गोरखपुर नगर निगम ने शहरवासियों को चिलचिलाती धूप और उमस से राहत देने के लिए एक नई पहल शुरू की है। इसके तहत अंबेडकर चौक पर ट्रैफिक सिग्नल के पास पहला ‘ग्रीन-नेट शेड’ बनाया जा रहा है। इस शेड की खासियत यह होगी कि इसके किनारों और ऊपर लताओं वाले पौधे लगाए जाएंगे, जो बढ़ने के साथ प्राकृतिक छांव तैयार करेंगे। नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने बताया कि महापौर के निर्देशन में यह काम शुरू कर दिया गया है और अगले एक महीने के भीतर पूरा कर लिया जाएगा। इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया जा रहा है और अगर यह सफल रहा तो शहर के अन्य प्रमुख चौराहों पर भी ऐसे शेड तैयार किए जाएंगे। अंबेडकर चौक ऐसा स्थान है जहां फिराक चौक से आने वाले वाहनों को अक्सर लंबे समय तक ट्रैफिक सिग्नल पर इंतजार करना पड़ता है। तेज धूप और उमस के कारण यहां लोगों को भारी दिक्कत होती है, ऐसे में यह शेड रोजाना हजारों वाहन चालकों और राहगीरों के लिए बड़ी राहत साबित होगा।
अन्य शहरों में सफल प्रयोग से मिली प्रेरणा
नगर निगम का मानना है कि यह पहल न सिर्फ गोरखपुर बल्कि पूरे पूर्वांचल में एक उदाहरण बनेगी। देश के कई बड़े शहर जैसे नोएडा, प्रयागराज, आगरा, इंदौर, चेन्नई और सूरत में इस तरह के ग्रीन शेड पहले से ही लगाए जा चुके हैं और वहां यह प्रयोग सफल भी रहा है। उन शहरों में लोगों को ट्रैफिक सिग्नल पर इंतजार करते समय धूप से राहत मिली और गर्मियों के दौरान जीवन थोड़ा आसान हुआ। गोरखपुर में भी इस प्रयोग से उम्मीद की जा रही है कि लोग ट्रैफिक सिग्नल पर खड़े होकर गर्मी से परेशान नहीं होंगे। स्थानीय लोगों में इस परियोजना को लेकर उत्साह है और उनका कहना है कि अगर अंबेडकर चौक पर यह प्रयोग सफल रहता है तो इसे शहर के अन्य व्यस्त चौराहों जैसे गोलघर, रेलवे स्टेशन और मोहद्दीपुर में भी लागू किया जाना चाहिए।
सौंदर्य और पर्यावरण को भी मिलेगा बढ़ावा
यह परियोजना केवल लोगों को धूप से राहत देने तक सीमित नहीं है बल्कि इसके जरिए शहर की सुंदरता और पर्यावरण सुधार पर भी जोर दिया गया है। पौधों से बने ग्रीन-नेट शेड के कारण हवा में नमी बनी रहेगी और आसपास का तापमान भी कुछ हद तक कम होगा। साथ ही, शहर हरियाली से भरपूर और आकर्षक दिखेगा। नगर आयुक्त ने बताया कि इस तरह की पहल से पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा और गर्मियों के दौरान लोगों को छांव का प्राकृतिक विकल्प उपलब्ध होगा। अंबेडकर चौक से गुजरने वाले लोग पहले से ही इस बदलाव को लेकर उत्साहित हैं और मानते हैं कि जब तापमान 40–45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है तब यह पहल राहत की सांस दिलाएगी। नगर निगम का यह कदम शहर की जीवनशैली और पर्यावरण के लिए एक सकारात्मक प्रयोग माना जा रहा है।