गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर के पीपीगंज थाना क्षेत्र के भुईधरपुर गांव में 26 सितंबर की सुबह 60 वर्षीय कलावती यादव की सिर कटी लाश एक खेत में मिली थी। सिर धड़ से अलग पड़ा था और चेहरे को जमीन में दबाया गया था, जिससे प्रारंभिक स्तर पर पहचान भी मुश्किल हो रही थी। ग्रामीणों ने जब लाश देखी तो पूरे इलाके में सनसनी फैल गई। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर जांच शुरू की। शुरुआती जांच में ऐसा प्रतीत हो रहा था कि यह कोई तांत्रिक बलि या बाहरी हमले का मामला है, क्योंकि शव के पास हंसिया भी मिला था। लेकिन पुलिस ने गहराई से पड़ताल शुरू की तो मामला कुछ और ही निकला। जांच में यह साफ हो गया कि घटना किसी अंजान व्यक्ति की नहीं बल्कि घर के अंदर ही सुलगते विवाद की परिणति थी। पुलिस ने जब परिजनों से पूछताछ की तो बहू उत्तरा देवी और पोती खुशी यादव पर शक गहराने लगा। एक कमरे में खून के निशान और घर की दरी से मिले सबूतों ने जांच की दिशा बदल दी। एसपी उत्तरी जितेंद्र कुमार श्रीवास्तव के नेतृत्व में गठित टीमों ने गांव के आस-पास लगे 50 से अधिक सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली, लेकिन कलावती के घर से बाहर जाने का कोई दृश्य नहीं मिला। धीरे-धीरे संदेह घर के भीतर ही सिमट गया।
आरोपी पोती की स्वीकारोक्ति और वारदात की भयावह सच्चाई
तीव्र पूछताछ में आखिरकार खुशी यादव टूट गई और उसने अपनी दादी की हत्या की बात स्वीकार कर ली। उसने बताया कि बचपन से ही दादी उसे ताने देती थीं और उसे “बंगालन” कहकर बुलाती थीं। वह अपनी मां के पहले पति की संतान थी, इसी कारण से दादी उससे घृणा करती थीं। उन्होंने 9वीं क्लास में ही उसकी पढ़ाई बंद कर दी थी, घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं देती थीं, जबकि भाइयों पर कोई रोक-टोक नहीं थी। इन सब बातों ने उसके अंदर वर्षों से गुस्सा भर रखा था। घटना के दिन जब दादी ने फिर से ताना मारा, तो उसने गुस्से में गंडासे से दादी की गर्दन पर वार किया। चार वारों में उसने सिर को धड़ से अलग कर दिया। हत्या के समय घर में कोई और मौजूद नहीं था। जब मां उत्तरा देवी घर लौटीं और खून फैला देखा, तो उन्होंने भी मामले को छिपाने का निर्णय लिया। मां-बेटी ने मिलकर खून के निशान साफ किए, खून से सने कपड़ों को जलाया और लाश को एक बोरे में भर दिया। देर रात दोनों ने साइकिल पर लाश लादकर घर से 500 मीटर दूर खेत में फेंक दिया और पास में हंसिया रख दी ताकि वारदात को लूट या बाहरी हमला दिखाया जा सके। अगले दिन बहू ने पूरे परिवार और ग्रामीणों को यह कहानी सुनाई कि कलावती दवा लेने निकली थीं और वापस नहीं लौटीं। इसी कहानी पर शुरुआती जांच चली, लेकिन फॉरेंसिक और डॉग स्क्वायड की मदद से पुलिस ने घर की ओर ही शक मजबूत किया।
पुलिस की सटीक जांच, गिरफ्तारी और वारदात के सामाजिक संकेत
पुलिस ने मामले में सात विशेष टीमें बनाकर जांच की। घर से बरामद दरी, खून के निशान, और घटनास्थल से मिले साक्ष्य ने आरोपी मां-बेटी के झूठ की परतें खोल दीं। कलावती के बड़े बेटे ने भी पुलिस को बताया कि दरी उसी ने खरीदी थी, जिससे बहू के बयान पर संदेह और गहरा गया। कुत्ते की मदद से खोजबीन में भी बार-बार घर के इर्द-गिर्द ही निशान मिले। इसके बाद दोनों को थाने लाकर पूछताछ की गई और सच्चाई सामने आ गई। पुलिस ने उत्तरा देवी (45) और खुशी यादव (19) को गिरफ्तार कर लिया है। एसपी उत्तरी जितेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि अब मामले में सभी सबूत जुटा लिए गए हैं और आरोपियों को जेल भेजा जाएगा। यह वारदात केवल एक पारिवारिक विवाद का परिणाम नहीं, बल्कि सामाजिक ताने-बाने में छिपी असमानता और मानसिक तनाव का उदाहरण है। जिस लड़की को बचपन से ताने सहने पड़े, उसने नफरत और गुस्से में आकर इतना बड़ा कदम उठा लिया। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के मामले समाज में मानसिक स्वास्थ्य और पारिवारिक संवाद की कमी को भी उजागर करते हैं। गांव में इस घटना के बाद भय का माहौल है, लोग उसी खेत से गुजरने में भी डर रहे हैं। इस वारदात ने भुईधरपुर गांव को हिला दिया है और क्षेत्र में चर्चा का मुख्य विषय बन गई है। पुलिस की त्वरित और सटीक जांच से 17 दिन पुरानी गुत्थी सुलझ गई, लेकिन यह भी साफ हो गया कि घर के भीतर सुलगते विवाद कभी-कभी कितने भयावह रूप ले सकते हैं।