गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर में नवरात्रि की रौनक हर तरफ छाई हुई है और इसी कड़ी में बुधवार की रात सरोवर पोर्टिको में मारवाड़ी युवा मंच उड़ान की ओर से गरबा-डांडिया महोत्सव का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम महिलाओं और युवतियों के लिए खास आकर्षण का केंद्र बना, जहां सभी प्रतिभागी पारंपरिक गुजराती परिधानों में सज-धज कर पहुंचीं। रंग-बिरंगे घाघरा-चोली, पारंपरिक मेकअप और गहनों से सजी महिलाएं डांडिया स्टिक थामे जब गुजराती धुनों पर थिरकीं तो पूरा माहौल उत्सवमय हो गया। किसी के कदम थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे, हर तरफ से तालियों और हंसी-खुशी की गूंज सुनाई दे रही थी। उपस्थित महिलाओं ने बताया कि वे इस आयोजन का लंबे समय से इंतजार कर रही थीं और जैसे ही मंच पर गरबा की धुन बजी, सबके चेहरे खिल उठे। कई महिलाओं ने इसे अपनी जिंदगी की यादगार शाम बताते हुए कहा कि इस तरह का आयोजन न केवल मनोरंजन बल्कि सामाजिक जुड़ाव का भी माध्यम है।
पारंपरिक वर्कशॉप से सीखे स्टेप्स, बॉलीवुड गानों पर दिखा खास तड़का
इस गरबा महोत्सव की तैयारी महीनों पहले शुरू हो गई थी। संस्था की अध्यक्ष रीति अग्रवाल ने बताया कि आयोजन से पहले 12 दिन की मुफ्त वर्कशॉप चलाई गई थी, जिसमें हर दिन मां दुर्गा के नौ रूपों को थीम के रूप में प्रस्तुत किया गया। इसके लिए विशेष रूप से गुजरात से प्रोफेशनल गरबा ट्रेनर को बुलाया गया, जिन्होंने प्रतिभागियों को न केवल पारंपरिक गरबा और डांडिया स्टेप्स सिखाए बल्कि उन्हें आधुनिक अंदाज के साथ मिलाकर मंच पर पेश करने के लिए तैयार किया। इसका नजारा उस वक्त देखने को मिला जब बॉलीवुड गीतों पर भी प्रतिभागियों ने गरबा और डांडिया के अनोखे मूव्स पेश किए। छोटे बच्चों से लेकर युवतियों तक, सबने इस मौके पर अपने हुनर का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम की शुरुआत गणेश वंदना से हुई, जिसमें नन्हीं बच्चियों ने अपने आकर्षक नृत्य से दर्शकों का मन मोह लिया। तालियों की गड़गड़ाहट और दर्शकों का उत्साह पूरे आयोजन में चार चांद लगा रहा।
संगीत, सजावट और सेल्फियों से सजी यादगार शाम
गरबा महोत्सव की खूबसूरती केवल डांस और परिधानों तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि मंच और स्थल की सजावट भी आकर्षण का केंद्र बनी। रंगीन रोशनी, पारंपरिक सजावट और उत्सव के माहौल ने वहां मौजूद हर किसी को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम में स्पेशल म्यूजिशियन टीम को आमंत्रित किया गया था, जिनकी धुनों ने महोत्सव की गरिमा को और बढ़ा दिया। ढोल, तबले और आधुनिक वाद्ययंत्रों के संगम ने गरबा की रात को और भी यादगार बना दिया। इस दौरान प्रतिभागियों ने अपने दोस्तों और परिवार के साथ खूब सेल्फियां और वीडियो बनाए। कोई गॉगल पहनकर पोज देता नजर आया तो कोई डांडिया स्टिक को अलग-अलग स्टाइल में थामकर कैमरे के सामने मुस्कुराता रहा। आयोजन समिति का कहना है कि इस तरह के कार्यक्रम न केवल पारंपरिक संस्कृति को आगे बढ़ाते हैं बल्कि समाज में आपसी मेलजोल और भाईचारे की भावना को भी मजबूत करते हैं। गोरखपुर में इस गरबा-डांडिया महोत्सव ने यह साबित कर दिया कि उत्सव केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि आनंद और एकता का संदेश फैलाने का माध्यम भी है।