गोरखपुर जिले के सहजनवा क्षेत्र में सोमवार देर रात एक दर्दनाक घटना ने पूरे इलाके को झकझोर दिया, जहां इलाज के नाम पर चल रहे एक झोलाछाप डॉक्टर की लापरवाही से छह वर्षीय मासूम की मौत हो गई। पाली ब्लॉक के बाहिलपार गांव में हुई इस घटना के बाद गांव में अफरा-तफरी मच गई। मृतक बच्चे का नाम पारस था, जो बदायूं जिले के पृथ्वीनंगला गांव निवासी रिंकू का बेटा था और अपनी मां के साथ ननिहाल आया हुआ था। जानकारी के अनुसार, पारस के सिर में जन्म से एक गांठ थी, जिसके इलाज के लिए परिजनों ने स्थानीय झोलाछाप डॉक्टर से संपर्क किया। उसने दस हजार रुपये में इलाज करने का दावा किया और सोमवार को कथित ऑपरेशन की तैयारी में बच्चे को इंजेक्शन लगाया। लेकिन इंजेक्शन लगते ही पारस की हालत बिगड़ने लगी और कुछ ही क्षणों में वह बेहोश हो गया। परिजन घबराकर उसे पहले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, फिर निजी अस्पताल और बाद में बीआरडी मेडिकल कॉलेज ले गए, जहां डॉक्टरों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया। इस खबर के फैलते ही परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया और गांव के लोगों का गुस्सा फूट पड़ा।
ग्रामीणों ने झोलाछाप की दुकान घेरकर किया हंगामा, आरोपी मौके से फरार
मासूम की मौत की खबर जैसे ही बाहिलपार गांव में फैली, सैकड़ों ग्रामीण झोलाछाप की दुकान पर पहुंच गए। लोगों ने वहां जमकर हंगामा किया और आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। लेकिन इसी बीच आरोपी झोलाछाप दुकान बंद कर मौके से फरार हो गया। परिजनों का कहना है कि इस तथाकथित डॉक्टर ने पहले बच्चों का इलाज करने का झांसा दिया और दावा किया कि यह सिर्फ एक छोटा ऑपरेशन होगा। मृतक के दादा राणा प्रताप ने बताया कि उन्होंने झोलाछाप से हाथ जोड़कर कहा था कि यदि इलाज उसकी क्षमता से बाहर है तो वह इसे न करे, लेकिन उसने अपनी जिद पर इंजेक्शन लगाया जिससे बच्चे की जान चली गई। उन्होंने कहा कि पारस को पहले लखनऊ पीजीआई के चिकित्सकों ने ऑपरेशन के लिए मना कर दिया था, लेकिन ननिहाल वालों के कहने पर उन्होंने स्थानीय डॉक्टर पर भरोसा किया, जो अंततः घातक साबित हुआ। ग्रामीणों का आरोप है कि यह झोलाछाप लंबे समय से गांव में अपनी दुकान चला रहा था और बिना किसी डिग्री के लोगों का इलाज करता था। घटना के बाद पूरे इलाके में आक्रोश व्याप्त है।
पुलिस जांच में जुटी, कार्रवाई का आश्वासन
घटना की सूचना मिलते ही सहजनवा थाना प्रभारी महेश चौबे पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और स्थिति को नियंत्रित किया। उन्होंने बताया कि परिजन प्रारंभ में पोस्टमार्टम के लिए तैयार नहीं थे, इसलिए पंचनामा भरकर शव परिजनों को सौंप दिया गया है। अधिकारी ने कहा कि जैसे ही तहरीर प्राप्त होगी, नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन ने ग्रामीणों से शांति बनाए रखने की अपील की है और आरोपी की तलाश शुरू कर दी है। वहीं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी अब सक्रिय हो गए हैं। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, क्षेत्र में कई झोलाछाप डॉक्टर वर्षों से खुलेआम दुकान चला रहे हैं और प्रशासन की नजर से बचकर इलाज के नाम पर लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यदि इन फर्जी डॉक्टरों पर समय रहते कार्रवाई की जाती, तो शायद पारस की जान बचाई जा सकती थी। फिलहाल पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और आरोपी की गिरफ्तारी के लिए टीम गठित कर दी गई है। प्रशासन ने यह भी संकेत दिया है कि क्षेत्र में अवैध रूप से संचालित सभी क्लिनिक और दवाखानों की जांच कराई जाएगी ताकि भविष्य में इस तरह की कोई घटना दोबारा न हो। मासूम पारस की मौत ने जहां परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है, वहीं इस घटना ने ग्रामीण स्वास्थ्य तंत्र की सच्चाई को एक बार फिर उजागर कर दिया है।




