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की गतिविधियाँ समाज में न सिर्फ तनाव फैलाती हैं बल्कि आपसी सौहार्द को भी नुकसान पहुंचाती हैं, इसलिए इन्हें बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
पुलिस की अपील और आगे की कार्रवाई
इस पूरे विवाद पर गोरखपुर पुलिस का कहना है कि शहर की कानून व्यवस्था को प्रभावित करने और सांप्रदायिक तनाव भड़काने की हर कोशिश पर सख्ती से रोक लगाई जाएगी। एसपी सिटी अभिनव त्यागी ने स्पष्ट किया कि कुछ युवकों ने जानबूझकर आपत्तिजनक वीडियो वायरल कर माहौल बिगाड़ने की कोशिश की थी, लेकिन समय रहते कार्रवाई कर दी गई। उन्होंने जनता से अपील करते हुए कहा कि इस तरह की सामग्री को सोशल मीडिया पर साझा करने से बचें क्योंकि यह कानूनी अपराध की श्रेणी में आता है और दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। पुलिस ने भरोसा दिलाया कि इलाके में शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए लगातार गश्त और निगरानी जारी रहेगी। गोरखपुर के इस प्रकरण ने एक बार फिर यह संदेश दिया है कि डिजिटल प्लेटफार्म पर फैलाए जाने वाले अफवाह या भड़काऊ वीडियो कितने खतरनाक साबित हो सकते हैं और इन्हें रोकने के लिए समाज और प्रशासन दोनों को सतर्क रहना आवश्यक है।