गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – गोरखपुर की गलियों और चौक-चौराहों पर इन दिनों एक ऐसा चेहरा लोगों के बीच चर्चा में है, जो बिना मंच और रोशनी के भी अपनी प्रतिभा से पहचान बना रहा है। 38 वर्षीय मुर्तजा अली, जो बेलीपार इलाके के रहने वाले हैं, इन दिनों सोशल मीडिया पर छाने की चाह में सड़कों पर बांसुरी बजाते नजर आते हैं। फेसबुक पर अपनी प्रोफाइल बनाकर उन्होंने अपनी कला को डिजिटल मंच दिया है। उनका कहना है कि वह अपनी प्रतिभा के जरिए लोगों का दिल जीतना चाहते हैं ताकि अधिक व्यूज और लाइक्स मिलें और एक दिन उन्हें इस मेहनत से आमदनी भी हो सके। शहर के मुख्य बाजारों, मॉल और सार्वजनिक स्थलों पर जब वह बांसुरी के सुर छेड़ते हैं, तो राहगीर ठहरकर उन्हें सुनने लगते हैं। मुर्तजा का मानना है कि सोशल मीडिया अब सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां मेहनती कलाकारों को अपनी जगह बनाने का मौका मिलता है।
सिटी मॉल पर ‘तेरी मिट्टी’ की धुन से लोगों को किया मंत्रमुग्ध
सोमवार की शाम जब गोरखपुर के सिटी मॉल के बाहर लोग अपनी दिनचर्या में व्यस्त थे, तभी एक मधुर धुन ने सभी को ठहरने पर मजबूर कर दिया। यह धुन किसी रिकॉर्डेड म्यूजिक की नहीं बल्कि मुर्तजा अली की बांसुरी से निकल रही थी। उन्होंने फिल्म केसरी के प्रसिद्ध गीत “तेरी मिट्टी में मिल जाऊं” को इतनी भावनात्मकता से प्रस्तुत किया कि राह चलते लोग वीडियो बनाने लगे। कुछ ने तो उनकी सराहना करते हुए तालियां बजाईं, वहीं एक महिला ने आगे बढ़कर उन्हें गिफ्ट भी दिया। इस दृश्य ने न केवल वहां मौजूद लोगों को प्रभावित किया बल्कि यह वीडियो जल्द ही सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा। मुर्तजा ने बताया कि वे इससे पहले नौसड़, बाघाघाट, आजाद चौक, टीपी नगर, गोलघर और पार्क रोड जैसे कई स्थानों पर भी अपने परफॉर्मेंस रिकॉर्ड कर चुके हैं। उनके पास एक छोटा सेल्फी स्टैंड है, जिससे वह खुद ही अपना वीडियो शूट करते हैं और बाद में उसे एडिट कर फेसबुक पर पोस्ट करते हैं।
सोशल मीडिया पर पहचान बनाने की नई राह
मुर्तजा का यह प्रयास उन युवाओं की नई सोच को दर्शाता है जो अपनी कला को डिजिटल माध्यम से आम जनता तक पहुंचाने में विश्वास रखते हैं। पहले जहां कलाकारों को पहचान पाने के लिए मंच या आयोजनों पर निर्भर रहना पड़ता था, वहीं अब एक मोबाइल और सोशल मीडिया अकाउंट ही काफी है। मुर्तजा मानते हैं कि अगर उनके वीडियो लगातार लोगों तक पहुंचते रहे, तो एक दिन उनकी मेहनत रंग लाएगी और उन्हें ऑनलाइन व्यूज के जरिए आर्थिक लाभ भी मिलने लगेगा। यह सिर्फ आत्मप्रचार नहीं, बल्कि अपनी प्रतिभा को समाज के सामने लाने का एक सशक्त तरीका है। गोरखपुर जैसे शहर में जहां कला और संस्कृति की गहरी जड़ें हैं, वहां मुर्तजा जैसे कलाकार यह साबित कर रहे हैं कि सच्ची लगन और जुनून हो तो मंच कहीं भी बन सकता है – चाहे वो सिटी मॉल के बाहर की सड़क ही क्यों न हो। उनकी यह कोशिश न सिर्फ प्रेरणादायक है बल्कि यह भी बताती है कि आज के डिजिटल युग में हर प्रतिभा को पहचान पाने का समान अवसर मिल सकता है।




