गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर जिले के शाहपुर थाना क्षेत्र में लंबे समय से चल रहे एक बड़े वित्तीय घोटाले का खुलासा हुआ है, जिसने इलाके में सनसनी फैला दी है। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए बैंक संचालक के पिता जगजीवन चौहान को गिरफ्तार कर लिया। बताया जा रहा है कि वर्ष 2016 में उन्होंने अपने घर पर प्राइवेट बैंक की तरह कार्यालय खोला था, जहां एजेंटों के माध्यम से आम जनता से रोजाना रकम जमा कराई जाती थी और बदले में रसीदें दी जाती थीं। धीरे-धीरे लोगों का विश्वास जीतकर यह नेटवर्क बड़ा होता चला गया और लगभग 1500 खाताधारकों को जोड़ने में सफल रहा। पुलिस जांच में सामने आया है कि इस पूरे खेल में करीब 5 करोड़ रुपये की ठगी की गई है। स्थानीय निवासियों के अनुसार बैंक पर रक्षाबंधन के बाद छुट्टियों का पोस्टर चिपकाया गया और स्वतंत्रता दिवस तक बंद रखने का ऐलान किया गया। इसके बाद बैंक कभी नहीं खुला और संचालक फरार हो गए। अचानक हुए इस घटनाक्रम से पीड़ितों के बीच आक्रोश फैल गया और लोग लगातार न्याय की मांग करते रहे।
गिरफ्तारी और जनता का गुस्सा
घोटाले के खुलासे के बाद पीड़ितों का गुस्सा उस समय फूट पड़ा जब उन्हें जानकारी मिली कि आरोपी जगजीवन चौहान अब भी उसी भवन के ऊपरी हिस्से में मौजूद हैं, जहां फर्जी बैंक का संचालन किया जाता था। पीड़ित एजेंटों और स्थानीय लोगों ने मौके पर पहुंचकर आरोपी को दबोच लिया। गुस्साई महिलाओं ने उन्हें सरेआम चप्पल की माला पहनाकर घुमाया और जोरदार नारेबाजी करते हुए पुलिस के हवाले कर दिया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, जिससे मामले ने और तूल पकड़ लिया। सैकड़ों लोग सड़क पर उतर आए और प्रदर्शन करते हुए ट्रैफिक अवरुद्ध कर दिया। भीड़ को शांत कराने के लिए मौके पर पहुंची पुलिस ने समझाइश दी और स्थिति को नियंत्रण में लिया। शाहपुर थाना प्रभारी निरीक्षक नीरज कुमार राय के अनुसार आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है और गुरुवार को अदालत में पेश किया जाएगा। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह मामला केवल आर्थिक अपराध नहीं बल्कि सामाजिक विश्वासघात भी है, क्योंकि आरोपी ने आम लोगों की खून-पसीने की कमाई को छलपूर्वक हड़प लिया।
जांच तेज, फरार एजेंटों की तलाश
पुलिस अब इस फर्जी बैंकिंग नेटवर्क में शामिल सभी एजेंटों की तलाश में जुट गई है। जिन एजेंटों के नाम सामने आए हैं, उनमें नितीश कुमार, सूरज चौरसिया, अजय कुमार, विनोद तिवारी, रामअवतार, संतोष और सेराज शामिल हैं। जांचकर्ताओं का मानना है कि एजेंटों ने इलाके के लोगों से विश्वास हासिल करने और उन्हें रोजाना जमा कराने के लिए सक्रिय भूमिका निभाई। पुलिस सूत्रों के अनुसार कई पीड़ितों ने अपनी जीवनभर की बचत इस बैंक में जमा कर दी थी, जिसे वापस पाना अब मुश्किल लग रहा है। इस मामले में वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे प्राइवेट बैंकों और अनियमित वित्तीय संस्थानों पर लगाम लगाने के लिए सख्त नियम और निगरानी तंत्र की जरूरत है, ताकि भविष्य में जनता के साथ ऐसी धोखाधड़ी न हो सके। वहीं पीड़ित महिलाएं और परिवार लगातार धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं और प्रशासन से ठगी गई रकम वापस दिलाने की मांग कर रहे हैं। वर्तमान में पुलिस ने कई दस्तावेज और रसीदें जब्त कर ली हैं, जिनके आधार पर आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी। गोरखपुर का यह मामला सिर्फ एक वित्तीय घोटाला नहीं बल्कि लोगों के भरोसे के साथ किया गया बड़ा अपराध है, जिसने स्थानीय स्तर पर प्रशासन और वित्तीय सुरक्षा व्यवस्था पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।