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गोरखपुर: 20 साल पुराने मिलावट मामलों में आया फैसला, व्यापारियों पर जुर्माना और अच्छा आचरण रखने का आदेश

Gorakhpur court punishes traders in 20-year-old food adulteration cases

गोरखपुर में खाद्य पदार्थों में मिलावट करने वाले कई व्यापारियों के खिलाफ दर्ज पुराने मामलों में आखिरकार 15 से 20 साल बाद फैसला आया। अदालत ने दोषियों पर 20-20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है और आदेश दिया है कि वे अगले 2 साल तक समाज में अच्छा आचरण रखें।

सरसों के तेल में मिलावट का मामला

  • चौरीचौरा के अजय कुमार लाट पर 2005 में केस दर्ज हुआ था।
  • सरसों के तेल में तीसी का तेल मिलाने की पुष्टि हुई।
  • जांच में ब्यूट्रोरिफैक्टो मीटर, साबुनीकरण मान, आयोडीन और विलियर टेस्ट में गड़बड़ी मिली।
  • 20 साल बाद, 25 जुलाई 2025 को अदालत ने फैसला सुनाया।

बिना लाइसेंस पनीर बिक्री और मिलावट

  • गोरखनाथ के अंधियारीबाग निवासी दिनेश यादव उर्फ विकास कुमार यादव पर 2010 में केस दर्ज हुआ।
  • उनके पास लाइसेंस नहीं था और पनीर की क्वालिटी रिपोर्ट फेल हुई।
  • मिल्क फैट 50% होना चाहिए था लेकिन 32.27% ही मिला।
  • 15 साल बाद फैसला आया – 20 हजार रुपये जुर्माना और 2 साल अच्छा आचरण।

दूध और बेसन में मिलावट

  • झंगहा के चंद्रभान यादव (2011) पर दूध में मिलावट का केस दर्ज हुआ था।
  • पीपीगंज के विनय कुमार मद्देशिया (2010) पर अपमिश्रित बेसन बेचने का आरोप था।
  • दोनों को 5 अगस्त 2025 को दोषी पाया गया, 20 हजार रुपये जुर्माना और 2 साल तक अच्छा आचरण रखने का आदेश।

अन्य केस

  • कैंट थाना क्षेत्र के बाबूलाल गुप्ता (2010) पर भी खाद्य अपमिश्रण अधिनियम 1954 के तहत केस हुआ था।
  • 3 जुलाई 2025 को फैसला आया, उन्हें 1 साल तक अच्छा आचरण रखने और 20 हजार रुपये जुर्माना भरने का आदेश दिया गया।
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